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यौन और लिंग आधारित हिंसा से निपटने के लिए करोड़ों डॉलर की मदद

हर तीन में से एक महिला अपने जीवन में कभी न कभी यौन या लिंग आधारित हिंसा का सामना करती है.
UN Photo/Isaac Billy
हर तीन में से एक महिला अपने जीवन में कभी न कभी यौन या लिंग आधारित हिंसा का सामना करती है.

यौन और लिंग आधारित हिंसा से निपटने के लिए करोड़ों डॉलर की मदद

मानवाधिकार

यौन और लिंग आधारित हिंसा एक वैश्विक समस्या है जिससे बड़ी संख्या में लोगों और समुदायों का जीवन प्रभावित हो रहा है. हिंसा और प्राकृतिक आपदाओं से उपजे मानवीय संकटों के दौरान ऐसे मामले विशेष रूप से सामने आते हैं. शुक्रवार को नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में आयोजित एक सम्मेलन में 21 अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं ने इन अपराधों की रोकथाम और उपायों के लिए 36.3 करोड़ डॉलर मुहैया कराने की घोषणा की है.

हर तीन में से एक महिला अपने जीवन में कभी न कभी अपने जीवन में यौन या लिंग आधारित हिंसा का सामना करती है. इस समस्या से पुरुष और लड़के भी प्रभावित हैं.

हथियारबंद संघर्षों और प्राकृतिक आपदाओं से पैदा हुए मानवीय संकट दौरान ऐसी घटनाओं का जोखिम और बढ़ जाता है. घरेलू विस्थापन का शिकार और शरणार्थी महिलाओं में हर पांच में से एक महिला ने यौन हिंसा का अनुभव किया है.

इस समस्या से निपटने के लिए एकजुट प्रयासों के तहत, नॉर्वे, इराक़, सोमालिया और संयुक्त अरब अमीरात की सरकारों और संयुक्त राष्ट्र और इंटरनेशनल कमेटी ऑफ़ द रेडक्रॉस ने मिलकर इस समारोह का आयोजन किया जिसमें इस धनराशि की घोषणा की गई. साथ ही सैकड़ों की संख्या में राजनीतिक संकल्प भी लिए गए.

21 देशों ने 2019 और 2020 के लिए 36.3 करोड़ डॉलर की मदद का संकल्प लिया है. इसमें से 22.6 करोड़ डॉलर की राशि इस साल की प्राथमिकताओं के लिए जारी की जाएगी.

संकटग्रस्त देशों की यात्रा के दौरान संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के प्रमुख मार्क लोकॉक ने व्यापक पैमाने पर मानवाधिकारों के उल्लंघन और आम लोगों की पीड़ा को देखा है. उन्होंने कहा कि “यौन और लिंग आधारित हिंसा अब कोई छिपा हुआ डर नहीं है. यह सामने आ चुका है और मानवीय संकट के दौरान ऐसे घृणित मामलों से न निपटे जाने का कोई बहाना नहीं है.”

नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में यौन और लिंग आधारित हिंसा की रोकथाम के लिए आयोजित सम्मेलन.
OCHA
नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में यौन और लिंग आधारित हिंसा की रोकथाम के लिए आयोजित सम्मेलन.

उन्होंने कहा कि पीड़ितों और ऐसे अपराधों का शिकार बनने का जोखिम झेल रहे लोगों को मदद मुहैया कराए जाने की आवश्यकता है और उम्मीद जताई कि इन मुद्दों पर ज़मीनी काम करने वाले संगठनों को और फंडिंग मिलेगी.

2019 में 14 करोड़ लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता होगी. समस्या की गंभीरता के बावजूद इस हिंसा से संरक्षण के लिए प्रयासों को ज़रूरी वित्तीय मदद उपलब्ध नहीं है और मानवीय सहायता के लिए कुल आवंटित धन में इसका हिस्सा सिर्फ़ एक फ़ीसदी है.  

इन संकल्पों के ज़रिए नए मानक और क़ानूनी ढांचा स्थापित करने, यौन और लिंग आधारित हिंसा की रोकथाम और उपायों के लिए नई सेवाएं शुरू करने और कार्रवाई में बेहतर समन्वयन सुनिश्चित किया जाएगा.

क़ानूनी ढांचे और रणनीति को तैयार करने और उसके अमलीकरण पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है. साथ ही पीड़ितों की देखभाल के लिए ज़रूरी सेवाएं उपलब्ध कराने और संरक्षण प्रदान करने पर ध्यान दिया गया है.

कुछ समय पहले तक यौन और लिंग आधारित हिंसा को युद्ध का हिस्सा माना जाता था लेकिन अब इसे एक हथियार और अपराध के रूप में देखा जाता है.. बदले की कार्रवाई से बचने और कथित सामाजिक कलंक के भय से अब भी कई मामले सामने नहीं आ पाते जिससे समस्या की व्यापकता का अंदाज़ा लगाना आसान नहीं है.