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नफ़रत की सूनामी से तत्काल निपटना होगा: यूएन प्रमुख

हेट स्पीच की रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में व्यापक स्तर पर एक रणनीति को शुरू किया गया है.
UN Photo/Manuel Elias
हेट स्पीच की रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में व्यापक स्तर पर एक रणनीति को शुरू किया गया है.

नफ़रत की सूनामी से तत्काल निपटना होगा: यूएन प्रमुख

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने नफ़रत और असहिष्णुता को एक ऐसा दैत्य बताया है जिसके कई सिर हैं और जिसमें से नफ़रत और हिंसा भरी सूनामी लहरें उफ़ान पर हैं. डिजिटल माध्यमों पर कट्टरता और नफ़रत के प्रसार पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इससे लोकतांत्रिक मूल्यों और सामाजिक स्थिरता को ख़तरा पैदा हो रहा है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष मारिय फ़र्नान्डा एस्पिनोसा की ओर से बुधवार को मुख्यालय में एक समारोह का आयोजन किया गया जिसमें डिजिटल युग में सहिष्णुता और आदर का पाठ पढ़ाने में पेश आने वाली चुनौतियों पर चर्चा हुई.

बैठक को संबोधित करते हुए महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि हाल ही में उन्होंने म्यूज़ियम ऑफ़ ज्यूइश हेरिटेज में एक प्रदर्शनी देखी जिसका शीर्षक “ऑशवित्ज़. नॉट लॉन्ग अगो. नॉट फ़ॉर अवे” था.

“यह बहुत सटीक शीर्षक है.”

उन्होंने कहा कि हौलोकॉस्ट  (यहूदियों के सामूहिक जनसंहार)  को हुए बहुत समय नहीं बीता है और ना ही वो बहुत दूर हुआ था. “यह यूरोप के केंद्र में हुआ और यहूदी विरोध और असहिष्णुता के अन्य रूपों के विरूद्ध हमारी लड़ाई में हमारी जागरूकता के केंद्र में बना हुआ है.”

एक अध्ययन का उल्लेख करते हुए उन्होंने आगाह किया कि यहूदीवाद के विरोध में होने वाले हिंसक हमलों में साल 2018 में उससे पिछले साल की तुलना में 13 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी हुई.

यहूदी उपासना स्थलों, क़ब्रगाहों और लोगों पर अमेरिका, योरोप और अन्य जगहों पर हमले हुए हैं जिससे यहूदी असुरक्षित महसूस करते हैं. उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों को निशाना बनाए जाने की प्रवृत्ति दर्शाती है कि सदियों पुरानी नफ़रत की ताक़त अब भी बरक़रार है.

'हेट स्पीच' से वैश्विक शांति और स्थिरता को ख़तरा

शरणार्थी और प्रवासी भी इसके दंश को महसूस कर रहे हैं. “चुनावों में रंगभेदी संदेशों की अपील से श्वेत वर्चस्ववादी और नवनाज़ियों के हौसले बुलंद हैं.”

यूएन प्रमुख ने चिंता जताई कि नए डिजिटल माध्यमों पर कट्टरता और नफ़रत तेज़ी से फैल रही है, चरमपंथी  समान सोच रखने वाले लोगों से आसानी से संपर्क साध सकते हैं और एक दूसरे को प्रोत्साहित कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि इन गंभीर समस्याओं से संयुक्त राष्ट्र मुक़ाबला कर रहा है और इस संघर्ष में हम बेहद अहम चरण पर पहुंच गए हैं.

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में व्यापक स्तर पर एक रणनीति शुरू की गई है ताकि नफ़रत भरे संदेशों और भाषणों (हेट स्पीच) की रोकथाम हो सके.

उन्होंने कहा कि अगर इन रुझानों को नहीं रोका गया तो लोकतांत्रिक मूल्यों, सामाजिक स्थिरता और शांति को धक्का पहुंचेगा.

“जैसे हम हर दुर्भावनापूर्ण कृत्य से निपटते हैं वैसे ही हमें हेट स्पीच से निपटना होगा: उसकी निंदा करके और उसे फैलने का अवसर न देकर.”

