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महासागरों की रक्षा करने और जलवायु कार्रवाई में फ़िजी निभा रहा है 'अग्रणी भूमिका'

सूवा में फ़िजी की संसद को संबोधित करते यूएन महासचिव.
UN Photo/Mark Garten
सूवा में फ़िजी की संसद को संबोधित करते यूएन महासचिव.

महासागरों की रक्षा करने और जलवायु कार्रवाई में फ़िजी निभा रहा है 'अग्रणी भूमिका'

जलवायु और पर्यावरण

फ़िजी में सामुदायिक और सामाजिक दायित्व निभाने की लंबी परंपरा रही है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने फ़िजी की संसद को संबोधित करते हुए कहा कि अपने परिवेश के साथ सामंजस्य स्थापित करने की प्रवृत्ति के चलते स्थानीय लोगों का जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय मुद्दों पर  प्रयासों की अगुवाई करना स्वाभाविक है.

यूएन प्रमुख ने कहा कि “फ़िजी ने संशयवादियों और इंकार करने वालों का सामना” स्पष्ट और बुलंद आवाज़ में किया है और दुनिया उसे सुन रही है.

महासचिव गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि 2017 में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक सम्मेलन की अध्यक्षता करने वाला फ़िजी पहला लघुद्वीपीय देश बना. साथ ही पर्यावरण संरक्षण को समर्पित सार्वभौमिक ग्रीन बॉन्ड को जारी करने वाली पहली उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाला देश भी. फ़िजी को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में अन्य देश आपके उदाहरण से सीख सकते हैं.

यूएन प्रमुख ने फ़िजी की संसद को ‘समावेशिता, समानता, विविधता और सहिष्णुता का स्थान” बताते हुए उसे देश की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया.

यहूदीवाद विरोध, मुस्लिम विरोधी बयानों, ईसाईयों के उत्पीड़न, विदेशियों के प्रति नापसंदगी और नस्लवाद जैसी कई चुनौतियों के बीच उन्होंने ध्यान दिलाया कि “हमें उन भावनाओं की पहले से कहीं ज़्यादा आवश्कता है”

ख़तरनाक ढंग से उभार लेती नफ़रत का जवाब देने और नफ़रत भरे भाषणों से निपटने के लिए यूएन प्रमुख ने एकजुटता के प्रदर्शन पर बल दिया है. उन्होंने कहा कि नफ़रत फैलने से कई देशों और क्षेत्रों में सार्वजनिक विमर्श रूखा हो रहा है.

जलवायु परिवर्तन से उपजती चुनौती का उल्लेख करते हुए उन्होंने उसे मौजूदा समय का एक निर्धारक मुद्दा करार दिया. उन्होंने माना कि फ़िजीवासियों को चक्रवाती तूफ़ानों, बाढ़ और सूखे का सामना करना पड़ा है. कई लोगों के घर, स्कूल और फ़सलें बर्बाद हो गई हैं. सांत्वना देते हुए उन्होंने कहा, “संयुक्त राष्ट्र आपके साथ खड़ा है. मैं आपके साथ खड़ा हूं.”

फ़िजी की संसद ने टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर आधारित 2030 एजेंडा पर प्रगति के लिए स्व-समीक्षा की पहल की है जिससे वो ऐसा करने वाली पहली संसद बनी है. महासचिव गुटेरेश ने इस संबंध में फ़िजी की संसद की प्रशंसा की है.

सूवा में एक छात्र से बातचीत करते हुए यू्एन प्रमुख.
UN Photo/Mark Garten
सूवा में एक छात्र से बातचीत करते हुए यू्एन प्रमुख.

जलवायु परिवर्तन से मुक़ाबले के लिए उन्होंने वित्तीय संसाधनों की अहमियत को रेखांकित किया और विशेषकर पैसिफ़िक क्षेत्र में अनुकूलन प्रयासों को बेहद अहम बताया.

“विकासशील देशों में कार्रवाई के समर्थन के लिए विकसित देशों ने जो संकल्प लिए हैं उन्हें पूरा करने की ज़रूरत है – इसके लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के ज़रिए हर साल कार्बन उत्सर्जन कम करने और जलवायु अनुकूलन के लिए 100 अरब डॉलर जुटाना होगा.”

जलवायु कार्रवाई के लिए महत्वाकांक्षा बढ़ाने के लिए वह सितंबर में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में शिखर वार्ता का आयोजन कर रहे हैं. “नेताओं को मेरा संदेश स्पष्ट है: भाषण के साथ मत आइए; योजना के साथ आइए.”

2025 तक कार्बन उत्सर्जन में तेज़ी से कटौती सुनिश्चित करने के लिए जीवाश्म ईंधनों से सब्सिडी वापस लेने, नवीकरणीय ऊर्जा, बिजली चालित वाहनों और कृषि के स्मार्ट तरीकों को महत्वपूर्ण माना गया है.

कार्बन के दाम निर्धारित करते समय उत्सर्जन की असली क़ीमत – जलवायु के लिए जोखिम, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और वायु प्रदूषण - का ख़्याल रखा जाना चाहिए. इसका अर्थ होगा कि 2020 के बाद कोयले पर आधारित नए ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण न हो, जीवाश्म ईंधन से चलने वाले उद्योगों से नौकरियों को हटाकर स्वच्छ और सेहतमंद विकल्पों को तलाशा जाए ताकि कायापलट करने की प्रक्रिया समावेशी, लाभकारी और न्यायोचित हो.

ज़रूरत से ज़्यादा मछलियों के पकड़े जाने और समुद्र में प्लास्टिक प्रदूषण से महासागरों में ज़हर घुल रहा है और उनका क्षरण हो रहा है. इसके चलते समुद्री जीवन को पैदा होते ख़तरे से बचाव के लिए उन्होंने और प्रभावी कदमों की अपील की है.

“पृथ्वी को बचाने के लिए और टिकाऊ, समावेशी मानव विकास हासिल करने के लिए आने वाले साल एक अहम समय होगा. ख़तरे की घंटी लगातार बज रही हैं.”

इस वैश्विक आपात स्थिति से महत्वाकांक्षा और तात्कालिकता के साथ निपटा जाना होगा. ”इस काम में हर देश की अपनी भूमिका है."