15 साल की उम्र से पहले हुआ दो करोड़ लड़कों का विवाह

बाल विवाह की समस्या से लड़कियां ज़्यादा पीड़ित हैं.
UNICEF/Kiran Panday
बाल विवाह की समस्या से लड़कियां ज़्यादा पीड़ित हैं.

15 साल की उम्र से पहले हुआ दो करोड़ लड़कों का विवाह

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि विश्व भर में 11.5 करोड़ लड़कों और पुरुषों का विवाह बचपन में ही कर दिया गया. इनमें 2.3 करोड़ लड़कों की शादी 15 साल का होने से पहले ही कर दी गई. यह पहली बार है जब बाल दूल्हों की समस्या का नज़दीकी सेअध्ययन किया गया है. जो बच्चे इस समस्या का शिकार हुए वे निर्धनतम परिवारों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और पढ़े-लिखे नहीं होते. 

यूनीसेफ़ ने 82 देशों से मिले आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है जिसमें कुल मिलाकर 76.5 करोड़ बाल विवाह होने का अनुमान जताया गया है.

यूएन एजेंसी के कार्यकारी निदेशक हेनरिएटा फ़ोर ने कहा कि “विवाह बचपन चुरा लेता है. बाल वरों को छोटी उम्र में ही बालिगों की ज़िम्मेदारी संभालने के लिए मजबूर होना पड़ता है जिसके लिए वो शायद तैयार नहीं होते.”

रिपोर्ट के अनुसार लड़कों की कम उम्र में शादी कर दिए जाने की समस्या जिन देशों में व्याप्त हैं उनमें सब-सहारा अफ़्रीका, लातिन अमेरिका, कैरिबियन, दक्षिण एशिया, पूर्वी एशिया और पैसिफ़िक के देश शामिल हैं. मध्य अफ़्रीकी गणराज्य में 28 फ़ीसदी पुरुषों की शादी तभी कर दी गई थी जब वे बच्चे थे.

बाल दूल्हों के मामलों में यह देश पहले स्थान पर है. दूसरे स्थान पर निकारागुआ है जहां 19 फ़ीसदी पुरुषों की शादी कम उम्र में हुई और मेडागास्कर (13) फ़ीसदी का स्थान तीसरा है.

यूनीसेफ़ ग्लोबल डाटाबेस.
UNICEF
यूनीसेफ़ ग्लोबल डाटाबेस.

“जल्दी शादी होने से लड़के पिता भी जल्दी बन जाते हैं और उन पर परिवार का ख़्याल रखने का दबाव बढ़ जाता है. इससे उनकी शिक्षा और रोज़गार के अवसर कम हो जाते हैं.” नई रिपोर्ट में बाल विवाह की समस्या से पीड़ित लड़कों और पुरुषों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है लेकिन लड़कियां बड़ी संख्या में इससे पीड़ित हैं.

20 से 24 साल की उम्र की हर पांच में से एक युवती की शादी 18वां जन्मदिन मनाने से पहले ही कर दी गई. जबकि पुरुषों में हर तीस में से एक युवक की शादी 18 साल का होने से पहे हुई.

छोटी उम्र में ही लड़कियों की शादी कर दिए जाने की व्यापकता, उसके कारणों और प्रभावों पर विस्तृत रूप से अध्ययन किया गया है लेकिन बाल दूल्हों के विषय पर शोध कम ही हुआ है.

इतना स्पष्ट है कि जो बच्चे इस समस्या का शिकार होते हैं वे निर्धनतम परिवारों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और पढ़े-लिखे नहीं होते.

यूनीसेफ़ प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि “बाल अधिकारों पर संधि के पारित होने की 30वीं वर्षगांठ पर हमें ध्यान रखने की आवश्यकता है कि लड़के-लड़कियों की बचपन में ही शादी करना उस संधि में सुनिश्चित किए गए अधिकारों के अनुरूप नहीं है.

उन्होंने कहा कि बाल अधिकारों के इस उल्लंघन का अंत करने के लिए और रिसर्च, निवेश और सशक्तिकरण की ज़रूरत है.