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तूफ़ान प्रभावित इलाक़ों में राहत अभियानों में जुटी यूएन एजेंसियां

मोज़ाम्बिक के बेयरा में राहत सामग्री का पहुंचना शुरू हो गया है.
WFP/Hugo du Plessis
मोज़ाम्बिक के बेयरा में राहत सामग्री का पहुंचना शुरू हो गया है.

तूफ़ान प्रभावित इलाक़ों में राहत अभियानों में जुटी यूएन एजेंसियां

मानवीय सहायता

चक्रवाती तूफ़ान 'इडाई' से तीन अफ़्रीकी देशों में हुई तबाही के बाद, संयुक्त राष्ट्र राहत एजेंसियां और साझेदार संगठनों ने व्यापक पैमाने पर राहत कार्यों को शुरू किया है. मोज़ाम्बिक, मलावी और ज़िम्बाब्वे के प्रभावित इलाक़ों में फंसे लाखों लोगों की भोजन, शरण और स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरतों को पूरा किया जा रहा है. 

बुधवार को संयुक्त राष्ट्र के 'सेंट्रल इमरजेंसी रिस्पॉन्स फंड' (CERF) की ओर से 2 करोड़ डॉलर मुहैया कराए गए ताकि ज़रूरतमंदों तक मदद पहुंचाई जा सके. 

पिछले सप्ताह गुरुवार की रात चक्रवाती तूफ़ान 'इडाई' ने मोज़ाम्बिक के बेयरा शहर को अपनी चपेट में लिया जिसके बाद भारी बारिश और बाढ़ से हुई बर्बादी मलावी और ज़िम्बाब्वे में भी फैल गई. हज़ारों लोगों को विस्थापन के लिए मजबूर होना पड़ा है. 

आशंका जताई जा रही है कि इस आपदा में एक हज़ार से ज़्यादा लोगों को मौत हुई है. मोज़ाम्बिक में 200 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है जबकि ज़िम्बाब्वे में 100 लोग और मलावी में 60 लोग मारे गए हैं. सैकड़ों लोग लापता हैं.

'इडाई' तूफ़ान के रास्ते में तीन देश आए लेकिन सबसे अधिक तबाही मोज़ाम्बिक में ही हुई है. बेयरा शहर के 90 फ़ीसदी इलाक़े को नुक़सान पहुंचा है और ज़म्बेज़िया, सोफ़ाला, मानिका सहित अन्य प्रांत बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. चार लाख लोग घरेलू विस्थापन का शिकार हैं. 

ज़िम्बाब्वे में तूफ़ान से देश का पूर्वी हिस्सा प्रभावित हुआ और कई शहरों में कुल मिलाकर एक हज़ार से ज़्यादा घरों को नुक़सान हुआ है. वहीं शुरुआती आकलन के अनुसार मलावी में 82 हज़ार से ज़्यादा लोग विस्थापित हुए हैं लेकिन ये आंकड़े अभी बढ़ सकते हैं क्योंकि तबाही और जान-माल की हानि का पूरा अंदाज़ा अभी नहीं लग पाया है. 

मानवीय मामलों में समन्वयन के लिए यूएन एजेंसी (UNOCHA) के प्रमुख मार्क लॉकॉक ने कहा, "तीन देशों की सरकारों द्वारा किए जा रहे तात्कालिक राहत प्रयासों को इस फंड से सहारा मिलेगा और प्रभावित समुदायों तक जीवन-रक्षक मदद पहुंचाई जा सकेगी."

इस राशि से  मानवीय राहत एजेंसियों को आपातकालीन संचार ज़रूरतों को पूरा करने, स्वास्थ्य सेवाओं को मुहैया कराने और बाढ़ का पानी उतरने के बाद होने वाले रोगों की रोकथाम में मदद मिलेगी.

लॉकॉक ने स्पष्ट किया कि यह फंडिंग अभी एक शुरुआत है और अभी काफ़ी कुछ किया जाना बाक़ी है. 

ताक़त प्रदान करने वाले बीस टन बिस्किटों का बाक़ी दुनिया से कटे हुए इलाक़ों में हेलीकॉप्टर के ज़रिए वितरण किया जाएगा. ड्रोन के ज़रिए मोज़ाम्बिक की आपदा प्रबंधन एजेंसी की मदद के लिए विश्व खाद्य कार्यक्रम वित्तीय मदद मुहैया करा रहा है. बेयरा में राहतकर्मियों की मदद के लिए एक आपातकालीन वाई-फ़ाई इंटरनेट सेवा भी शुरू की गई है. 

संयुक्त राष्ट्र आपदा समीक्षा और समन्वयन समिति (UNDAC) की टीम राहत कार्यों में बेहतर समन्वयन के लिए तैनात की गई है लेकिन राहत सामग्री के वितरण के लिए प्रभावित इलाक़ों में पहुंचना मुश्किल साबित हो रहा है.  चक्रवाती तूफ़ान जिन शहरों और गांवों पर तबाही लाया वहां सड़कों और पुलों सहित बुनियादी ढांचा ध्वस्त हो गया है. 

संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय प्रवासन एजेंसी (IOM) की मोज़ाम्बिक में प्रमुख कैथरीना श्नोएरिंग ने कहा, "स्थिति बेहद ख़राब है. गंभीर नुक़सान हुआ है. क्या घटित हो रहा है इसकी सही तस्वीर बना पाना मुश्किल है. संचार से जुड़ी तमाम मुश्किलें यहां हैं, बेयरा में अभी बिजली नहीं है. बुज़ी नदी के उफ़ान पर होने से सड़कें भी ढह गई हैं इसलिए वहां तक पहुंचना आसान नहीं है."

मलावी में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) का कहना है कि आपात राहत सामग्री का पहुंचना शुरू हो गया है लेकिन अधिकतर सामग्री पहले से वहां मौजूद थी क्योंकि प्राकृतिक आपदाओं से मलावी पहले भी जूझता रहा है. इस वजह से संयुक्त राष्ट्र स्थानीय लोगों की तात्कालिक ज़रूरतों, विशेषकर पानी, साफ़-सफ़ाई, दवाई इत्यादि को जल्द पूरा कर पाया.