छह लाख अफ़ग़ान बच्चे कुपोषण से मौत के कगार पर

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यूनीसेफ़ ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में मदद के लिए अगर तुरन्त क़रीब 70 लाख डॉलर की रक़म मुहैया नहीं कराई गई तो देश में गंभीर कुपोषण के शिकार लाखों बच्चों की मौत हो सकती है.
जिनेवा में यूनीसेफ़ प्रवक्ता क्रिस्टोफ़े बॉलियेरेक ने युद्ध ग्रस्त देश अफ़ग़ानिस्तान में मानवीय स्थिति को ज़मीन पर सबसे ख़राब हालात में से एक बताया.
प्रवक्ता ने आगाह करते हुए कहा कि देश में हिंसा में बढ़ोत्तरी और साल 2018 में पड़े भीषण सूखे के हालात ने देश में भर में पाँच वर्ष से कम उम्र के लाखों बच्चों को मौत के नज़दीक पहुँचा दिया है.
देश में इस समय क़रीब बीस लाख ऐसे बच्चे गंभीर कुपोषण के शिकार हैं, इनमें से क़रीब छह लाख बच्चे तो अत्यन्त गंभीर कुपोषण की चपेट में हैं, यानी वो मौत के मुँह से कुछ ही दूर हैं.
Two million children in #Afghanistan suffer from acute malnutrition. Many of them depend on @UNICEF as the sole source of support, explains spokesperson @ChrisBoulierac. pic.twitter.com/I9d8EyebmM
UNGeneva
प्रवक्ता का कहना था कि अत्यन्त गंभीर कुपोषण के शिकार बच्चों को आपात स्तर पर चिकित्सा और देखभाल की ज़रूरत होती है, अन्यथा उनकी मौत होने का बहुत अंदेशा रहता है.
अफ़ग़ानिस्तान में बच्चों के कुपोषण का संकट इसी तरह के अनेक देशों के समान हो गया है जिनमें दक्षिणी सूडान से लेकर यमन और काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य शामिल हैं. लेकिन अगर तुरन्त धन मुहैया नहीं कराया गया तो हालात बहुत ख़तरनाक़ हो सकते हैं.
यूनीसेफ़ प्रवक्ता का कहना था, “अत्यन्त गंभीर कुपोषण के शिकार बच्चों को समुचित इलाज कराने वाली संस्था सिर्फ़ यूनीसेफ़ ही है. ऐसे बच्चों की संख्या कई वर्षों से जस की तस बनी हुई है, यानी हालात में कुछ सुधार नहीं हुआ है."
"अगर इन बच्चों का सही समय पर सही इलाज करने के लिए समुचित धन नहीं मुहैया कराया गया तो अत्यन्त गंभीर कुपोषण के शिकार बच्चे ये इलाज पाने के लिए जीवित ही नहीं बचेंगे.”
अफ़ग़ानिस्तान में ये हालात क़रीब चार दशकों के आन्तरिक संकट और असुरक्षा हालात की वजह से पैदा हुए हैं.
यूनीसेफ़ देश के 34 प्रान्तों में स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया कराता है जिसमें ज़रूरी दवाएँ भी शामिल होती हैं.
यूनीसेफ़ का कहना है कि साल 2019 के दौरान क़रीब 38 लाख बच्चों को आपात सहायता व सुरक्षा की ज़रूरत होगी. जबकि साल 2018 के दौरान क़रीब 2 लाख 89 हज़ार बच्चे हिंसा की वजह से विस्थापित हो गए थे.
इनके अलावा, यूनीसेफ़ के विचार में, हर तीन में से एक बच्चे को ऐसी मनोवैज्ञानिक बीमारियों का सामना करना पड़ा है जिसमें लगातार मौत या गंभीर रूप से बीमार होने का ख़तरा बना रहता है.
यूनीसेफ़ प्रवक्ता का कहना था, “संस्था साल 2019 के दौरान इनमें से क़रीब 60 फ़ीसदी बच्चों तक स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाना चाहती है, यानी 100 फ़ीसदी बच्चों की मदद नहीं की जा सकती है, हम चाहते हुए भी ऐसा नहीं कर सकते. और ये बेहद चिन्ता की बात है."
"अगर तीन सप्ताहों के भीतर क़रीब 70 लाख डॉलर की रक़म नहीं मिली तो देश भर के क़रीब 1300 स्वास्थ्य केन्द्रों को ये चिकित्सा सुविधाएँ और सेवाएँ नहीं मिल पाएंगी.”
अफ़ग़ानिस्तान में सामान्य स्वास्थ्य के लिए कुपोषण की ज़रूरतें पूरी करने के लिए यूनीसेफ़ को वर्ष 2019 के दौरान क़रीब दो करोड़ 60 लाख डॉलर की रक़म की ज़रूरत होगी.
प्रवक्ता का कहना था, “हम ये नहीं बता सकते कि कितने बच्चों की मौत होगी, मगर हम ये कह सकते हैं कि जब कोई बच्चा अत्यन्त गंभीर कुपोषण का शिकार होता है तो उसकी मौत की संभावना एक स्वस्थ बच्चे के मुक़ाबले 11 गुना ज़्यादा होती है.”
प्रवक्ता ने ये भी कहा कि किसी भी तरह का कुपोषण की वजह से लोगों के शरीर में बीमारियों का मुक़ाबला करने की क्षमता कम हो जाती है.
अफ़ग़ानिस्तान में ये हालात ख़ासतौर से चिन्ताजनक हैं क्योंकि वहाँ हर दो में से सिर्फ़ एक बच्चा यानी सिर्फ़ 50 फ़ीसदी बच्चों को कुपोषण और बीमारियों से बचाने वाले ज़रूरी टीके और दवाएँ दी गई हैं.