कुपोषण से लड़ाई में मिला निजी क्षेत्र का समर्थन

भारत में बेहतर पोषण और स्वास्थ्य के लिए निजी क्षेत्र के समर्थन को जुटाने के लक्ष्य से एक नई पहल 'इम्पैक्ट फॉर न्यूट्रिशन' की शुरुआत हुई है. यह एक ऐसे मंच के तौर पर काम करेगा जिससे निजी कंपनियों के पास पोषण अभियान का हिस्सा बनने और परिवारों को कुपोषण से मुक्ति दिला कर बदलाव लाने का अवसर होगा.
नई दिल्ली में 'इम्पैक्ट फॉर न्यूट्रिशन' के उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF India), टाटा ट्रस्ट, साइट एंड लाइफ, सीएसआर बॉक्स, सीआईआई, वीकैन और नैस्कॉम ने किया.
भारत में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. पोषक आहार के अभाव में मस्तिष्क के पूरी तरह विकसित होने और सीखने की क्षमता पर असर पड़ता है जिससे आगे चलकर रोज़गार के अवसर भी प्रभावित होते हैं.
पोषण संबंधी जागरूकता बढ़ाने और कर्मचारियों के बेहतर स्वास्थ्य के सहारे उनके अच्छे प्रदर्शन और उत्पादकता में सुधार को भी सुनिश्चित किया जा सकेगा.
औपचारिक लांच से पहले ही बॉश (Bosch), अरविंद मिल्स (Arvind Mills), मूडीज़ एनालिटिक्स (Moody’s Analytics) और केयर एनएक्स इनोवेशंस (CareNX Innovations) सहित कई बड़ी कंपनियों ने इस पहल के प्रति अपने समर्थन का संकल्प ले लिया था.
मूडीज़ एनालिटिक्स के तारा चंद ने इस मंच को पूरी तरह से समर्थन देने का वादा किया. "मुझे इम्पैक्ट फॉर न्यूट्रिशन का हिस्सा बनने पर गर्व है. मूडीज़ इस मंच का जी जान से समर्थन करेगा और हम यह देखेंगे कि हम किस प्रकार अपने कर्मचारियों, भागीदारों और ग्राहकों के बीच पोषण संबंधी जागरूकता को बढ़ा सकते हैं."
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए नीति आयोग के सलाहकार आलोक कुमार ने कहा, "भारत में एक तिहाई बच्चे कमज़ोर और नाटे हो रहे हैं और भारत के लिए कुपोषण से निपटना एक अहम चुनौती है. इस तस्वीर को बदलना उस राष्ट्र के लिए और भी जरूरी है जो अन्य क्षेत्रों में अच्छा कर रहा है और इस समस्या से निपटने के लिए हमें साथ में आने की जरूरत है."
उन्होंने कहा कि सरकार ने अपनी योजनाओं के जरिए आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं लेकिन मांग के संबंध में निजी सेक्टर और नागरिक समाज से सहयोग की जरूरत है. उन्होंने बाजार में उपलब्ध 'जंक फूड' उत्पादों का उदाहरण दिया, जो कि सभी प्रकार के सुविधादायक पैकेटों में उपलब्ध हैं.
उन्होंने निजी सेक्टर से प्रयोग के तौर पर ऐसे ही पैकिंग करने और पौष्टिक आहार के समाधान तलाशने की अपील की.
'इम्पैक्ट फॉर न्यूट्रिशन' निजी सेक्टर के लिए एक बड़ी पहल का हिस्सा बनने का एक अवसर है, जो भारत के पोषण संबंधी और स्वास्थ्य संबंधी स्टेटस पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा. यह निजी सेक्टर के लिए अपने कर्मचारियों, ग्राहकों और कर्मचारियों के परिवारों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने और सामाजिक आंदोलन का माहौल बनाने वाला मंच है.
इस अवसर पर यूनिसेफ इंडिया के ओआईसी उपप्रतिनिधि अर्जन डी वक्ट ने कहा, "कोपेनहेगन कन्सेन्सस के अनुसार पोषण में निवेश सर्वोत्तम जन स्वास्थ्य निवेश है. हर एक डालर निवेश करने पर 16 डालर की क़ीमत वसूल हो सकती है. यह क़ीमत कर्मचारी को रोके रखने, ग़ैरहाजिरी में कमी और उत्पादन में वृद्धि के रूप में हो सकती है. जब आप कर्मचारियों, उनके परिवारों और ग्राहकों तक पहुंचते हैं और उन्हें उनका पोषण संबंधी स्तर सुधारने के लिए सशक्त करते हैं, उससे आप बिजनेस को लाभ पहुंचाते हैं.’
उन्होंने कहा कि निजी सेक्टर के पास न सिर्फ संसाधन हैं बल्कि देश में पोषण अभियान को उत्कृष्ट बनाने वाली आयोजन ताकत भी है. "आख़िरकार निजी सेक्टर देश के श्रमबल के सबसे बड़े हिस्से को काम देते हैं और इम्पैक्ट फॉर न्यूट्रिशन के ज़रिए यह व्यवसाय से जुड़े हर पहलू में प्रत्यक्ष तौर पर पोषण को प्रभावित कर सकता है."
पोषण को बढ़ावा देने और हर एक के लिए उसकी अहमियत बढ़ाने में हुई चर्चा में इस कार्यक्रम में कंपनी, उद्योग संस्थाओं, विकासपरक भागीदारों और भारत सरकार की ओर सुझाव और संकल्प साझा किए गए.
यह मंच शैक्षणिक सामग्री, कार्यक्रम संबंधी सूचना मुहैया कराएगा और बड़े आंदोलन पोषण अभियान के लिए लिंक का काम करेगा.