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फ़ारस की खाड़ी में तनाव कम करने की अपील

न्यूयॉर्क में पत्रकारों से बात करते ईरान के स्थाई प्रतिनिधि माजिद तख्त रावांची.
UN Photo/Loey Felipe
न्यूयॉर्क में पत्रकारों से बात करते ईरान के स्थाई प्रतिनिधि माजिद तख्त रावांची.

फ़ारस की खाड़ी में तनाव कम करने की अपील

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र में ईरान के स्थाई प्रतिनिधि माजिद तख्त रावांची ने कहा है कि फ़ारस की खाड़ी में बढ़ते तनाव को कम करने के लिए क्षेत्रीय स्तर पर सही मायनों में संवाद स्थापित करने की आवश्यकता है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश से देशों को वार्ता की मेज़ तक लाने में सक्रिय भूमिका निभाने का अनुरोध किया है. सुरक्षा परिषद ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील जारी की है.

सोमवार को न्यूयॉर्क में सुरक्षा परिषद की बंद कमरे के भीतर एक बैठक हुई जिसमें अमेरिका और ईरान के बीच बिगड़ते रिश्तों पर चर्चा हुई है.

ईरान के स्थाई प्रतिनिधि ने न्यूयॉर्क में सुरक्षा परिषद चैम्बर के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि उन्होंने बैठक में हिस्सा लेने की मंशा जताई थी लेकिन उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया.

इसका दोष उन्होंने अमेरिका पर मढ़ा है जिसे 15 सदस्य देशों वाली सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता प्राप्त है. उन्होंने कहा कि ईरान ना तो युद्ध चाहता है और ना ही क्षेत्र में तनाव को बढ़ाना चाहता है.

“ईरान पर और ज़्यादा प्रतिबंध लगाने का अमेरिका का फ़ैसला ईरान के नेताओं और लोगों के विरूद्ध अमेरिका की दुश्मनी जारी रहने का संकेत है. फ़ारस की खाड़ी के क्षेत्र में तनाव को दूर करने के लिए अमेरिका को सैन्य दुस्साहस से पीछे हटना होगा और आर्थिक युद्ध रोकना होगा.”

अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि हाल के हफ़्तों में ईरान दो अलग-अलग घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार है. स्ट्रेट ऑफ़ होरमुज़ और ओमान की खाड़ी में छह तेल टैंकरों पर हमलों का आरोप ईरान पर लगाया गया है लेकिन ईरान ने इस आरोप को सिरे से ख़ारिज कर दिया है.

ईरान की सेना ने पिछले सप्ताह एक मानवरहित अमेरिकी ड्रोन को ध्वस्त कर दिया था. अमेरिका का दावा है कि ड्रोन द्वारा खाड़ी में अंतरराष्ट्रीय जल सीमा को पार न किए जाने के बावजूद उसे निशाना बनाया गया. लेकिन ईरानी प्रतिनिधि ने सोमवार को दोहराया कि ईरानी वायुसीमा में प्रवेश करने पर ही ड्रोन को गिराया गया.

बंद कमरे में हुई बैठक के बाद कार्यवाहक अमेरिकी दूत जोनेथन कोहेन ने बताया कि “हमारे और दुनिया के लिए यह स्पष्ट है कि 12 मई और 13 जून को फ़ारस की खाड़ी में जहाज़ों पर हमलों के लिए ईरान ज़िम्मेदार है. इस तरह के हमलों से दुनिया के इस अहम जलमार्ग से वाणिज्य और आवाजाही की आज़ादी के लिए ख़तरा पैदा होता है.”

अमेरिकी दूत के मुताबिक़ ड्रोन ने ईरानी वायुसीमा का अतिक्रमण नहीं किया था. “ईरान को समझना होगा कि इस तरह के हमले अस्वीकार्य हैं. यह वो समय है जब दुनिया हमारे साथ आकर ऐसा कहे. ईरान को वार्ता की मेज़ पर वापस लाने के लिए आर्थिक और कूटनीतिक प्रयासों की हमारी नीति बनी रहेगी.”

ईरानी दूत ने इससे पहले कहा था कि जब तक उनके देश के ख़िलाफ़ प्रतिबंध और धमकियां जारी रहती हैं, अमेरिका के साथ बातचीत नहीं की जाएगी.

'मज़बूत इरादों से दूर हो सकता है तनाव'

संयुक्त राष्ट्र महासचिव के उपप्रवक्ता फ़रहान हक़ ने फ़ारस की खाड़ी क्षेत्र में जारी तनाव मुद्दे पर कहा कि यूएन प्रमुख ने इस संबंध में अपनी चिंताएं ज़ाहिर कर दी हैं. उन्होंने स्पष्ट किया है कि क्षेत्र में किसी भी तरह तनाव का बढ़ना विनाशकारी होगा.

“उन्होंने सभी पक्षों से इस्पाती इरादे दिखाने का आग्रह किया है और वह अपने इसी रुख़ पर बने हैं. वह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उकसावे वाली कार्रवाई से बचने के लिए प्रयास किए जाएं.”

बैठक के बाद कुवैत के दूत मंसूर अल-ओतैबी ने सुरक्षा परिषद की ओर से जारी एक अनौपचारिक वक्तव्य पढ़कर सुनाया जिसमें खाड़ी क्षेत्र मे तेल टैंकरों पर किए गए हमलों की निंदा की गई है.

बयान में इन हमलों को समुद्र में जहाज़ों की आवाजाही, ऊर्जा आपूर्ति और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए ख़तरा बताया गया है.

परिषद ने संबंधित पक्षों और क्षेत्र में स्थित देशों से अधिकतम संयम बरतने और तनाव कम करने के लिए क़दम उठाने के लिए कहा है.

साथ ही आपसी मतभेदों को शांतिपूर्ण ढंग से संवाद के ज़रिए सुलझाने की अपील की गई है.