विश्व मलेरिया दिवस पर संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी का आग्रह ''शून्य मलेरिया की शुरुआत मुझ से''

मलेरिया से संघर्ष में तक निरन्तर प्रगति एक दशक से भी अधिक समय के बाद थम सी गई है। इसलिए इस वर्ष विश्व मलेरिया दिवस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन जमीनी स्तर पर एक अभियान को समर्थन दे रहा है जिससे मलेरिया की रोकथाम और देखभाल में सुधार के लिए समुदायों को सशक्त करने तथा कार्रवाई एवं जिम्मेदारी देशों को सौंपने पर बल दिया जा सके।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा, ''हर दो मिनट में एक बच्चा इस बीमारी के कारण मरता है जिसकी रोकथाम और उपचार संभव है।''
मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो संक्रमित मादा मच्छर के काटने से लोगों में फैलती है और जिसके लिए परजीवी जिम्मेदार है। संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी की ताजा विश्व मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार 2015 से 2017 तक मलेरिया के रोगियों की अनुमानित संख्या में लगभग कोई बदलाव नहीं हुआ।
हर दो मिनट में एक बच्चा इस बीमारी के कारण मरता है जिसकी रोकथाम और उपचार संभव है। टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस
'इतना ही नहीं, दुनिया भर में इसके करीब 21.9 करोड़ मरीज हैं और इसके कारण 4,35,000 मौतें होती हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्यक्ष ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि ''जीरो मलेरिया स्टॉर्ट विद मी'' (शून्य मलेरिया की शुरुआत मुझ से)' अभियान में राजनीतिक दलों, निजी क्षेत्र और प्रभावित समुदायों से आग्रह किया गया है कि वे मलेरिया की रोकथाम, निदान और उपचार में सुधार के लिए कदम उठाएं। उन्होंने जोर देकर कहा, ''हम सबकी इसमें कोई-न-कोई भूमिका हो।
हर वर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस आयोजन का उद्देश्य मलेरिया की रोकथाम नियंत्रण और उन्मूलन के लिए निरन्तर निवेश और राजनीतिक संकल्प की आवश्यकता को उजागर करना है।
आंकड़ों और रुझानों को देखता हुए लगता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की ग्लोबल टैक्नीकल स्ट्रैटेजी 2020 तक मलेरिया के मामलों और मौतों में कम से कम 40 प्रतिशत कमी करने के अपने लक्ष्य को हासिल करने में पटरी से उतर गई है।
2017 में विश्व भर में मलेरिया से निपटने के उपायों के लिए उपलब्ध धन की मात्रा में पिछले वर्ष की तुलना में कुछ खास बदलाव नहीं हुआ है। मलेरिया नियंत्रण और उन्मूलन कार्यक्रम के लिए निर्धारित 3.1 अरब डॉलर की यह रकम 2020 तक 6.6 अरब डॉलर धन उपलब्ध कराने के लक्ष्य से कही कम थी।
नवीनतम विश्व मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार इसकी रोकथाम और उन्मूलन के प्रयासों के प्रसार में भारी अंतर के कारण रोकथाम, पहचान और उपचार के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सुझाए गए मूल साधनों तक पहुंच सीमित हो गई है।
2017 में अफ्रीका में जोखिम के दायरे में आने वाले 50 प्रतिशत लोग कीटनाशक के लेप वाली मच्छरदानी में सोते थे। इससे पिछले वर्ष भी यह संख्या इतनी ही थी। 2015 की तुलना में इसमें मामूली सुधार हुआ है।
इतना ही नहीं उसी वर्ष अफ्रीका में निवारक टीका पाने की पात्र गर्भवती महिलाओं में से 22 प्रतिशत से अधिक को ही टीके की सुझाई गई तीन या अधिक खुराकें मिली थीं, जबकि 2015 में यह अनुपात 17 प्रतिशत था। 2015 से 2017 तक अफ्रीका में बुखार से पीड़ित केवल 48 प्रतिशत बच्चों को ही प्रशिक्षित चिकित्साकर्मी के पास ले जाया गया था।
