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समुद्र का बढ़ता जल स्तर और जलवायु परिवर्तन पैसिफ़िक देशों के लिए बड़ी चुनौतियां

समुद्री जलस्तर बढ़ने से तुवालु जैसे द्वीपीय देशों के लिए ख़तरा पैदा हो रहा है.
UNDP Tuvalu/Aurélia Rusek
समुद्री जलस्तर बढ़ने से तुवालु जैसे द्वीपीय देशों के लिए ख़तरा पैदा हो रहा है.

समुद्र का बढ़ता जल स्तर और जलवायु परिवर्तन पैसिफ़िक देशों के लिए बड़ी चुनौतियां

जलवायु और पर्यावरण

महासचिव के तौर पर पहली बार फ़िजी का दौरा कर रहे संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि पैसेफ़िक देशों के नेता दो बुनियादी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं: जलवायु परिवर्तन और समुद्र के जलस्तर में वृद्धि होना, जिनसे निचले तटीय देशों के लिए अस्तित्व का संकट पैदा हो रहा है. यूएन प्रमुख ने गुरुवार को सूवा में पैसिफ़िक आईलैंड्स फ़ॉरम को संबोधित किया है.

“पैसिफ़िक क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के अग्रिम मोर्च पर है. इसका अर्थ है कि आप भी इसके विरूद्ध लड़ाई में हमारे अहम साथी हैं.”

यूएन प्रमुख ने कहा कि पैसिफ़िक क्षेत्र को जिन जलवायु दबावों का सामना करना पड़ रहा है उन्हें प्रत्यक्ष रूप से देखने के लिए वह यहां आए हैं. साथ ही वह जानना चाहते हैं कि फ़िज़ी और अन्य देशों में समुदायों की जलवायु सहनशीलता बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं.

महासचिव गुटेरेश ने याद दिलाया कि पिछले चार सालों ने सबसे गर्म सालों का रिकॉर्ड बनाया है. ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में बर्फ़ पिघल रही है और साल 2100 तक समुद्री जल स्तर में एक मीटर की वृद्धि होने की आशंका है.

पैसेफ़िक क्षेत्र के लिए यह ख़तरे की घंटी है क्योंकि वैश्विक औसत की तुलना में वहां के कुछ देशों में समुद्री जल स्तर में चार गुना वृद्धि होगी जिससे कुछ द्वीपीय देशों के सामने अस्तित्व का संकट पैदा हो गया है.

पैसिफ़िक में ख़तरे की आहट

क्षेत्र पर मंडराते ख़तरे को समझाने के लिए उन्होंने कई तथ्य साझा किए. साथ ही चरम मौसम की घटनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि हाल के समय में गीता, जोसी और केनी जैसे चक्रवाती तूफ़ानों के अलावा ज्वालामुखी विस्फोटों और भूंकपों से क्षेत्र को हानि हुई है. उन्होंने स्पष्ट किया कि “जलवायु परिवर्तन इन जोखिमों को और बढ़ाएगा” और खारे जल की वजह से खाद्य सुरक्षा ख़तरे में पड़ जाएगी और सार्वजनिक स्वास्थ्य के पर भी प्रभाव पड़ेगा.

पैसेफ़िक आईलैंड्स फ़ॉरम को संबोधित करते यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश.
UN Photo/Mark Garten
पैसेफ़िक आईलैंड्स फ़ॉरम को संबोधित करते यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश.

उन्होंने आगाह किया कि जलवायु परिवर्तन से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को भी स्पष्ट ख़तरे पैदा हो रहे हैं. इसका ज़िक्र करते हुए उन्होंने ध्यान दिलाया की 2018 में एक घोषणापत्र में माना गया था कि पैसिफ़िक क्षेत्र के लिए सबसे बड़ा ख़तरा जलवायु परिवर्तन से है.

इन चुनौतियों का सामना करने के लिए दुनिया भर में यूएन की ओर से जो प्रयास किए जा रहे हैं उनमें बेहतर समन्वयन के लिए उन्होंने एक टास्क फ़ोर्स का गठन किया है.

