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टीबी की बीमारी का 'अंत करने का समय'

पाकिस्तान में टीबी से पीड़ित एक महिला को बीमारी का समय से पता नहीं चला क्योंकि उसके पास अस्पताल जाने के लिए पैसे नहीं थे.
OCHA/Zinnia Bukhari
पाकिस्तान में टीबी से पीड़ित एक महिला को बीमारी का समय से पता नहीं चला क्योंकि उसके पास अस्पताल जाने के लिए पैसे नहीं थे.

टीबी की बीमारी का 'अंत करने का समय'

स्वास्थ्य

रविवार को 'विश्व तपेदिक दिवस' पर संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि संक्रामक रोगों से होने वाली मौतों में टीबी या तपेदिक दुनिया में सबसे ऊपर है, साथ ही एचआईवी और सूक्ष्मजीव रोधी प्रतिरोध (एंटीमाइक्रोबियल रज़िस्टेंस) से होने वाली मौतों के लिए भी ज़िम्मेदार है. ऐसे में इस बीमारी से निपटने के लिए वैश्विक प्रयासों में व्यापक स्तर पर तेज़ी लाने की अपील की गई है. 

तपेदिक दुनिया की सबसे घातक संक्रामक बीमारियों में से है जिससे हर साल लगभग 4,500 लोगों की जानें जाती हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष 30 हज़ार लोग इससे पीड़ित होते हैं.

साल 2000 से टीबी की रोकथाम और इसके इलाज के लिए वैश्विक प्रयासों में तेज़ी आई है और 5.4 करोड़ लोगो के जीवन की रक्षा करने में मदद मिली है. टीबी की वजह से होने वाली मृत्यु दर में भी 42 फ़ीसदी की कमी आई है. 

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम घेब्रेसिस ने बताया कि इस साल विश्व तपेदिक दिवस की विषय-वस्तु “इट्स टाइम टू एंड टीबी” या “टीबी का अंत करने का समय” है. अपनी अपील में उन्होंने कहा कि “पता लगाओ, इलाज करो, सब.”

सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के तहत विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए एक अपील जारी की गई है जिसमें सरकारों, प्रभावित समुदायों, नागरिक समाज संगठनों, स्वास्थ्य सेवा केंद्रों, और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय साझेदार संगठनों से एकजुट होकर कार्रवाई करने का आह्वान किया गया है ताकि कोई भी पीछे न छूटने पाए. 

टीबी से मुक़ाबले के लिए पिछले साल सितंबर में कई देशों के नेता एक साथ आए और इस विषय पर संयुक्त राष्ट्र की पहली उच्चस्तरीय बैठक में बीमारी से निपटने के लिए मज़बूत संकल्प लिए गए.  स्वास्थ्य संगठन प्रमुख ने कहा, “2018 में लिए गए संकल्पों को ठोस कार्रवाई में बदले जाने की तत्काल आवश्यकता को हम रेखांकित कर रहे हैं ताकि टीबी के इलाज की ज़रूरत जिनको है उन्हें उपलब्ध कराया जा सके.”

पिछले साल यूएन एजेंसी प्रमुख ने नए दिशानिर्देश जारी किए ताकि दवाईयों के लिए प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने वाली टीबी का बेहतर इलाज हो सके. साथ ही जानकारी दी गई कि कैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के ज़रिए प्रगति की समीक्षा की जा सके और योजनाओं को सही ढंग से लागू करने में मदद मिल सके. इस संबंध में एक टास्क फ़ोर्स आम नागरिक समाज के साथ मिलजुलकर काम करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है. 

स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक टीबी कार्यक्रम के निदेशक डॉ टेरेज़ा कासाएवा ने कहा,  “कुछ व्यावहारिक कदमों को ध्यान में रखकर देश प्रगति को तेज़ कर सकते हैं और पिछले साल सितंबर में यूएन की उच्चस्तरीय बैठक में लिए गए संकल्पों को अपना सकते हैं.”

इस बीच अंतरराष्ट्रीय प्रवासन एजेंसी (IOM) का कहना है कि टीबी के संक्रामक होने और हवा में फैलने से प्रवासियों को इससे पीड़ित होने का ख़तरा ज़्यादा रहता है. एजेंसी के अनुसार अधिकतर प्रवासी ख़तरनाक, मुश्किल काम करते हैं और ख़राब परिस्थितियों में रहने को मजबूर हैं. कई मामलों में शरणार्थियों को हिरासत केंद्रों या घरेलू विस्थापित केंद्रों में बेहद भीड़ भरे हालात में रहना पड़ता है. 

इसके अलावा उन्हें स्वास्थ्य सेवा का लाभ उठाने में भाषा, प्रशासनिक और सांस्कृतिक अवरोधों को झेलना पड़ता है. अक्सर देखा गया है कि सामाजिक सुरक्षा और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में उनकी हिस्सेदारी नहीं होती. यही वजह है कि स्वास्थ्य सेवा के लिए अपनी जेब से ख़र्च करने के कारण उन्हें बेहद महंगा और सही गुणवत्ता वाला इलाज हमेशा हासिल नहीं हो पाता. 

इस स्थिति को बदलने के लिए यूएन एजेंसी ने कहा है कि समय आ गया है कि प्रवासियों का भी स्वास्थ्य कार्यक्रमों में समावेश किया जाए.