इस स्थिति से निपटने के लिए मलेरिया मुक्त विश्व की दिशा में समन्वित कार्रवाई के सबसे बड़े वैश्विक मंच विश्व स्वास्थ्य संगठन और आरबीएम पार्टनशिप ने हाल ही में विशेषकर अफ्रीका में मलेरिया का बहुत अधिक बोझ उठा रहे देशों के लिए समर्थन बढ़ाने की एक नई नीति अपनाई है।
''ऊंचे बोझ से ऊंचा प्रभाव (हाई बर्डन टू हाई इफैक्ट)'' नीति के चार मूल स्तंभ हैं: मलेरिया से होने वाली मौतों में कमी के लिए अधिक राजनीतिक संकल्प; प्रभाव बढ़ाने के लिए अधिक महत्वपूर्ण सूचना; बेहतर मार्गदर्शन; नीतियां और रणनीतियां; और समन्वित राष्ट्रीय मलेरिया उपाय।
विश्व मलेरिया दिवस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य साझीदार ''जीरो मलेरिया स्टॉर्ट विद मी'' अभियान चला रहे हैं- जिससे मलेरिया को राजनीतिक एजेंडा में ऊंचा स्थान मिल सके, अतिरिक्त संसाधन जुटाए जा सकें और मलेरिया की रोकथाम तथा देखभाल की जिम्मेदारी उठाने के लिए समुदायों को सशक्त किया जा सके।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जोर देकर कहा है कि निर्णायक कार्रवाई का वक्त अब आ गया है।
पिछले वर्ष पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में मलेरिया के 60,00000 से अधिक मामले सामने आए थे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि 2015 से 2017 तक इस निरोध्य और साध्य बीमारी में 47 प्रतिशत उछाल आया है और मौतें 43 प्रतिशत बढ़ी जिसका बड़ा कारण पापुआ न्यू गिनी, कंबोडिया और सोलोमन आइलैंड्स में महामारी का फैलना बताया गया है। इस क्षेत्र में मलेरिया के कुल बोझ का 92 प्रतिशत इन तीनों देशों में है।
संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी का कहना था कि, ''मलेरिया के सबसे अधिक बोझ वाले देशों में महामारी फैलने से रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। इस चुनौती का सामना करने की जिम्मेदारी मलेरिया से सबसे अधिक प्रभावित देशों के कंधों पर है और समुदाय को सशक्त करना समूचे क्षेत्र में जमीनी स्तर पर कार्रवाई को समर्थन देने के लिए आवश्यक है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन के अनुसार मलेरिया से निपटने की कार्रवाई में प्रवासियों सहित आबादी के सभी हिस्सों को शामिल किया जाना चाहिए, भले ही वे दिव्यांग हों, शरणार्थी हों अथवा अन्य लाचार या विस्थापित समूह हों।
अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन का कहना है, ''मच्छर किसी सरहद के पाबंद नहीं हैं और वह काटते समय न किसी की राष्ट्रीयता पूछते हैं और न ही प्रवासन का कारण।'' स्वास्थ्य, आवाजाही और सीमाओं को प्रबंधन, दो देशों के बीच सीमा जांच चौकियों की निगरानी तक सीमित नहीं हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन का कहना है कि यह एक संयुक्त संकल्प है जिसमें, ''एक के बाद एक उन स्थानों, कारकों और परिस्थितियों को मान्यता दी जाती है जो इंसानों की आवाजाही में हो रहे प्रत्यक्ष परिवर्तन और जटिल निरन्तरता के अंग हैं।''
प्रवासी लोगों को अक्सर बहुत भीड़ भरी और अस्वच्छ परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है जिनमें मलेरिया बहुत आसानी से फैलता है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन का कहना है कि प्रवासन अपने आप में स्वास्थ्य के लिए कोई जोखिम पैदा नहीं करता किन्तु प्रवासन के रास्ते की विपरीत परिस्थितियां प्रवासियों के साथ-साथ उन समुदायों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा पैदा करती हैं जो रास्ते में, गंतव्य पर और वापसी के रास्ते के क्षेत्रों में रहते हैं।
संयुक्त राष्ट्र प्रवासन एजेंसी का कहना है कि प्रवासन चक्र से संबद्ध किसी भी व्यक्ति को स्वास्थ्य के लिए उत्पन्न खतरों के बारे में जागरूक और संवेदनशील होने के साथ-साथ रोकथाम, पहचान तथा कार्रवाई के लिए तैयार रहना चाहिए।