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घातक ई-कचरे को रोज़गार के बेहतर अवसरों में बदलने पर ज़ोर

अफ़्रीका में ई-कचरे का मुख्य कारण घरेलू खपत है.
UNEP
अफ़्रीका में ई-कचरे का मुख्य कारण घरेलू खपत है.

घातक ई-कचरे को रोज़गार के बेहतर अवसरों में बदलने पर ज़ोर

एसडीजी

दुनिया में हर साल करोड़ो टन ई-कचरा पैदा होता है और इलैक्ट्रिक और इलैक्ट्रॉनिक कचरे की ज़हरीली बाढ़ पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य को नुक़सान पहुंचा रही है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने कहा है कि ई-कचरा के दुष्प्रभावों को तत्काल रोकने के साथ-साथ उसे अच्छे और उपयुक्त कार्य के स्रोत में भी तब्दील किया जाना चाहिए.

जिनिवा में हुई एक बैठक में सरकारों, कर्मचारियों और नियोक्ताओं (एम्पलॉयर) के प्रतिनिधियों ने इस विषय पर सहमति जताते हुए कहा है कि सभी स्तरों पर देशों को ई-कचरे के बेहतर प्रबंधन की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए. इसके लिए कचरा प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचा और प्रणाली तैयार करने में निवेश की आवश्यकता होगी ताकि लगातार बढ़ते ई-कचरे का इस्तेमाल काम के अच्छे अवसर पैदा करने के लिए किया जा सके.  

ई-कचरा के प्रबंधन में वैश्विक संवाद फ़ॉरम के प्रमुख निखिल सेठ ने कहा कि, “फिर से इस्तेमाल में लाने, रिसाइकिल करने, फिर चमकाने और फिर बेचने", हर चरण में तकनीक के इस्तेमाल को और व्यवस्थित ढंग से देखे जाने की आवश्यकता है.

सदस्य देशों ने माना है कि ज़हरीले और ख़तरनाक ई-कचरे के निपटान और उसे फिर इस्तेमाल लायक बनाने के काम में लगे लोगों की सेहत का ख़्याल रखा जाना भी बेहद ज़रूरी है और पर्यावरण को होने वाली हानि को रोका जाना भी.

कर्मचारियों की ओर से प्रतिनिधि और फॉरम के उपप्रमुख जेम्स टावर्स ने कहा, “ई-कचरे के निपटान में लगे कर्मचारियों की कोई आवाज़ या मोलतोल करने की ताक़त नहीं है. हानिकारक सामग्री को उन्हें अपने हाथों से ही तोड़ना होता है.”

उन्होंने कहा कि ई-कचरे के निपटान में कई जोखिम हैं लेकिन इस काम में जो लोग जुटे हैं उन्हें दुष्प्रभावों की कोई जानकारी ही नहीं होती.

श्रीलंका में मोबाइल फ़ोन को रिपेयर करता एक युवक.
ILO
श्रीलंका में मोबाइल फ़ोन को रिपेयर करता एक युवक.

दुनिया में हर साल लगभग 5 करोड़ टन ई-कचरा पैदा होता है जिसकी क़ीमत लगभग 60 अरब डॉलर से ज़्यादा आंकी गई है. श्रम संगठन का अनुमान है कि सिर्फ़ 20 फ़ीसदी ई-कचरे को ही औपचारिक रूप में रिसाइकिल या फिर से इस्तेमाल के लिए तैयार किया जाता है. 

पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए नुक़सानदेह होने के बावजूद असंगठित क्षेत्र में रोज़गार का यह एक अहम ज़रिया बनता जा रहा है. ई-कचरा वैल्यू चेन में इलैक्ट्रिक और इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों से पुर्ज़ों को निकाल कर उनका कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल होता है. इससे फिर बाज़ार के लिए नए उत्पाद बनाए जाते हैं जिससे चक्रीय अर्थव्यवस्था (circular economy) भी उभरकर सामने आती है.

नियोक्ता प्रतिनिधि और फ़ॉरम के उपप्रमुख पैट्रिक वान डेन बोश ने बताया कि  “ई-कचरे के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा व्यावसायिक अवसर है. अच्छी, उपयुक्त और टिकाऊ नौकरियों के लिए हमें अपने प्रयास तेज़ करने होंगे. इसके तहत टिकाऊ उपक्रमों के लिए सामर्थ्यकारी माहौल को बढ़ावा देने होगा जिससे नए उत्पाद और सेवाओं को पेश किया जा सके और चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ाकर उसे और मूल्यवान बनाया जा सके.”

सरकारों की प्रतिनिधि और उपप्रमुख एनीफ़ियोक एतिम एसाह ने कहा कि ई-कचरा नाइजीरिया सहित अन्य अफ़्रीकी देशों में तेज़ी से फैल तो रहा है, लेकिन उसका लाभ उठाने की संभावनाएं भी मौजूद हैं. “हमारे युवाओं के पास सृजनात्मकता और नए कौशल सीखने का सामर्थ्य है ताकि ई-कचरे का प्रबंधन किया जा सके. इससे युवाओं के लिए रोज़गार के अवसरों को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी.”

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन संयुक्त राष्ट्र के ई-कचरा गठबंधन का एक सदस्य है. इस पहल का उद्देश सहयोग बढ़ाने, साझेदारियों का गठन करने और सदस्य देशों को ई-कचरा की चुनौतियों से निपटने में सहायता प्रदान करना है.