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अटलांटिक पार दास व्यापार के पीड़ितों को श्रृद्धांजलि

दास व्यापार के पीड़ितों की स्मृति में 'ऑर्क ऑफ़ रिटर्न' स्मारक.
UN Photo/Devra Berkowitz
दास व्यापार के पीड़ितों की स्मृति में 'ऑर्क ऑफ़ रिटर्न' स्मारक.

अटलांटिक पार दास व्यापार के पीड़ितों को श्रृद्धांजलि

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ‘दासता एवं परा-अटलांटिक दास व्यापार के पीड़ितों के स्मरण के अंतरराष्ट्रीय दिवस’ पर करोड़ों पीड़ितों को श्रृद्धांजलि अर्पित की है. अटलांटिक पार दास व्यापार को इतिहास में मासूम लोगों की ख़रीद-फ़रोख़्त और उनके जबरन विस्थापन के सबसे बड़े अध्याय के रूप में जाना जाता है. 

इस दिवस के ज़रिए नस्लवाद और पूर्वाग्रहों के विरूद्ध जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जाता है.

महासचिव गुटेरेश ने अपने वीडियो संदेश में कहा, “इस अंतरराष्ट्रीय स्मरण दिवस पर, हम उन लाखों अफ़्रीकी पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को श्रृद्धांजलि देते हैं जिन्हें मानवीयता से वंचित कर दिया गया और ऐसी घृणास्पद क्रूरता को सहन करने के लिए मजबूर किया गया.”

यूएन प्रमुख ने अटलांटिक पार दास व्यापार को मानवीय बर्बरता के सबसे भयावह स्वरूपों में से एक बताया.

“दासता से पीड़ित एक ऐसी क़ानून प्रणाली का सामना कर रहे थे जिसके बारे में उन्हें पता था कि वो ग़लत है. कई अवसरों पर उन्होंने आज़ादी की उम्मीद में अपने जीवन का त्याग कर दिया. दमन करने वालों के ख़िलाफ़ जो लोग खड़े हुए, उनकी कहानियों को बताए जाने और उनके न्याय परायण प्रतिरोध को पहचानने की आवश्यकता है.”

परा-अटलांटिक दास व्यापार 400 से भी ज़्यादा साल तक चला. संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) के अनुमानों के मुताबिक़ इस व्यापार के चलते 1.5 से 2 करोड़ अफ़्रीकियों को उनकी जन्मभूमि से अमेरिका और कैरेबियाई देशों में ले जाया गया.

न्यूयॉर्क में यूएन मुख्यालय में 'आर्क ऑफ़ रिटर्न' स्मारक.
UN Photo/ Rick Bajornas
न्यूयॉर्क में यूएन मुख्यालय में 'आर्क ऑफ़ रिटर्न' स्मारक.

1501 से 1830 तक, यूरोपीय लोगों की तुलना में चार गुना अधिक अफ़्रीकियों ने अटलांटिक पार यात्राएं की, जिससे अमेरिका में उस दौरान जनसंख्या का स्वरूप बदला और अफ़्रीकी मूल के लोगों की संख्या बढ़ी. उन जबरन यात्राओं की विरासत आज भी अमेरिका में अफ़्रीकी मूल के समुदाय की उपस्थिति के रूप में दिखाई देती है.

अपने शैक्षिक कार्यक्रम “इन मैमोरी ऑफ़ स्लेवरी” या “दासता की याद में” के ज़रिए यूनेस्को यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि इन अपराधों को कभी न भुलाया जा सके.

यूएन प्रमुख ने कहा कि “दासता के मौजूदा स्वरूपों के ख़िलाफ़ खड़े होकर, हमारे दौर में नस्लवाद के ख़तरों के प्रति जागरूकता बढ़ाकर, और अफ़्रीकी मूल के सभी लोगों के लिए न्याय और समान अवसर सुनिश्चित कर हम उन सबका सम्मान करते हैं.”

न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में सोमवार को एक समारोह का आयोजन किया जा रहा है जिसमें महासचिव एंतोनियो गुटेरेश और महासभा अध्यक्ष मारिया फ़र्नान्डा एस्पिनोसा भी शामिल होंगे. दास व्यापार से पीड़ितों के स्मरण के बाद यूएन मुख्यालय में एक प्रदर्शनी का आयोजना होगा जिसमें अफ़्रीका और अफ़्रीकी समुदाय की संस्कृति और पाक-कला का प्रदर्शन होगा.