सीरिया के लिए 7 अरब डॉलर की मदद का संकल्प

सीरिया में संकट का सामना कर रहे लोगों के लिए धनराशि जुटाने के उद्देश्य से ब्रसेल्स में हुए सम्मेलन में रिकॉर्ड सात अरब डॉलर की सहायता राशि की घोषणा की गई है. 50 से ज़्यादा देशों के विदेश मंत्री इस सम्मेलन में शामिल हुए और इस राशि से सीरिया में और बाहर रह रहे ज़रूरतमंदों को मदद पहुंचाने के काम में मदद मिल सकेगी.
सीरिया में मानवीय राहत के लिए यह तीसरा ऐसा सम्मेलन था और इस अवसर पर अपने संदेश में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने दानदाताओं से सीरियाई नागरिकों और उन्हें शरण देने वाले देशों और समुदायों की मदद के लिए वित्तीय, मानवीय और राजनीतिक संकल्पों को फिर से नवीकृत करने का आग्रह किया.
उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2254 पर आधारित राजनीतिक समाधान ही सीरिया में टिकाऊ विकास ला सकता है.
2017 में दानदाताओं ने ब्रसेल्स में 6 अरब डॉलर का संकल्प लिया था जबकि 2018 में यह राशि 4.4 अरब डॉलर थी लेकिन साल के अंत तक यह बढ़कर 6 अरब डॉलर हो गई. गुरुवार को हुए 'संकल्प सम्मेलन' में 8.8 अरब डॉलर जुटाने का लक्ष्य रखा गया था और 6.97 अरब डॉलर का वादा किया गया है. और रक़म जुटाने के प्रयास हालांकि जारी रहेंगे.
ब्रसेल्स में संयुक्त राष्ट्र आपात राहत प्रमुख मार्क लॉकॉक ने कहा कि सीरियाई नागरिकों और उन्हें शरण देने वाले देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय की एकजुटता के इस अहम संकेत से वह ख़ुश हैं. उन्होंने कहा कि इससे विश्वास बढ़ा है कि बेहतर ढंग से राहत कार्यक्रमों को चलाया जा सकेगा.
इससे पहले मार्क लॉकॉक ने चिंता जताई थी कि सीरिया के उत्तर-पश्चिम में स्थित इदलिब में स्थिति लगातार बिगड़ रही है. गोलाबारी और हवाई हमलों में 90 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है जिनमें लगभग आधे बच्चे हैं.
इदलिब पर विरोधी गुटों का नियंत्रण है और वहां तीस लाख से अधिक लोग रहते हैं. साथ ही अन्य इलाक़ों से पीछे हटने के बाद अब कई हथियारबंद गुटों ने इसे अपना अड्डा बनाया हुआ है.
सीरिया में लड़ाई को मौजूदा समय के सबसे बड़े संकटों में गिनते हुए लॉकॉक ने कहा कि इदलिब में व्यापक पैमाने पर सैन्य हमले से 21वीं शताब्दी की एक और बड़ी मानवीय आपदा पैदा हो जाएगी.
हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि सीरिया के कई इलाक़े ऐसे हैं जहां पिछले साल के मुक़ाबले अब शांत हैं. उत्तर-पश्चिम में इस्लामिक स्टेट के नियंत्रण वाले कुछ ही इलाक़े हैं जहां लड़ाई जारी है और अब तेज़ हो रही है.
सीरिया में संकट नौवें साल में प्रवेश कर चुका है. हिंसा के लगातार ख़तरों के बीच रह रहे सीरियाई परिवारों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और 80 फ़ीसदी लोग ग़रीबी रेखा से नीचे जीवन गुज़ार रहे हैं. लड़ाई शुरू होने के बाद खाने की क़ीमतों में छह गुना बढ़ोत्तरी हो चुकी है.
स्वास्थ्य सेवाएं भी बदहाल स्थिति में हैं. लोगों को ज़रूरी मेडिकल सेवाएं, पोषक आहार और बीमारियों का सही इलाज नहीं मिल पा रहा है. सीरिया में 62 लाख घरेलू विस्थापितों को सिर ढकने के लिए जगह चाहिए जबकि 20 लाख लड़के-लड़कियां स्कूल नहीं जा पा रहे हैं.
ब्रसेल्स में सम्मेलन से एक दिन पहले संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के प्रमुख फ़िलिपो ग्रान्डी ने कहा कि "सीरिया और लेबनान में सीरियाई शरणार्थियों से मिलने के बाद मैं बहुत चिंतित हूं क्योंकि उनकी ज़रूरतों और शरणार्थियों के लिए उपलब्ध अंतरराष्ट्रीय समर्थन के बीच खाई लगातार बढ़ रही है. अब तक के सबसे बड़े शरणार्थी संकट के आठ साल हो चुके हैं और 70 फ़ीसदी सीरियाई बेहद नाज़ुक परिस्थितियों में ग़रीबी रेखा के नीचे जीवन काट रहे हैं."
"अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उन सीरियाई शरणार्थियों का समर्थन जारी रखना होगा जो पड़ोसी देशों में रहते हैं और जिन्हें अब भी मदद और संरक्षण की ज़रूरत है. उन्हें शरण देने वाली मेज़बान सरकारों और समुदायों को भी मदद मुहैया कराई जानी चाहिए जो पिछले आठ सालों से शरणार्थियों को शरण देते आ रहे हैं. घरेलू विस्थापितों को भी सहायता देनी होगी जो बेहद मुश्किल परिस्थितियों में घर लौटे हैं."
ऐसे में सीरियाई शरणार्थियों और प्रभावित समुदायों के लिए सतत और व्यापक स्तर पर सहायता की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है.