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'सामूहिक सुरक्षा को ख़तरा' है हिंसा और संघर्ष के दौरान यौन हिंसा

दक्षिण सूडान में यौन हिंसा की समस्या को एक नाटक के ज़रिए समझाते कुछ छात्र.
UNMISS/Isaac Billy
दक्षिण सूडान में यौन हिंसा की समस्या को एक नाटक के ज़रिए समझाते कुछ छात्र.

'सामूहिक सुरक्षा को ख़तरा' है हिंसा और संघर्ष के दौरान यौन हिंसा

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि अशांत इलाक़ों में यौन हिंसा हमारी सामूहिक सुरक्षा के लिए एक ख़तरा और साझा मानवीयता पर एक कलंक है. हिंसा और संघर्ष में यौन हिंसा के उन्मूलन के अंतरराष्ट्रीय दिवस पर उन्होंने पीड़ितों की आवाज़ों को सुनने और उनकी ज़रूरतों को पहचाने जाने पर ज़ोर दिया है.

यूएन प्रमुख ने कहा कि यौन हिंसा के ज़रिए लोगों को आतंकित और समाजों को अस्थिर किया जाता है. इसके दुष्प्रभावों की प्रतिध्वनि कई पीढ़ियों तक गूंजती है और प्रभावितों को सदमे, कलंक, ग़रीबी, बीमारियों और अनचाहे गर्भ जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

उन्होंने कहा कि अधिकतर मामलों में पीड़ित महिलाएं और लड़कियां होती हैं लेकिन पुरुषों और लड़कों को भी इसका सामना करना पड़ता है. ऐसे लोगों को सहारा देने के लिए जीवनरक्षक स्वास्थ्य सेवाओं, न्याय और क्षतिपूर्ति की ज़रूरत होती है.

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि इस दिवस पर उनका भी सम्मान किया जाता है जो अग्रिम मोर्चों पर काम कर रहे हैं और सीधे तौर पर पीड़ितों को ज़िंदगी फिर शुरू करने में मदद कर रहे हैं.

“वैश्विक स्तर पर हमारी जवाबी कार्रवाई में सम्मिलित प्रयासों पर ज़ोर होना चाहिए ताकि दोषियों की जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके – और इन अत्याचारों को बढ़ावा देने वाली लैंगिक असमानताओं को भी दूर किया जा सके.”

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि एक साथ मिलकर हमें सज़ा के डर के बिना ऐसे अपराधों को अंजाम देने की प्रवृत्ति को हटाकर न्याय को स्थापित करना होगा और बेपरवाही के बजाए कार्रवाई पर बल देना होगा.

हिंसा के दौरान यौन हिंसा पर यूएन की विशेष प्रतिनिधि प्रमिला पैटन और विदेश मामलों और सुरक्षा नीति पर योरोपीय संघ की उच्च प्रतिनिधि ने इस अंतरराष्ट्रीय दिवस पर एक साझा संदेश जारी कर कहा है कि हिंसा और संघर्ष के दौरान यौन हिंसा मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है जिसके हानिकारक शारीरिक, मानसिक और सामाजिक नतीजे हो सकते हैं. इनसे आर्थिक विकास, सामाजिक तानेबाने और टिकाऊ शांति और सुरक्षा के रास्ते में बाधाएं पैदा होती हैं.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि युद्ध और शांति काल में महिलाओं और लड़कियों को व्यापक रूप से पहला निशाना बनाया जाता है लेकिन इसका दंश पुरुषों और लड़कों को भी झेलना पड़ता है.

“यौन हिंसा एक अपराध है जिसकी रोकथाम की जा सकती है. ऐसा नहीं है कि इन्हें होने से रोका ना जा सके." 

संयुक्त राष्ट्र और योरोपीय संघ पीड़ितों को हरसंभव मदद देने के लिए तैयार हैं ताकि उनके जीवन को फिर से संवारा जा सके और परिवारों और समुदायों में आजीविका के नए साधन उपलब्ध कराए जा सकें.

दोनों अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि सुरक्षा परिषद ने 'पीड़ित आधारित  कार्रवाई' का आग्रह किया है जिससे प्रभावितों को सशक्त बनाने और सामाजिक बहिष्कार, कलंक और बदले की भावना से प्रेरित हमलों जैसे ख़तरों को कम किया जा सके.

 “पीड़ितों तक व्यापक रूप से गुणवत्तापूर्ण सेवाओं – मेडिकल सेवा, यौन और प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी सेवा, मनोवैज्ञानिक सहारा, क़ानूनी सलाह और आजीविका के साधन - तक पहुंच सुनिश्चित करना बेहद अहम है.

लेकिन ठोस कार्रवाई तभी स्थायी असर डाल सकती है जब उसके साथ सामाजिक रवैयों में भी बदलाव आए. इसके लिए जागरूकता का प्रसार करने, पीड़ितों की आवाज़ को सुने जाने और निर्णय लेने की और शांति प्रक्रिया में महिलाओं की हिस्सेदारी सुनिश्चित किया जाना ज़रूरी होगा.

“हानिकारक लैंगिक प्रथाओं को चुनौती देने और यौन हिंसा की रोकथाम करने में देशों, अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज, सभी की एक भूमिका है.” उन्होंने कहा कि यौन हिंसा के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए सभी को मिलजुलकर काम करना होगा और पीड़ितों को न्याय, संरक्षण और सेवाएं उपलब्ध कराने की गारंटी देनी होगी.

“उनकी आवाज़ों, अधिकारों और ज़रूरतों के आधार पर हमारी कार्रवाई का खाका तैयार किया जाना चाहिए ताकि समानतापूर्ण और शांतिपूर्ण समाजों को प्रोत्साहित किया जा सके.”