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'शांतिरक्षा अभियानों के केंद्र' में महिलाओं को रखना है लक्ष्य

दक्षिण लेबनान में गश्त लगाती मलेशियाई शांतिरक्षक.
UNIFIL/Pasqual Gorriz
दक्षिण लेबनान में गश्त लगाती मलेशियाई शांतिरक्षक.

'शांतिरक्षा अभियानों के केंद्र' में महिलाओं को रखना है लक्ष्य

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि शांतिरक्षा अभियानों के केंद्र में महिला अधिकारों, आवाज़ों और भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए और प्रयास किए जाने होंगे. सुरक्षा परिषद में इस विषय पर चर्चा में उन्होंने स्पष्ट किया कि महिला शांतिरक्षकों के होने से दायित्वों को प्रभावी ढंग से पूरा करने में मदद मिलती है. 

यूएन महासचिव ने कहा कि मुख्य प्राथमिकता शांतिरक्षा अभियानों में महिलाओं – वर्दीधारी और असैनिक कर्मियों - की संख्या बढ़ाना है, जहां सबसे ज़्यादा सुधार की आवश्यकता है.

सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि इस साल लैंगिक बराबरी पर नई रणनीति के ज़रिए संयुक्त राष्ट्र ने इस दिशा में महत्वाकांक्षी और ज़रूरी प्रयास शुरू किए.

रणनीति का लक्ष्य 2028 तक महिलाओं का प्रतिनिधित्व - सैन्य, पुलिस, न्यायिक, और सुधार सेवा से जुड़े कर्मियों में - 15 प्रतिशत से बढ़ा कर 35 प्रतिशत किए जाना है. इस लक्ष्य को हासिल करने से लैंगिक बराबरी की दिशा में बड़ा कदम लिया जा सकेगा. 

यूएन प्रमुख ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ़ संख्या का सवाल नहीं है बल्कि अपनी ज़िम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से पूरा करने की भी बात है. दिसंबर 2015 से अब तक वर्दीधारी महिला शांतिरक्षकों की संख्या में एक प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन स्पष्ट है कि यह काफ़ी नहीं है.

यूएन प्रमुख ने कहा कि 2015 में महिला, शांति और सुरक्षा पर सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 2242 में पारित हुआ. इसके ज़रिए सुरक्षा परिषद ने 2020 तक यूएन शांतिरक्षा अभियानों के सैन्य और पुलिस दलों में महिलाओं की संख्या दोगुनी करने के लिए कहा. साथ ही उनकी चयन प्रक्रिया और आगे रास्ते बढ़ने के रास्तों से अवरोध हटाने के लिए भी कहा गया है.

“हम उन लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं. एक्शन फ़ॉर पीसकीपिंग इनीशिएटिव शांति प्रक्रिया के हर चरण में महिलाओं की पूर्ण, समान और अर्थपूर्ण भागीदारी की अपील करता है. साथ ही विश्लेषण, योजना, अमलीकरण और रिपोर्टिंग के चरणों में लैंगिक नज़रिए को सम्मिल्लित करने की भी. इस संकल्प को अब तक 150 से ज़्यादा सदस्य देश ले चुके हैं.”

नवंबर 2017 में मंत्रिस्तरीय पहली शांतिरक्षा बैठक के बाद महिला स्टाफ़ अधिकारियों और सैन्य पर्यवेक्षकों की संख्या दोगुनी हो चुकी है. उस बैठक के बाद से 27 देशों ने बदलाव लाते हुए महिलाओं की तैनाती शुरू कर दी है. पुलिसकर्मियों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व तीन प्रतिशत – 300 महिलाकर्मी – बढ़ा है. फ़ॉर्म्ड पुलिस यूनिट में 9 फ़ीसदी महिलाएं हैं.

महिला शांतिरक्षकों की भूमिका अहम

अपने संबोधन में यूएन प्रमुख ने कहा कि आंकड़े दर्शाते हैं कि अगर महिला शांतिरक्षकों की संख्या बढ़ाई जाती है तो और विश्वसनीय ढंग से रक्षा दायित्वों को निभाया जा सकता है और स्थानीय समुदायों के सभी सदस्यों की ज़रूरतें पूरी की जा सकती हैं.

गश्त लगाने वाले दस्तों में महिला शांतिरक्षकों के होने से स्थानीय महिलाओं और पुरुषों तक पहुंचने, महत्वपूर्ण जानकारी जुटाने और सुरक्षा चुनौतियों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है.

महिला शांतिरक्षकों की भूमिका का उल्लेख करते हुए यूएन प्रमुख ने कहा, “चेकपोस्ट पर टकराव के माहौल में कमी लाने का श्रेय महिलाओं की तैनाती को दिया गया है. यौन और लिंग आधारित हिंसा के मामलों को सामने लाने और यौन शोषण और दुर्व्यवहार में मामलों में कमी का श्रेय भी सैनिक दस्तों में ज़्यादा महिलाओं के होने को दिया जाता है.”

महासचिव गुटेरेश ने जेंडर रेस्पॉन्सिव पीसकीपिंग ऑपरेशन्स पॉलिसी का उल्लेख किया जिसके माध्यम से महिला, शांति और सुरक्षा एजेंडा पर लैंगिक समानता के नज़रिए से नेतृत्व और जवाबेदही को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाता है.

यूएन महासचिव ने संतोष व्यक्त किया कि पहली बार यूएन के इतिहास में वरिष्ठ पदों पर लैंगिक बराबरी को हासिल कर लिया गया है. उन्होंने प्रतिबद्धता जताई कि इस प्रगति को वह आगे ले जाना चाहते हैं. “इसी भावना को हमें शांति अभियानों में लाने की आवश्यकता है. हमारे प्रभावीपन, विश्वसनीयता और साख के लिए यह अहम है.”