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कम वज़नी बच्चों का जन्म बना बड़ी समस्या

पापुआ न्यू गिनी में एक नवजात शिशु को हाइपोथर्मिया एलर्ड डिवाइस को पहनाई गई है ताकि उसके तापमान पर नज़र रखी जा सके.
UNICEF/Kate Holt
पापुआ न्यू गिनी में एक नवजात शिशु को हाइपोथर्मिया एलर्ड डिवाइस को पहनाई गई है ताकि उसके तापमान पर नज़र रखी जा सके.

कम वज़नी बच्चों का जन्म बना बड़ी समस्या

स्वास्थ्य

एक नए शोध के अनुसार 2015 में विश्व भर में दो करोड़ से ज़्यादा कम वज़नी बच्चे पैदा हुए जिनका वज़न ढाई किलो से भी कम था. हर सात में से एक नवजात शिशु के अल्पवज़नी पैदा होने संबंधी तथ्य पहली बार सामने आए हैं जो एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती की ओर इशारा करते हैं. इससे निपटने के लिए और निवेश किए जाने सहित व्यापक पैमाने पर प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है.

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष और लंदन स्कूल ऑफ़ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन ने मिलकर इस शोधपत्र को तैयार किया है जो ‘द लांसेट ग्लोबल हेल्थ’ में छपा है.

दुनिया भर में हर साल करीब 25 लाख नवजात शिशुओं की मौत होती है जिनमें 80 फ़ीसदी से ज़्यादा अल्पवज़नी होते हैं. कम वज़न के बच्चों को ठिगनेपन, सही ढंग से विकास न हो पाने और बाद के सालों में मधुमेह और हृदय रोग सहित अन्य बीमारियां होने का जोखिम बना रहता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के पोषण विभाग में कार्यरत डॉ मर्सेडेस दे ओनिस का कहना है कि जन्म के समय कम वज़न होना एक जटिल समस्या है जिसके पीछे अंतर्गर्भाशयी विकास अवरोध और समय से पूर्व प्रसव जैसे कारण छिपे हैं.

“इसीलिए जन्म के समय कम वज़नी शिशुओं के मामले घटाने के लिए किसी भी देश में अंतर्निहित कारणों को समझना होगा. उदाहरण के लिए, दक्षिण एशिया में अधिकांश अल्पवज़नी बच्चे सही समय पर पैदा होते हैं लेकिन अंतर्गर्भाशयी विकास अवरोध के साथ, जिसे गर्भावस्था के दौरान अल्पपोषण और अवरूद्ध विकास से जोड़ा जाता है.”

“इसके विपरीत, समय से पूर्व जन्म लेना नवजात शिशुओं के कम वज़नी होने का एक बड़ा कारण है जो आम तौर पर किशोरावस्था में गर्भ धारण करने, संक्रमण होने, प्रजनन अक्षमता के उपचार या सिज़ेरियन सेक्शन प्रसव के चलते हो सकता है. जिन देशों को इस समस्या का बोझ सहना पड़ रहा है उनकी प्राथमिकता अंतर्निहित कारणों को तलाश कर रोकथमा करना होनी चाहिए.”

तीन चौथाई से भी ज़्यादा कम वज़नी बच्चे दक्षिण एशिया और सब सहाराा अफ़्रीका में पैदा हुए (United Nations Population Division).
UN News
तीन चौथाई से भी ज़्यादा कम वज़नी बच्चे दक्षिण एशिया और सब सहाराा अफ़्रीका में पैदा हुए (United Nations Population Division).

 

इस स्वास्थ्य समस्या से कैसे निपटें

कम वज़नी बच्चों के तीन चौथाई मामले दक्षिण एशिया और सब-सहारा अफ़्रीका में सामने आए हैं लेकिन उच्च आय वाले यूरोपीय देशों, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में भी यह समस्या व्याप्त है और वहां इस संबंध में फ़िलहाल कोई प्रगति देखने को नहीं मिली है. 

अल्पवज़नी बच्चों के मामलों में कमी लाने के लिए एक व्यापक वैश्विक रणनीति की आवश्यकता है, जिसमें मातृत्व काल में उचित पोषण और सेहतमंद आहार पर बल दिया जाए; गर्भावस्था से जुड़ी बीमारियों का उचित इलाज किया जाए; गर्भवती महिलाओं की समुचित देखभाल हो, नवजात शिशुओं के लिए ज़रूरी स्वास्थ्य सेवाओं  के अलावा सामाजिक सहारे की भी व्यवस्था की जाए.

जन्म के समय नवजात शिशुओं का वज़न कम न हो इसकी रोकथाम और अल्पवज़नी बच्चों के इलाज के लिए किफ़ायती, सुलभ और उपयुक्त स्वास्थ्य सेवा का होना बेहद महत्वपूर्ण है.

नवजात शिशुओं की मृत्यु, बीमारी और विकलांगता के मामलों में कमी लाना तभी संभव है जब कम वज़नी बच्चों की सही देखभाल के साथ साथ गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं का भी सही ध्यान रखा जाए.