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टिकाऊ विकास की राह में एशिया-प्रशांत का 'निर्णायक नेतृत्व'

टिकाऊ विकास पर छठी एशिया-प्रशांत फ़ोरम के उद्घाटन सत्र में उपमहासचिव अमीना मोहम्मद.
ESCAP/Diego Montemayor
टिकाऊ विकास पर छठी एशिया-प्रशांत फ़ोरम के उद्घाटन सत्र में उपमहासचिव अमीना मोहम्मद.

टिकाऊ विकास की राह में एशिया-प्रशांत का 'निर्णायक नेतृत्व'

एसडीजी

एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों को टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा को पूरा करने और सशक्तिकरण, समावेशिता व समानता सुनिश्चित करने के लिए ठोस और साहसिक कदमों की ज़रूरत है. बैंकॉक में एक बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र उपमहासचिव अमीना मोहम्मद ने कहा कि क्षेत्रीय देश इस दिशा में निर्णायक नेतृत्व का प्रदर्शन कर रहे हैं.

बैंकॉक में 'एशिया-पैसेफ़िक फ़ॉरम ऑन सस्टेनएबल ड्वेलपममेंट (एपीएफ़एसडी)' के उद्घाटन सत्र के दौरान संयुक्त राष्ट्र् उपमहासचिव अमीना मोहम्मद ने इस विस्तृत क्षेत्र में विकास प्रक्रिया में प्रगति की सराहना की.

"टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा की चुनौती को आपकी सरकारों ने निर्णायक नेतृत्व के साथ स्वीकार किया है...डाटा और सांख्यिकी सबंधी कवरेज को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण  निवेश, लोगों पर आधारित नीतियों, कार्यक्रमों, और रणनीतियों के प्रसार के लिए साझेदार "

लेकिन उन्होंने ध्यान दिलाया कि इन प्रयासों के बावजूद टिकाऊ विकास के 17 लक्ष्यों की दिशा में प्रगति के रास्ते में बड़े अवरोध हैं और असमानताएं बढ़ रही हैं.

"आर्थिक असमानता, मूलभूत सेवाओं तक पहुंच में असमानता, और मुश्किल परिस्थितियों को झेल पाने की क्षमता और जलवायु परिवर्तन से उपजती चुनौतियों से निपटने में असमानता बढ़ती जा रही है."

इस बैठक का आयोजन एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (UNESCAP) ने किया है. संगठन का कहना है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों की स्थिति बेहद ख़राब है और अहम निर्णय लेने की प्रक्रिया में आधे से ज़्यादा महिलाओं का प्रतिनिधित्व नहीं है. कुछ देशों में कुल युवाओं में से एक तिहाई से ज़्यादा के पास नौकरी, शिक्षा या प्रशिक्षण नहीं है.

"महिलाओं और लड़कियों का सशक्तिकरण एक अतिआवश्यक विषय है ताकि सकारात्मक बदलाव और नवप्रवर्तन (इनोवेशन) के लिए युवाओं की असीम संभावनाओं का लाभ उठाया जा सके, असमानता के रुझानों को पलटा जा सके और लोगों और पृथ्वी को केंद्र में रखा जा सके."

यूएन उपमहासचिव ने कहा कि इसके लिए बहुत ज़्यादा दूर देखने की ज़रूरत नहीं है.

"इस क्षेत्र में विपुल उदाहरण हैं जो सशक्तिकरण और सभी को समावेशित करने का रास्ता दिखाते हैं. लेकिन हम सभी को इस सवाल का जवाब तलाशना चाहिए: हम कैसे महत्वाकांक्षा बढ़ा सकते हैं और 2030 एजेंडा के अमलीकरण की गति को और तेज़ कर सकते हैं?"

बैठक में हुई चर्चा के दौरान भारत में नीति आयोग के उप-प्रमुख राजीव कुमार ने कहा कि ऐसी विकास प्रक्रिया को अपनाए जाने की आवश्यकता है जिसमें सभी को साथ लेकर चला जाए. इसके अभीव में देशों और क्षेत्र में सामाजिक समरसता को बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा.  

निवेश बढ़ने से एसडीजी की गति होगी तेज़

बैठक में आयोग की कार्यकारी सचिव अर्मिडा अलीस्जहबाना ने उन नीतिगत विकल्पों का ज़िक्र किया जिनसे टिकाऊ विकास लक्ष्यों के एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमलीकरण में तेज़ी लाई जा सकती है. इसके लिए अहम सामाजिक क्षेत्रों में संसाधनों को अधिक मात्रा में जुटाना और लोगों पर प्रभाव डालने वाली नीतियों के निर्माण में उनकी भूमिका पर ज़ोर दिया गया है.

"2030 का एजेंडा हासिल करने और प्रगति की गति तेज़ करने के लिए निवेश को बढ़ाया जाना चाहिए." उन्होंने माना कि आकार और विविधता को देखते हुए अलग-अलग देशों की ज़रूरतें अलग हो सकती हैं लेकिन तथ्य स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि लोगों को सशक्त बनाने और समावेशिता व समानता को सुनिश्चित करने से सभी टिकाऊ विकास लक्ष्यों की ओर तेज़ी से बढ़ा जा सकेगा.

तीन दिन तक चलने वाली इस बैठक के पहले दिन 'एशिया-पैसेफ़िक एसडीजी गेटवे' की भी शुरुआत हुई जो टिकाऊ विकास लक्ष्यों में  प्रगति को मापने के लिए एक इंटरएक्टिव माध्यम है. साथ ही यूएन आर्थिक और सामाजिक आयोग, यूएन विकास कार्यक्रम, और एशियाई विकास बैंक की एक संयुक्त रिपोर्ट को भी जारी किया गया जिसमें सशक्तिकरण और टिकाऊ विकास के बीच संबंध को तलाशा गया है.

एपीएफ़एसडी एक ऐसे क्षेत्रीय मंच के रूप में कार्य करता है जिसके ज़रिए सदस्य देश टिकाऊ विकास लक्ष्यों को लागू करने में मिली चुनौतियों, बेहतर प्रक्रियाओं और परिप्रेक्ष्यों को साझा करते हैं. इसके अलावा यह सरकारों के लिए स्वैच्छिक राष्ट्रीय समीक्षाओं पर चर्चा करने का भी अवसर है.