वेनेज़ुएला सरकार से बंदियों को रिहा करने की अपील

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बेशेलेट ने वेनेज़ुएला का दौरा करने के बाद सरकार का आहवान किया है कि उन सभी लोगों को रिहा कर दिया जाए जिन्हें शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के लिए गिरफ़्तार किया गया था. संयुक्त राष्ट्र के किसी मानवाधिकार विशेषज्ञ की ये पहली वेनेज़ुएला यात्रा थी. साथ ही उन्होंने कहा है कि देश में मानवाधिकारों की स्थिति पर निगरानी रखने के लिए उनके कार्यालय की एक टीम कराकस में मौजूद रहेगी.
मानवाधिकार उच्चायुक्त काफ़ी समय से अशांत चल रहे वेनेज़ुएला में बुधवार को पहुँची थीं. वेनेज़ुएला में मानवाधिकारों की स्थिति पर मार्च में भी मानवाधिकार परिषद में गंभीर चिंता जताई गई थी. इनमें शांतिपूर्ण प्रदर्शनों और भिन्न विचार व्यक्त करने को अपराध क़रार दिए जाने पर भी चिंता व्यक्त की गई थी.
शुक्रवार को प्रेस के साथ बातचीत में मिशेल बेशेलेट का कहना था कि वेनेज़ुएला सरकार इस बात पर सहमत हो गई है कि मानवाधिकार उच्चायुक्त के विशेषज्ञों का एक दल देश में मानवाधिकारों की स्थिति पर नज़र रखने के लिए तकनीकी सहायता व सलाह उपलब्ध कराएगा.
मिशेल बेशेलेट का कहना था, “पीडितों और उनके परिवारों के साथ हुई मेरी मुलाक़ात के दौरान ये बात बिल्कुल साफ़तौर पर सामने आई कि उनके मानवाधिकारों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन हुआ है और उन्होंने न्याय की गुहार लगाई.”
This has been a short, but crucial, visit for me. In this time of grave economic, social and political crisis, I call for bold steps towards compromise, to set aside short-term wins for medium-term & long-term gains for all of #Venezuela 🇻🇪 – @mbachelet 👉 https://t.co/2Q0TeQ8dGy pic.twitter.com/HLVqdvNZ7H
UNHumanRights
“मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे आकलन, सलाह और सहायता के ज़रिए लोगों की प्रताड़ना की रोकथाम और न्याय उपलब्ध कराने की प्रक्रिया मज़बूत होगी. सरकार भी हमारी टीम को बंदीगृहों में जाने, वहाँ रखे गए बंदियों से बातचीत करने और वहाँ की स्थिति पर लगातार नज़र रखने की गारंटी होगी.”
मिशेल बेशेलेट ने राष्ट्रपति मदुरौ, अन्य वरिष्ठ मंत्रियों और विपक्ष के नेता युआन गुवायडो से भी मुलाक़ात की.
याद रहे कि युआन गुवायडो ने जनवरी में ख़ुद को अंतरिम राष्ट्रपति घोषित कर दिया था जिसके बाद देश में राजनैतिक संकट गहरा गया था.
इस संकट की वजह से ही जून 2019 तक वेनेज़ुएला के लगभग 40 लाख लोग देश के निकलकर पड़ोसी देशों में पहुँच चुके हैं.
मिशेल बेशेलेट ने कहा, “मैंने मानवाधिकार उल्लंघन का शिकार हुए लोगों और उनके परिवारों से भी मुलाक़ात की. इनमें वो व्यक्ति भी था जिसने बताया कि उसके भाई को नक़ाब लगाए सुरक्षा अधिकारियों ने उनके घर पर छापा मारने के दौरान किस तरह से प्रताड़ित किया गया और अंततः उसकी हत्या कर दी गई.
अनेक अन्य परिवारों ने भी अपनी दास्तान सुनाई कि किस तरह उनके परिजनों को भारी तकलीफ़ का सामना करना पड़ा है.
“एक महिला ने आपबाती सुनाई कि किस तरह उसके 14 वर्षीय पुत्र को 30 अप्रैल को हुए प्रदर्शनों के दौरान गोली मार दी गई थी. बंदी बनाकर रखे गए लोगों ने भी अपने साथ ही भयावह प्रताड़ना की आपबीती सुनाई.”
मिशेल बेशेलेट का ये भी कहना था कि उन्होंने सरकार के समर्थकों के साथ हुई हिंसा के पीड़ितों से भी मुलाक़ात की है.
