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यौन उत्पीड़न: हादसों के अंधेरों से उम्मीद की किरण

संयुक्त राष्ट्र के ट्रस्ट कोष ने यौन उत्पीड़न के पीड़ितों की कई तरह से मदद की है जिसमें आजीविका के साधन बढ़ाने के लिए वित्तीय मदद भी शामिल है. ये काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक पीड़ित की तस्वीर है. (अक्तूबर 2018)
MONUSCO/Michael Ali
संयुक्त राष्ट्र के ट्रस्ट कोष ने यौन उत्पीड़न के पीड़ितों की कई तरह से मदद की है जिसमें आजीविका के साधन बढ़ाने के लिए वित्तीय मदद भी शामिल है. ये काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एक पीड़ित की तस्वीर है. (अक्तूबर 2018)

यौन उत्पीड़न: हादसों के अंधेरों से उम्मीद की किरण

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों और उनके बैनर तले काम करने वाले लोगों द्वारा यौन शोषण और उत्पीड़न का शिकार हुए लगभग तीन हज़ार 340 महिलाओं, बच्चों और पुरुषों को सहारा और समर्थन देकर उनकी ज़िंदगी फिर से पटरी पर लाने में कामयाबी मिली है. 2016 में गठित किए गए संयुक्त राष्ट्र ट्रस्ट कोष की बदौलत ये संभव हो सका है.

शुक्रवार 21 जून को इस ट्रस्ट कोष की संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक बैठक हुई जिसमें अभी तक हुई प्रगति की समीक्षा की गई. साथ ही सदस्य देशों से इस ट्रस्ट कोष के लिए और ज़्यादा धन देने के भी वादे लिए गए.
 
संयुक्त राष्ट्र प्रबंधन विभाग की प्रमुख जैन बीगल का इस मौक़े पर कहना था, “पिछले कुछ वर्षों के दौरान मैंने जहाँ कहीं भी यात्रा की है, मुझे उन महिलाओं, लड़कियों और पुरुषों से हुई मुलाक़ातों की याद कचोटती रहती है जिन्हें यौन हिंसा का शिकार होना पड़ा है. इतना ही नहीं, उन्हें अक्सर अपने ही समुदायों को कोपभाजन का भी सामना करना पड़ा है.”
“लेकिन बड़ी तसल्ली की बात ये है कि यौन हिंसा का शिकार होने वाले लोगों ने जिस हिम्मत और हौसले से अपने जीवन को फिर से संगठित करके आगे बढ़ने का फ़ैसला किया, वो बहुत प्रेरणा देने वाला है.”
 
जैन बीगल ने ज़ोर देकर कहा कि किसी भी तरह के यौन शोषण, उत्पीड़न व यौन हिंसा पर रोकथाम के लिए संयुक्त राष्ट्र के पास हर क्षेत्र में आदर्श मानक स्थापित करने की ज़िम्मेदारी है. साथ ही यौन हिंसा के शिकार लोगों पर इसके प्रभावों का असरदार तरीक़े से समाधान निकालना भी ज़रूरी है.
 
ताज़ा आँकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 की पहली तिमाही में संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों पर 37 मामलों में यौन उत्पीड़न, यौन हिंसा और यौन शोषण के आरोप लगाए गए. इनमें संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले काम करने वाले वर्दीधारी शांति सैनिक और अन्य एजेंसियों में काम करने वाले कर्मचारी भी शामिल थे. इन सभी मामलों की सघन जाँच जारी है.
 
उबारने के लिए विशेष कोष
 
यौन शोषण व उत्पीड़न के पीड़ितों की मदद के लिए बनाया गया ट्रस्ट फ्रंड उन उपायों का एक हिस्सा है जो संयुक्त राष्ट्र ने हाल के वर्षो में सामने आई अभिशाप जैसी इस चुनौती का सामना करने के लिए किए हैं. इस फंड का मक़सद पीड़ितों को अपनी ज़िंदगी फिर से पटरी पर लाने के लिए वित्तीय मदद करना है. साथ ही संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों द्वारा यौन शोषण, उत्पीड़न व यौन हिंसा के परिणामस्वरूप पैदा हुए बच्चों को भी वित्तीय सहायता मुहैया कराना है.
 
