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'राजनीतिक ताक़त में कमी' झेल रही हैं महिलाएं

'सत्ता में महिलाएं' विषय पर यूएन महासभा कक्ष में आयोजित एक कार्यक्रम.
UN Photo/Evan Schneider
'सत्ता में महिलाएं' विषय पर यूएन महासभा कक्ष में आयोजित एक कार्यक्रम.

'राजनीतिक ताक़त में कमी' झेल रही हैं महिलाएं

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष मारिया फ़र्नान्डा एस्पिनोसा ने कहा है कि दुनिया भर में महिलाओं को मिलने वाली राजनीतिक भागीदारी की प्रक्रिया में प्रगति का चक्र हाल के सालों में पीछे खिसक रहा है. न्यूयॉर्क में  महिलाओं की स्थिति पर आयोग के 63वें सत्र के दौरान सत्ता में महिलाओं की भागीदारी विषय पर चर्चा हुई. 

इक्वाडोर की पूर्व विदेश मंत्री एस्पिनोसा 193 सदस्य देशों की संयुक्त राष्ट्र महासभा का नेतृत्व करती हैं. उन्होंने कहा कि 2015 में लैंगिक खाई को पाटने में 30 साल से ज़्यादा का समय लगता लेकिन अगर मौजूदा रूझान जारी रहते हैं तो लैंगिक बराबरी को 107 सालों तक हासिल नहीं किया जा सकेगा. 

महासभा अध्यक्ष ने उन महिलाओं का उल्लेख किया जिन्हें अदृश्य बना दिया गया और इतिहास में स्थान नहीं दिया गया. "कई महिलाओं ने देशों की नियति, संस्कृति और राजनीतिक सोच, विज्ञान, अन्वेषण और बड़े सामाजिक बदलाव लाने में अहम भूमिका निभाई."

"हम ऐसी कई महिलाओं के बारे में कुछ नहीं जानते. लेकिन जिनके बारे में हमें जानकारी है हमें उनके साहस और मानवता को योगदान के लिए पहचानना चाहिए. आज हम उन्हीं के लिए यहां पर हैं."

संयुक्त राष्ट्र में लैंगिक बराबरी की दिशा में छलांग लगाए जाने की उन्होंने प्रशंसा की और कहा कि यह दर्शाता है कि जब राजनीतिक इच्छाशक्ति और नेतृत्व होता है तो इतिहास की राह में मोड़ लाए जा सकते हैं. 

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने उच्चस्तरीय कार्यक्रम में बताया कि इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब संयुक्त राष्ट्र वरिष्ठ प्रबंधन समूहों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है. साथ ही सदस्य देशों में टीमों का नेतृत्व करने वाले रेज़ीडेंट कोऑर्डिनेटर के पदों में भी लैंगिक बराबरी हासिल कर ली गई है. 

हालांकि उन्होंने माना कि यूएन में आगे के रास्ते में बाधाएं बनी हुई हैं लेकिन उन अवरोधों का हम विरोध करेंगे और जब तक बराबरी नहीं हो जाती तक प्रयास करना नहीं छोडेंगे. गुटेरेश के मुताबिक़ संयुक्त राष्ट्र में सभी वरिष्ठ पदों पर 2021 तक लैंगिक बराबरी हासिल कर ली जाएगी लेकिन बाक़ी जगहों पर ऐसा नहीं है. 

महिलाएं और लड़कियां दुनिया की आधी आबादी हैं लेकिन फिर भी विश्व के कई हिस्सों में उन्हें समुचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलता. 

पिछले साल अक्टूबर तक के आंकड़ों के अनुसार सिर्फ़ 9 फ़ीसदी सदस्य देश ऐसे थे जहां महिला राष्ट्राध्यक्ष या सरकार का नेतृत्व कर रही थीं. महिला सांसदों की हिस्सेदारी सिर्फ़ 24 फ़ीसदी है. 2018 में फ़ॉर्चून 500 कंपनियों में सिर्फ़ 24 महिला सीईओ हैं और 12 कंपनियों के बोर्ड में कोई भी महिला नहीं है. 

"शक्ति समीकरणों को बदलने के लिए हमें बराबरी चाहिए...राजनीति में महिलाओं के बग़ैर, टिकाऊ विकास, मानवाधिकार और शांति ख़तरे में पड़ जाएगी. हमें राजनीति में और महिलाओं की ज़रूरत है."

संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था की कार्यकारी निदेशक पुमज़िले म्लाम्बो-न्गुका ने कहा कि यह अभूतपूर्व है कि यूएन महासभा, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद, यूएन महिला बोर्ड और कमीशन ऑन स्टेट्स ऑफ़ वीमैन की अध्यक्षता महिलाओं के पास है और साथ ही उममहासचिव पद की ज़िम्मेदारी भी एक महिला संभाल रही है. 

इस बीच संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था और संसदों के अंतरराष्ट्रीय संगठन अंतर-संसदीय संघ (IPU) ने एक नई रिपोर्ट जारी की है जिसके अनुसार दुनिया भर में हर पांच मंत्रियों में सिर्फ़ एक ही महिला है. 

फिर भी यह रिपोर्ट दर्शाती है कि यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है. 2019 में 3,922 मंत्रियों में 812 महिलाएं हैं जो 2017 के आंकड़े से 2.4 प्रतिशत अधिक है. 

म्लाम्बो-न्गुका ने कहा कि "राजनीति में अधिक महिलाओं के होने से समावेशी निर्णय लिए जाते हैं और नेता की छवि के बारे में लोगों की धारणा बदल जाती है."उन्होंने कहा कि आगे की राह चढ़ाई भरी है.