“सैन्य रणनीतिकार सीधे तौर पर देखते हैं कि जलवायु प्रभावों के चलते संसाधनों पर और बड़ी संख्या में लोगों के विस्थापित होने से तनाव बढ़ेगा.”

2016 में प्राकृतिक आपदाओं के चलते 118 देशों और क्षेत्रो में 2.4 करोड़ लोगों को विस्थापन के लिए मजबूर होना पड़ा. उन्होंने पैसेफ़िक देशों के नेताओं को बताया कि जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर हो रही वार्ताओं में उनके द्वीप और समुदाय अग्रिम मोर्चे पर हैं.

महासचिव गुटेरेश ने भरोसा दिलाया कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पैसेफ़िक देश जो प्रयास कर रहे हैं यूएन उन्हें पूरी मज़बूती से समर्थन देने के लिए सकंल्पबद्ध है. “ऐसे नकारात्मक रूझानों को पलटना होगा जिसने आपकी संस्कृतियों और अस्तित्व को जोखिम में डाल दिया है.”

समुद्री जल का बढ़ता तापमान

महासागर और समुद्र पैसिफ़िक देशों की अर्थव्यवस्थाओं और परंपराओं के लिए बेहद अहम हैं लेकिन जलवायु परिवर्तन से उनके लिए भी जोखिम पैदा हो रहा है.

“महासागरों का तापमान बढ़ रहा है और उनका अम्लीकरण भी हो रहा है जिससे मूंगा चट्टानों को क्षति पहुंच रही है और जैवविविधता घट रही है.”

अगर वैश्विक तापमान में वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचती है तो इससे हानि का स्तर और बढ़ जाएगा लेकिन अगर तापमान में बढ़ोत्तरी दो डिग्री सेल्सियस या उससे ज़्यादा होती है तो फिर समुद्री जीवन और लोगों के लिए इसके विनाशकारी परिणाम होंगे.

फ़िजी की राजधानी सूवा में महासचिव गुटेरेश बुधवार को पहुंचे.
UN Photo/Mark Garten
फ़िजी की राजधानी सूवा में महासचिव गुटेरेश बुधवार को पहुंचे.

लेकिन समुद्र और उसमें जीवन के लिए अन्य दिशाओं से भी संकट पैदा हो रहा है.

“हर साल 80 लाख टन से ज़्यादा हानिकारक प्लास्टिक से बनी वस्तुओं को समुद्र में फेंक दिया जाता है. एक नए शोध के अनुसार 2050 तक मछलियों से ज़्यादा सागरों में प्लास्टिक मिलेगी.”

कई देश एक बार इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक पर पाबंदी लगा रहे हैं लेकिन यूएन प्रमुख ने और प्रभावी कदम उठाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि तटीय पारिस्थितिकी तंत्रों और समुद्री जीवन के सामने पैदा हुई चुनौतियों से निपटा जा सके. इसके लिए टिकाऊ विकास से जुड़े 14वें लक्ष्य को प्रभावी ढंग से अमल में लाए जाने की अपील की गई है.

तात्कालिकता, इच्छाशक्ति और महत्वाकांक्षा

“जलवायु परिवर्तन और महासागर के स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों को सुलझाने के लिए स्मार्ट और दूरगामी कदमों की ज़रूरत है.” इसके लिए पेरिस समझौते और 2030 टिकाऊ विकास एजेंडे के तहत कार्रवाई करनी होगी.

“हमारे पास ब्लूप्रिंट, फ़्रेमवर्क और योजनाएं हैं. हमें जिसकी ज़रूरत है वो तात्कालिकता और महत्वाकांक्षा है.”

जलवायु परिवर्तन के विरूद्ध ठोस कार्रवाई और महत्वाकांक्षा बढ़ाने के इरादे से इस साल सितंबर में यूएन प्रमुख ने  न्यूयॉर्क में जलवायु शिखर वार्ता का आयोजन किया है.

सितंबर में टिकाऊ विकास पर भी नज़र होगी जब उस दिशा में हो रही प्रगति का मूल्यांकन होगा और वित्तीय संसाधनों को जुटाए जाने पर भी चर्चा होगी.