एलायंस ऑफ़ सिविलाइज़ेशन के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्च प्रतिनिधि मिगेल मोराटिनोस एक कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं जिसका उद्देश्य धार्मिक स्थलों की शुचिता और सुरक्षा को सुनिश्चित करना है.

“हमें अपने प्रयासों को तात्कालिक रूप से डिजिटल माध्यमों पर बढ़ाना होगा जहां नफ़रत पोषित हो रही है.”

सोशल मीडिया को उन्होंने एक ऐसा ज़रिया बताया जिससे व्यापक पैमाने पर बिना जवाबदेही और कोई क़ीमत चुकाए बिना नफ़रत फैलाई जा सकती है. और उनका इस्तेमाल समाजों में ध्रुवीकरण करने और महिलाओं, अल्पसंख्यकों और संवेदनशील हालात में रह रहे लोगों को निशाना बनाने में किया जा रहा है.  

हाल ही में डिजिटल सहयोग पर उच्चस्तरीय पैनल की ओर से जारी रिपोर्ट में सोशल मीडिया और उससे सुरक्षा और मानवाधिकारों के लिए पैदा होती चुनौतियों का सामना करने पर अनुशंसाएं दी गई हैं.

रब्बाई यिसरोएल गोल्डश्टाइन सैन डिएगो के सिनेगॉग में हुई गोलीबारी में घायल हो गए थे.
UN Photo/Manuel Elias
रब्बाई यिसरोएल गोल्डश्टाइन सैन डिएगो के सिनेगॉग में हुई गोलीबारी में घायल हो गए थे.

कैलिफ़ोर्निया से आए रब्बाई (यहूदी विद्वान) यिसरोएल गोल्डश्टाइन ने अपना अनुभव बयान करते हुए बताया कि समाजों में नफ़रत के पैर पसारने के कितने घातक अंजाम हो सकते हैं.

अप्रैल 2018 में एक बंदूकधारी ने कैलिफ़ोर्निया के सैन डिएगो में एक सिनेगॉग यानि यहूदी उपासना स्थल में  घुसकर वहां उपस्थित लोगों पर गोलियां चलाई जिससे एक महिला की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हुए.

गोलीबारी में रब्बाई गोल्डश्टाइन भी घायल हो गए थे. उन्होंने बताया कि वह प्रार्थना के लिए तैयार हो रहे थे जब उन्हें गोलियां चलने की आवाज़ सुनाई दी.

“बच्चों को संभालने के लिए मैं पलटा तो आतंकवादी ने मुझे निशाना बनाते हुए गोली चलाई जिससे मेरी उंगलियां उड़ गईं.”

घायल होने के बावजूद रब्बाई ने बच्चों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया. उन बच्चों में रब्बाई गोल्डश्टाइन की चार वर्षीया पोती भी शामिल थी.

बुधवार को आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हम सभी को इंसानों के रूप में देखे जाने की ज़रूरत है. “हमारी त्वचा के रंग के आधार पर नहीं, हमारी भाषा के आधार पर नहीं, हम सभी ईश्वर के बच्चे हैं.”

अपने भाषण में यूएन महासभा अध्यक्ष मारिया फ़र्नान्डा एस्पिनोसा ने कहा कि इस साल नफ़रत से प्रेरित घृणित हमले किए गए हैं और यह दुखद है कि ये हमले हैरान नहीं करते.

“डरावनी बात यह है कि ये सिर्फ़ चरमपंथी गुटों तक सीमित नहीं रह गया है बल्कि असहिष्णुता, रंगभेद और विदेशियों के प्रति डर और नापसंदगी की बढ़ती प्रवृत्ति का हिस्सा बन गया है.”

उन्होंने कहा कि महासभा की कई बैठकों में 'हेट स्पीच', राष्ट्रवादी लोकप्रियतावाद और वर्चस्ववादी विचारधाराओं और मुस्लिमों, यहूदियों और ईसाईयों व अन्य धर्म को मानने वाले लोगों पर हमलों पर चर्चा हो चुकी हैं.

उन्होंने कहा कि नफ़रत के बीजों को उर्वर भूमि नकारनी होगी और झूठ व ग़लत सूचना के प्रसार को रोकना होगा.