सरकार समर्थक एक महिला के युवा पुत्र को 2017 में हुई हिंसा में हुए प्रदर्शनों के दौरान आग की भेंट कर दिया गया था. उस युवा को 15 दिन एक अस्पाल में ज़िंदगी और मौत के बीच जूझना पड़ा, मगर आख़िरकार मौत से जीत ना सका.
प्रदर्शनों और हिंसा के शिकार हुए तमाम लोगों की बातों ये स्पष्ट हुआ है कि वेनेज़ुएला में मानवीय स्थिति किस तरह बेहद ख़राब हो गई है.
इनमें लोगों को पर्याप्त मात्रा में खाने-पीने का सामान भी नहीं मिल पा रहा है, स्वास्थ्य सेवाएँ चरमराने लगी हैं, शिक्षा संस्थान ठप पड़ने के कगार पर हैं और लोगों के आर्थिक व सामाजिक अधिकार भी संकट में पड़ गए हैं.
देश के राष्ट्रीय बजट का लगभग 75 फ़ीसदी हिस्सा सभी नागरिकों के कल्याण वाले कार्यक्रमों पर ख़र्च हो रहा है.
लेकिन ऐसा भी सुनने में आया है कि जो लोग सरकारी क्षेत्रों में पूर्णकालिक रोज़गार में हैं, उनके पास भी दवाइयों और भोजन के लिए समुचित धन नहीं है.
मानवाधिकार उच्चायुक्त का कहना था कि वेनेज़ुएला में स्वास्थ्य सेवाओं के ढाँचा चरमराने लगा है. चिकित्सा सेवाओं पर ख़र्च बहुत बढ़ गया है, दवाइयाँ आसानी से नहीं नहीं हैं और किशोरावस्था में ही लड़कियों के गर्भवती होने के मामले बढ़ रहे हैं. इस वजह से कम उम्र में ही जच्चा-बच्चा के ख़राब स्वास्थ्य और मौतों के मामले भी बढ़ रहे हैं.
“मैंने सरकार से आग्रह किया है कि स्वास्थ्य सेवाओं और अन्य आर्थिक व सामाजिक अधिकारों की स्थिति के बारे में और ज़्यादा जानकारी व आँकड़े सार्वजनिक मंचों पर उपलब्ध कराए जाएँ ताकि स्थिति का सही आकलन किया जा सके और ज़रूरतें पूरी करने के लिए ठोस उपाय किए जा सकें.”
देश में प्रभावित स्थानों पर संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों की मौजूदगी का ज़िक्र करते हुए मानवाधिकार प्रमुख ने कहा कि कई तरह के संकट एक साथ पैदा होने के कारणों पर ध्यान देने और उनका समाधान तलाश करने पर ज़ोर दिया गया है.
साथ ही उन्होंने कहा कि अमरीका ने वेनेज़ुएला के तेल निर्यात व सोना व्यापार पर जो प्रतिबंध लगा रखे हैं, उनकी वजह से भी पहले से ही मौजूद आर्थिक संकट और ज़्यादा गहरा गया है.
उन्होंने तमाम सक्षम नेताओं का आहवान किया कि वेनेज़ुएला के संकट का समाधान निकालने के लिए रास्ते निकालें ताकि लोगों को तकलीफ़ों से छुटकारा दिलाया जा सके.
मानवाधिकार उच्चायुक्त का कहना था, “वेनेज़ुएला के तीन करोड़ से भी ज़्यादा नागरिकों का भविष्य और नियति राजनैतिक नेताओं की इच्छा पर निर्भर हो गया है कि वो लोगों के मानवाधिकारों को अपनी निजी, वैचारिक व राजनैतिक महत्वकांक्षाओं का त्याग करने के लिए तैयार हैं या नहीं.”
उनका ये भी कहना था कि कई वर्षो से जारी उथल-पुथल व संकट के कारण संशय और संदेह का माहौल बन गया है और ऐसे हालात में कोई राजनैतिक सुलह-सफ़ाई मुश्किल नज़र आती है.
“मैं राजनैतिक समझ और आपसी सुलह-सफ़ाई के लिए सभी का आहवान करती हूँ, पूरे देश व नागरिकों की भलाई और दीर्घकालीन लाभों की ख़ातिर सभी पक्ष अपने छोटे-छोटे फ़ायदों को दरकिनार कर दें.”
उनका इशारा सरकारी और विपक्षी प्रतिनिधियों के बीच नॉर्वे में चल रही शांति वार्ता की तरफ़ था.