यौन शोषण और उत्पीड़न के शिकार लोगों की मदद के लिए संयुक्त राष्ट्र ट्रस्ट फंड
फ़ोटो: संयुक्त राष्ट्र
यौन शोषण और उत्पीड़न के शिकार लोगों की मदद के लिए संयुक्त राष्ट्र ट्रस्ट फंड
वर्ष 2016 के बाद से ही इस ट्रस्ट कोष को मिलने वाले लगभग 20 लाख डॉलर की रक़म से पीड़ितों को अनेक तरह से सशक्त बनाने और आमदनी वाली परियोजनाएँ शुरू करने में मदद मिल सकी है. अभी तक 19 देशों ने इस कोष में धन दिया है. इसके अलावा लगभग चार लाख डॉलर की रक़म संयुक्त राष्ट्र के उन अभियुक्त कर्मचारियों की धन व संपत्ति ज़ब्त करके जुटाई गई है जिन पर यौन शोषण, उत्पीड़न व यौन हिंसा के आरोप लगे.
 
फिलहाल पीड़ितों की मदद के लिए ये मुख्य परियोजनाएँ चलाई जा रही हैं...  
  • काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में दो परियोजनाओं के ज़रिए सामुदायिक क्षमताएँ बढ़ाने के लिए चलाई गई हैं जिनसे अनेक पीड़ितों को रोज़गार मिल सका है.
  • मध्य अफ्रीकी गणराज्य में भी दो परियोजनाओं के ज़रिए पीड़ितों को अपने मुक़दमे लड़ने के लिए वित्तीय सहायता मुहैया कराई जा रही है जो दो वर्ष तक जारी रहेगी.
  • एक परियोनजा लाइबेरिया में चल रही है.
अवर महासचिव जैन बीगल ने बताया कि काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, हेती, दक्षिण सूडान और मध्य अफ्रीकी गणराज्य में यौन शोषण व उत्पीड़न के पीड़ितों को और ज़्यादा सहायता मुहैया कराने के लिए कुछ अन्य प्रस्ताव दिए गए हैं जिनकी समीक्षा की जा रही है.
 
अभी तक लागू की गई परियोजनाओं से लगभग तीन हज़ार 340 पीड़ितों को फ़ायदा पहुँच सका है. जैन बीगल ने इस ट्रस्ट कोष के सक्रिय होने के पहले दो वर्ष के दौरान सीखे गए सबक का भी ज़िक्र किया. इसमें पहला ये बहुत ज़रूरी है कि पीड़ितों से सहानुभूतिपूर्वक रवैया अपनाया जाए और उनके मनोस्थिति को ध्यान में रखकर ही कोई सहायता मुहैया कराई जाए.
 
सदस्यों देशों की ओर से ऐसे पीड़ितों को वित्तीय सहायता देने में लचीलापन बरता जाए और सहायता देने के लिए कोई समय बंधन ना रखा जाए. साथ ही पीड़ितों की सहायता के लिए चलाई जा रही परियोजनाओं को अन्य कार्यक्रमों में समाहित कर दिया जाए ताकि लंबे समय तक उनके फ़ायदे मिल सकें.
 
2017 में शुरु की गई महासचिव की रणनीति में सबसे पहले तो संयुक्त राष्ट्र के भीतर ही मौजूद समस्याओं पर ध्यान देने की बात कही गई. इनमें संयुक्त राष्ट्र के शांतिरक्षक और ऐसे संगठन वे एजेंसियाँ भी शामिल हैं जो संयुक्त राष्ट्र व सुरक्षा परिषद के आदेशों को लागू करने के लिए काम करते हैं.
 
इस दायरे में संयुक्त राष्ट्र के लगभग 90 हज़ार कर्मचारी आते हैं जो 30 विभिन्न एजेंसियों और विभागों में काम करते हैं. साथ ही लगभग एक लाख वर्दीधारी कर्मचारी भी शामिल हैं.