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म्यांमार में इंटरनेट पर लगी पाबंदी को तत्काल हटाने की अपील

इस परिवार ने म्यांमार से भागकर बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार में शरण ली है.
UNHCR/Santiago Escobar-Jaramillo
इस परिवार ने म्यांमार से भागकर बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार में शरण ली है.

म्यांमार में इंटरनेट पर लगी पाबंदी को तत्काल हटाने की अपील

मानवाधिकार

म्यांमार के कुछ इलाक़ों में मीडिया की पहुंच नहीं होने और मानवाधिकार संगठनों पर गंभीर पाबंदियां लगाए जाने की ख़बरें मिली हैं. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत यैंगही ली ने म्यांमार सरकार से अपना फ़ैसला बदलने और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बहाल करने का अनुरोध किया है.

म्यांमार सरकार ने राखीन और चिन प्रांतों में संघर्षग्रस्त नौ इलाक़ों में मोबाइल इंटरनेट पर पाबंदी लगा दी है. मानवाधिकार हनन के मामलों को सामने लाने और उनकी निगरानी करने में इस पाबंदी से मुश्किलें खड़ी हो गई हैं.

मानवाधिकार मामलों पर विशेष दूत ने कहा कि “पूरे इलाक़े में बंदिशें लगी हुई हैं. मैं आम लोगों के लिए चिंतित हूं जिनका संपर्क पूरी तरह कट गया है. वे क्षेत्र में और क्षेत्र के बाहर अन्य लोगों से बातचीत नहीं कर पा रहे.”

हाल के दिनों में मिली रिपोर्टों के अनुसार पिछले छह महीनों में दोनों पक्षों की ओर से मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानूनों के उल्लंघन के मामले सामने आए हैं.

गुरुवार को परिवहन और संचार मंत्रालय ने कहा था कि इंटरनेट सेवाओं का इस्तेमाल ग़ैरक़ानूनी गतिविधियों को संचालित करने में किया जा रहा था.

मंत्रालय के अनुसार ऐसी रिपोर्टें मिलने के बाद सभी मोबाइल इंटरनेट प्रदान करने वाली कंपनियों को अस्थाई रूप से सेवाएं निलंबित करने का आदेश दिया गया है.

कुछ दिन पहले मिली विश्वसनीय रिपोर्टों के हवाले से उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सेना यानी तटमडॉ ने केंद्रीय राखीन में मिनब्या टाउनशिप में हमलों के लिए हैलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया है.

उसके बाद विद्रोही संगठन अराकान आर्मी ने सित्वे में नौसेना के जहाज़ पर हमला किया जिसमें कई सैनिकों के हताहत होने की ख़बर है.

म्यांमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर विशेष यूएन दूत यैंगही ली.
UN Photo/Jean-Marc Ferré
म्यांमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर विशेष यूएन दूत यैंगही ली.

“मुझे बताया गया है कि तटमडॉ अब सफ़ाया करने के लिए अभियान चला रहे हैं. अब तक हम सब जान गए हैं कि यह आम लोगों के मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों पर पर्दा डालने के लिए भी हो सकता है.”

अराकान आर्मी और सुरक्षा बलों के बीच हिंसा साल 2018 के आख़िर से जारी है जिसका ख़ामियाज़ा आम लोगों को उठाना पड़ रहा है.

इस दौरान 35 हज़ार से ज़्यादा नागरिक विस्थापित हुए हैं और अनेक अन्य आम लोग हमलों में या तो मारे गए हैं या फिर घायल हुए. इनमें बच्चे भी शामिल हैं.

यूएन की दूत ने ध्यान दिलाया कि “हमें नहीं भूलना चाहिए कि ये वही सुरक्षा बल हैं जो राखीन प्रांत में दो साल पहले रोहिंज़्या के ख़िलाफ़ क्रूरतापूर्ण कार्रवाई के मामले में अभी तक जवाबदेही से बचते रहे हैं.”

यैंगही ली ने सरकार से फ़ैसला पलटने और मोबाइल इंटरनेट पर लगी रोक को हटाने की अपील की है. “मीडिया और मानवीय संगठनों पर पाबंदियों को तत्काल हटाया जाना चाहिए.”

“संघर्ष में शामिल दोनों पक्षों को आम लोगों और नागरिक प्रतिष्ठानों की हर समय सुरक्षा की जानी चाहिए और अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानूनों का पालन किया जाए.”

संयुक्त राष्ट्र उप प्रवक्ता फ़रहान हक़ ने न्यूयॉर्क में पत्रकारों को बताया कि यूएन को उम्मीद है कि ऐसी शर्तें तय की जा सकेंगी जिनसे रोहिंज्या शरणार्थियों की शांतिपूर्ण वापसी का रास्ता स्पष्ट हो सके.

इंटरनेट पर रोक लगाए जाने पर उन्होंने कहा कि विचारों और अभिव्यक्ति की आज़ादी सुनिश्चित की जानी चाहिए.