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उच्च पदों पर महिलाओं की भागीदारी से कंपनियों को मुनाफ़ा

उच्च पदों पर महिलाओं के होने से कंपनियों को 20 फ़ीसदी ज़्यादा लाभ हो सकता है.
ILO/Marcel Crozet
उच्च पदों पर महिलाओं के होने से कंपनियों को 20 फ़ीसदी ज़्यादा लाभ हो सकता है.

उच्च पदों पर महिलाओं की भागीदारी से कंपनियों को मुनाफ़ा

महिलाएँ

शीर्ष पदों की ज़िम्मेदारी महिलाओं को देकर कंपनियां अपने प्रदर्शन में 20 प्रतिशत तक की बेहतरी ला सकती हैं. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है लेकिन रिपोर्ट दर्शाती है कि अधिकांश कंपनियों के बोर्डरूम में लैंगिक समानता के नाम पर अब भी खानापूर्ति ही हो रही है.

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की इस नई रिपोर्ट में 70 देशों की 13 हज़ार कंपनियों का अध्ययन किया गया है.  हर 10 में से छह कंपनियों ने माना कि लैंगिक विविधता से उनकी कंपनी के प्रदर्शन में सुधार आया है और उनकी सृजनात्मकता, नवप्रवर्तन (इनोवेशन) और प्रतिष्ठा में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.

प्रबंधन वाले पदों में लैंगिक विविधता पर नज़र रखने वाली कंपनियों में तीन चौथाई ऐसी कंपनियां हैं जिन्हें पांच से 20 प्रतिशत तक फ़ाय़दा हो रहा है. अधिकतर कंपनियों ने 10 से 15 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की है.

रिपोर्ट बताती है कि लाभ में वृद्धि के अलावा बोर्डरूम में एक से ज़्यादा महिला होने से कंपनियों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने में मदद मिलती है. साथ ही प्रारंभिक स्तर से लेकर वरिष्ठ पदों तक महिला प्रबंधकों की भागीदारी सुनिश्चित होती है.

इन सकारात्मक परिणामों के बावजूद सिर्फ़ एक तिहाई ही ऐसी कंपनियां हैं जिनके बोर्ड में महिलाओं की हिस्सेदारी 30 फ़ीसदी या उससे ज़्यादा है. महिलाओं की हिस्सेदारी कंपनी बोर्ड में 30 फ़ीसदी या उससे ज़्यादा होने को अहम माना गया है क्योंकि इससे अन्य वरिष्ठ पदों पर महिलाओं की नियुक्ति में आसानी होती है.

रिपोर्ट तैयार करने वालीं जै-ही चांग ने बताया कि, “शीर्ष पदों पर जो कुछ भी होता है उसका असर धीरे धीरे निचले स्तरों पर भी होने लगता है. यह कंपनियों के प्रदर्शन से जुड़ा मामला है.”

श्रम संगठन में निदेशक डेब्राह फ़्रांस-मसीन का कहना है कि “यह स्पष्ट है कि श्रमबल में उस तरह के वरिष्ठ पदों पर महिलाओं की संख्या कम है, और जैसे जैसे किसी कंपनी में शीर्ष पर आप जाते हैं...महिलाओं के वहां मिलने की संभावना कम होती जाती है.  

1991 से 2017 तक 186 देशों से मिले आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद यूएन रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया है कि महिला कर्मचारियों की संख्या अधिक होने और कंपनी का उत्पादन बढ़ने में संबंध है.

“हमें उम्मीद थी कि लैंगिक विविधता और व्यावसायिक सफलता में सकारात्मक संबंध होगा लेकिन ये नतीजे आंख खोल देने वाले हैं. जब आप विचार करते हैं कि दो या तीन फ़ीसदी अतिरिक्त लाभ के लिए कंपनियां अन्य क्षेत्रों में कितने प्रयास करती हैं तो इसकी अहमियत स्पष्ट हो जाती है: कंपनियों को लैंगिक संतुलन पर बुनियादी रूप से विचार करना चाहिए न कि सिर्फ़ मानवीय संसाधन के नज़रिए से.”  

रिपोर्ट के अनुसार कई पूर्वाग्रहों के चलते कंपनियों में हर तरह की ज़िम्मेदारियां महिलाओं को सौंपे जाने में मुश्किलें पेश आती रही हैं लेकिन यह भी तथ्य है कि इस भेदभाव को दूर करने के लिए प्रयास भी हो रहे हैं.

इसका एक बड़ा कारण शिक्षा के स्तर में बढ़ोत्तरी को माना गया है जिससे प्रतिभावान लड़कियां और महिलाएं अब बड़ी संख्या में श्रमबल का हिस्सा बन रही हैं. लेकिन इसके बावजूद लैंगिक भेदभाव एक बड़ी समस्या के रूप में बना हुआ है.

डेब्राह फ़्रांस-मसीन के अनुसार यह सिर्फ कार्यस्थल तक ही सीमित नहीं है क्योंकि वे हमारे समाजों और संस्कृतियों का ही हिस्सा हैं. “कंपनियां एक हद तक ही प्रयास कर सकती हैं लेकिन यह सामाजिक बदलाव और समाज में महिलाओं की भूमिका से भी जुड़ा है.” इसके लिए यह स्वीकार करना ज़रूरी है कि कंपनियों को आगे बढ़ने के लिए प्रतिभाओं की ज़रूरत होगी और उसके रास्ते में जो अवरोध आएंगे उन्हें तोड़ा जाना होगा.

इस रिपोर्ट को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.