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लीबिया: शरणार्थी और प्रवासी 'भयावह हालात' में रहने को मजबूर

पिछले साल सितंबर से अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है.
UNICEF/UN052682/Romenzi
पिछले साल सितंबर से अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है.

लीबिया: शरणार्थी और प्रवासी 'भयावह हालात' में रहने को मजबूर

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने चिंता जताई है कि टीबी जैसी घातक बीमारी से पीड़ित प्रवासियों और शरणार्थियों को लीबिया की राजधानी त्रिपोली के एक हिरासत केंद्र में मरने के लिए छोड़ा जा रहा है. लीबिया में राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा के बीच प्रवासी और शरणार्थी बेहद विकट परिस्थितियों में रह रहे हैं.

त्रिपोली और उसके आस-पास के इलाक़ों में लीबियाई नेशनल आर्मी के जनरल ख़लीफ़ा हफ़्तार के वफ़ादार सैनिकों और अंतरिम सरकार के सुरक्षा बलों में लड़ाई जारी है. जनरल हफ़्तार लीबिया के पूर्वी शहर बेनग़ाज़ी में समानातंर प्रशासन चलाते हैं और अन्य इलाक़ों पर नियंत्रण के लिए उन्होंने कुछ हफ़्ते पहले त्रिपोली का रुख़ किया है.

मानवाधिकार कार्यालय के प्रवक्ता रूपर्ट कोलविले ने बताया कि त्रिपोली के पास ज़िन्तान केंद्र पर पिछले सितंबर से अब तक टीबी और अन्य बीमारियों से अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है जिसे रोका जा सकता था. 

“तपेदिक को एक जानलेवा बीमारी नहीं होना चाहिए, लेकिन इन हालात में यह स्पष्ट है कि इससे लोगों की मौत हो रही है और अन्य लोगों की जान का जोखिम बना हुआ है.”

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मानवाधिकार कार्यालय के प्रवक्ता ने क्षोभ जताया कि ज़िन्तान केंद्र पर अमानवीय हालात बने हुए हैं और आशंका जताई गई है कि वहां लोगों को यातनाएं दी गई हैं.

कुछ प्रवासियों को जबरन मज़दूरी के लिए बेच दिया गया जबकि कुछ अन्य ने तस्करों के हाथों में पड़कर यूरोप जाने की कोशिशें की.

“लोगों के गायब होने और मानव तस्करी की रिपोर्टों के सामने आने से हम अत्यधिक चिंतित हैं. कुछ लोगों को लीबियाई तटरक्षकों ने पकड़ा और उन्हें फिर वापस लीबिया ले जाया गया.”

30 अप्रैल से अब तक 2,300 लोगों को भूमध्यसागर में पकड़ा जा चुका है और फिर उन्हें हिरासत केंद्रों में रखा जाएगा. लीबियाई तटरक्षकों के मुताबिक़ सैकड़ों लोगों को अल खोम्स के एक केंद्र भेजा गया है जिसकी निगारनी यूएन से मान्यता प्राप्त एक सरकारी विभाग करता है.

इस केंद्र पर 23 मई को 200 लोगों को भेजा गया था लेकिन अल खोम्स पर अब सिर्फ़ 30 प्रवासियों के होने की बात कही जा रही है. इन घटनाओं पर चिंता ज़ाहिर करते हुए मानवाधिकार कार्यालय ने लापता लोगों के लिए जांच शुरू करने की अपील की है.

कुछ महिलाओं का यौन शोषण होने की बात भी सामने आई है जो दर्शाता है कि लीबिया में प्रवासियों और शरणार्थियों को भयावह चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

यूएन मानवाधिकार कार्यालय के प्रवक्ता के अनुसार त्रिपोली में फ़िलहाल 3,400 प्रवासियों और शरणार्थियों को हिरासत में रखा गया है. “लीबिया की यह ज़िम्मेदारी बनती है कि वह उन लोगों को सुरक्षा को प्रदान करे जो आजादी से वंचित हैं, और उन्हें स्वास्थ्य सेवा भी सुनिश्चित की जानी होगी.”