वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

जलवायु कार्रवाई के पक्ष में 'युवा आवाज़ों ने बंधाई उम्मीद'

बॉन में जलवायु परिवर्तन में हिस्सा लेते बच्चे.
Photo/UNFCCC
बॉन में जलवायु परिवर्तन में हिस्सा लेते बच्चे.

जलवायु कार्रवाई के पक्ष में 'युवा आवाज़ों ने बंधाई उम्मीद'

जलवायु और पर्यावरण

जलवायु परिवर्तन पर ठोस कार्रवाई न हो पाने के विरोध में दुनिया भर में शुक्रवार को स्कूली बच्चों ने प्रदर्शन किए. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि वह विरोध प्रदर्शन कर रहे बच्चों के डर को समझते हैं लेकिन भविष्य के लिए आशावान हैं.  

सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे युवा कार्यकर्ताओं को अपने संदेश में यूएन प्रमुख ने कहा कि युवाओं की बेचैनियों और भविष्य के प्रति उनके भय को वह समझते हैं लेकिन मानवजाति विशाल उपलब्धियों को पाने में सक्षम है. “आपकी आवाज़ से मुझे आशा मिली है.”

द गार्डियन’ अख़बार के लिए अपने एक लेख में महासचिव गुटेरेश ने कहा कि वैश्विक तापमान से मुक़ाबले के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों की धीमी गति से हताश युवाओं के समर्पण और सक्रियतावाद को वह जितना देखते हैं “उतना ही मेरा विश्वास मज़बूत होता है कि हम जीत जाएंगे. एक साथ, आपकी मदद और प्रयासों के बल पर हम इस ख़तरे का सामना कर सकते हैं और इसे हराना भी चाहिए और एक स्वच्छ, सुरक्षित और हरित दुनिया का निर्माण सभी के लिए करना चाहिए.”

“इन स्कूली बच्चों ने ऐसी बातों को समझ लिया है जो उनके बड़े नहीं कर पाए. हम अपने जीवन की रक्षा के लिए एक दौड़ का हिस्सा हैं और हम हार रहे हैं. कुछ कारगर कदम उठाने का समय निकला जहा है और हमारे पास ज़्यादा वक़्त नहीं बचा है, और जलवायु परिवर्तन से मुक़ाबले के प्रयासों में देरी, जलवायु परिवर्तन को नकरा देने जितनी ही ख़तरनाक है.”

Young people can, and do, change the world. To those who marched Friday for #ClimateAction: you understand we are in a race for your lives; your commitment & activism makes me confident we will win it. https://t.co/B3UXRpusQW pic.twitter.com/NAFks7XNVw

— António Guterres (@antonioguterres) March 15, 2019

यूएन महासचिव ने माना कि उनकी पुरानी पीढ़ी “जलवायु परिवर्तन की नाटकीय चुनौती का सही ढंग से सामना करने में विफल रही है. और यह बात युवा बेहद गहराई से समझते हैं. उनका ग़ुस्सा होना कोई अचरज की बात नहीं है.”

वैश्विक कार्बन उत्सर्जन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच रहे हैं और लगातार बढ़ रहे हैं. वातावरण में कार्बन डाइ ऑक्साइड की सघनता पिछले तीस लाख सालों में सबसे ऊपरी स्तर पर है;

“पिछले चार साल अब तक के सबसे ज़्यादा गर्म साल साबित हुए हैं और सर्दियों में आर्कटिक में तापमान 1990 से अब तक 3 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है.” साथ ही समुद्री जल स्तर बढ़ रहा है, मूंगा चट्टानें (कोरल रीफ़) नष्ट हो रही हैं और मानवीय स्वास्थ्य को दुनिया भर में ख़तरा बढ़ रहा है. यह तथ्य इस हफ़्ते प्रकाशित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण की नई रिपोर्ट, ‘ग्लोबल एनवायर्नमेंटल आउटलुक’, में भी सामने आया है.

2015 में हुए ऐतिहासिक पेरिस समझौते पर 180 से ज़्यादा देशों ने हस्ताक्षर किए थे ताकि वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में कटौती लाई जा सके और धरती के तापमन में वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे सीमित किया जा सके. लेकिन अगर महत्वाकांक्षी कार्रवाई नहीं होती तो यह समझौता अर्थहीन है.

“यही वजह है कि मैं इस साल दुनिया के नेताओं को जलवायु कार्रवाई के लिए शिखर वार्ता में एक साथ ला रहा है. मेरी सभी नेताओं से अपील है कि वे सितंबर में न्यूयॉर्क आएं और ठोस, वास्तविक योजना लेकर आएं ताकि 2020 तक अपने राष्ट्रीय योगदान को बढ़ा सकें.”

नए विश्लेषण दिखाते हैं कि अगर हम अभी कार्रवाई करते हैं तो हम 12 साल के भीतर कार्बन उत्सर्जन को घटा सकते हैं और वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित कर सकते हैं. “लेकिन अगर हम मौजूदा रास्ते पर चलते रहे तो उसके परिणामों को बता पाना असंभव है.”

“प्रयासों में गति आ रही है, लोग सुन रहे हैं और पेरिस समझौते को प्रभावी बनाने के लिए एक नया जज़्बा दिखाई दे रहा है. जलवायु शिखर वार्ता अपनी ज़रूरतों को अनुरूप भविष्य के निर्माण का शुरुआती कदम होना चाहिए.”