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'युद्धापराध की श्रेणी में आ सकती है' रोहिंज्या समुदाय पर हैलीकॉप्टर से गोलाबारी

बांग्लादेश से लगी सीमा पार करते रोहिंज्या शरणार्थी.
UNHCR/Roger Arnold
बांग्लादेश से लगी सीमा पार करते रोहिंज्या शरणार्थी.

'युद्धापराध की श्रेणी में आ सकती है' रोहिंज्या समुदाय पर हैलीकॉप्टर से गोलाबारी

मानवाधिकार

म्यांमार में सुरक्षा बलों और हथियारबंद अलगाववादी गुटों के बीच तेज़ होती झड़पों के बीच राखीन प्रांत में सेना के हैलीकॉप्टर से हुए हमले में रोहिंज्या समुदाय के सात लोगों की मौत हो गई है जबकि 18 लोग घायल हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने हमले की निंदा करते हुए कहा है इस हमले को युद्धापराध की श्रेणी में रखा जा सकता है. 

जिनिवा में यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने पत्रकारों को बताया, "म्यांमार की सेना फिर से अपने ही आम नागरिकों के ख़िलाफ़ हमले कर रही है; इन हमलों को युद्धापराध की श्रेणी में रखा जा सकता है."

रिपोर्टों के मुताबिक़ तीन अप्रैल को सेना के दो हैलीकॉप्टरों ने ह्पोन न्यो लेइक गांव में अपने मवेशियों और धान के खेतों की देखरेख कर रहे रोहिंज्या मुस्लिमों को निशाना बनाया जिससे सात आम नागरिकों की मौत हो गई जबकि 18 घायल हुए हैं.

यूएन मानवाधिकार कार्यालय का कहना है कि इस हमले के संबंध में उन्हें वीडियो और तस्वीरें मिली हैं जिससे इन मौतों की पुष्टि कर पाना संभव हुआ है. "इसीलिए हम ये जानकारी साझा कर रहे हैं. हैलीकॉप्टर के ज़रिए हमला किया गया, बम गिराए गए और इसमें सात लोगों की मौत हो गई."

अंधाधुंध ढंग से गोलाबारी किए जाने और उसमें आम नागरिकों के मारे जाने पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने कड़ी निंदा की है. 

हाल के दिनों में झड़पें म्यांमार के सुरक्षा बलों और अराकान आर्मी में हुई हैं. म्यांमार की सेना और अराकान आर्मी में हिंसक संघर्ष पिछले एक दशक से चला आ रहा है. 

इस साल 4 जनवरी को अराकान आर्मी ने पुलिस की कई चौकियों पर हमला किया था. इसके बाद सेना की जवाबी कार्रवाई में बड़ी संख्या में आम नागरिक मारे गए, घर जलाए गए, मनमाने ढंग से लोगों को हिरासत में लिया गया और संस्कृति से जुड़ी संपत्तियों को नुक़सान पहुंचा. 

दोनों पक्षों के बीच शांति की कोशिशें हुए हैं लेकिन यह प्रक्रिया ज़्यादा आगे नहीं बढ़ पाई. यूएन मानवाधिकार प्रवक्ता ने दोनों पक्षों से तत्काल हिंसा रोकने और आम नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की अपील की है.

साथ ही उत्तरी राखीन प्रांत में मानवीय राहत पहुंचाने के लिए रास्ते खुले रखे जाने का भी अनुरोध किया गया है. रवीना शमदासानी का कहना है कि यह सिर्फ़ बौद्धों और मुस्लिमों के बीच लड़ाई का मुद्दा नहीं है. हिंसा से राखीन और चिन प्रांत में कई जातीय समुदाय प्रभावित हुए हैं.  

तीन अप्रैल को जिस इलाक़े में हैलीकॉप्टर से हमला हुआ वहां हाल के दिनों में रोहिंज्या मुस्लिमों का बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ है. 25 से 30 मार्च के बीच चार हज़ार से ज़्यादा लोगों के विस्थापित होने की आशंका है. 

पिछले कुछ समय से जारी हिंसा के चलते 20 हज़ार से ज़्यादा आम लोग राखीन प्रांत में विस्थापित हुए हैं और कई को धान के खेतों में अस्थायी रूप से रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.