संघर्ष और हिंसक चरमपंथ की रोकथाम के लिए सांस्कृतिक संवाद ज़रूरी

दुनिया भर में उपासना स्थलों पर नफ़रत से प्रेरित हमलों पर चिंता जताते हुए एलायंस ऑफ सिविलाइज़ेशन्स (UNAOC) के उच्च प्रतिनिधि मिगेल एन्गेल मोराटिनोस ने कहा है कि वह भारी मन से अज़रबेजान की राजधानी बाकू में वार्षिक फ़ॉरम का उद्घाटन कर रहे हैं. इस मंच से मानवीय एकजुटता कायम करने और हिंसा की रोकथाम करने के लिए सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा दिया जाता है.
अपने शुरुआती संबोधन में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) में सामाजिक और मानव विज्ञान की अवर महानिदेशक नदा अल-नशीफ़ ने अंतरसांस्कृतिक संवाद और आपसी समझ को बढ़ावा देने की अहमियत पर बल दिया.
‘बाकू प्रक्रिया’ की शुरुआत अज़रबेजान द्वारा 10 साल पहले की गई थी जिसका उद्देश्य सभ्यताओं और संस्कृतियों के बीच प्रभावी और दक्ष संवाद स्थापित करना था. नदा अल-नशीफ़ ने स्पष्ट किया कि इस कार्य में लंबा रास्ता तय किया गया है लेकिन निरंतरता बनाए रखने और प्रभाव कायम करने के लिए ठोस कार्रवाई और केंद्रित प्रयास करने की आवश्यकता है.
एक ऐसे समय जब लोकप्रियवाद से सांस्कृतिक बहुलता के लिए ख़तरा पैदा हो रहा है, दुनिया को सबसे बड़े शरणार्थी और विस्थापन संकट का सामना करना पड़ रहा है. इन चुनौतियों का सामना करने के लिए उन्होंने समावेशी समाजों के निर्माण की ज़रूरत को रेखांकित किया और इसे 2030 टिकाऊ विकास एजेंडे के नज़रिए से भी अहम बताया.