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'ऐतिहासिक अन्यायों को चुनौती देनी होगी'

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर संयुक्त राष्ट्र में कार्यक्रम का आयोजन.
UN Women/Ryan Brown
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर संयुक्त राष्ट्र में कार्यक्रम का आयोजन.

'ऐतिहासिक अन्यायों को चुनौती देनी होगी'

महिलाएँ

निर्णय लेने वाले पदों पर महिलाओं की संख्या बढ़ाना बेहद ज़रूरी है और सदियों से चले आ रहे अन्यायों को रोकना भी. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2019 के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बताया कि यूएन में वरिष्ठ पदों पर लैंगिक बराबरी हासिल करने में सफलता मिली है. 

महासचिव गुटेरेश ने कार्यक्रम का आरंभ करते हुए जलवायु परिवर्तन से लेकर बहुपक्षवाद के प्रति कमज़ोर पड़ती प्रतिबद्धताओं जैसी सामूहिक चुनौतियों का ज़िक्र किया. उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता और महिला अधिकारों को सुनिश्चित करने से ऐसी समस्याओं को सुलझाने में मदद मिल सकती है. 

"हम विश्वास की स्थापनाऔर वैश्विक एकजुटता का पुनर्निर्माण तभी कर सकते हैं जब ऐतिहासिक अन्यायों को चुनौती दी जाए और सभी के लिए अधिकारों और गरिमा की अहमियत का प्रसार किया जाए. अपनी सारी क्षमताओं और पूंजी को एक साथ लाकर ही टिकाऊ विकास को प्राप्त किया जा सकता है."

यूएन महासचिव ने कहा कि लैंगिक समानता मुख्य रूप से एक ताक़त का सवाल है. पुरुषों के दबदबे वाली दुनिया में महिलाओं को सदियों से नज़रअंदाज़ और चुप रहने के लिए मजबूर किया गया और उनका उत्पीड़न हुआ.

महिलाओं की उपलब्धियों और सफलताओं के बावजूद उनकी आवाज़ों को अब भी अनसुना कर दिया जाता है और उनकी राय पर ध्यान नहीं दिया जाता. इस असमानता और उत्पीडन की क़ीमत सभी को चुकानी पड़ रही है. "निर्णय लेने वाले पदों पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना बेहद ज़रूरी है." उन्होंने स्पष्ट किया कि संयुक्त राष्ट्र में वरिष्ठ प्रबंधन पदों पर लैंगिक बराबरी हासिल कर ली है. 

बारबेडोस, इथियोपिया, जॉर्जिया, रोमानिया, और त्रिनिडाड एंड टोबेगो में पहली बार पिछले साल महिला नेताओं को चुना गया. संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष मारिया फ़र्नान्डा एस्पिनोसा ने अपने संबोधन में कहा कि इस दिवस पर उनके मन में मिश्रित भावनाएं हैं.

"एक तरफ़ यह ज़रूरी है कि अपनी सफलताओं पर हम ख़ुशी मनाएं ." लेकिन उन्होंने क्षोभ जताया कि महिलाओं के प्रति हर प्रकार के भेदभाव का अंत करने वाली संधि के चार दशक बाद भी अब भी बराबरी हासिल नहीं हो पाई है. 

महासभा अध्यक्ष ने ध्यान दिलाया कि विकास के लगभग हर पैमाने पर महिलाएं पीछे हैं. "हर महिला और लड़की को पता है कि उनके जीवन की वास्तविकता, उनके भाई या पिता से अलग होती है."

"हमें जल्द से जल्द शिक्षा के क्षेत्र में लैंगिक खाई को पाटने की आवश्यकता है. साथ ही और महिलाओं को विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में लाना होगा."

महिलाओं को आगे लाने में ज़मीन से जुड़े संगठनों की भूमिका को उन्होंने रेखांकित किया जो इस लड़ाई को समुदायों तक और सत्ता के गलियारों तक ले जा सकते हैं. नेतृत्व के पदों पर महिलाओं की संख्या बढ़ाने के प्रयासों के तहत वह 12 मार्च को एक उच्च-स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन कर रही हैं. 

संयुक्त राष्ट्र की महिला संस्था की कार्यकारी निदेशक पुमज़िले म्लाम्बो-न्गुका ने इस अवसर पर कहा, "हम चाहते हैं कि महिलाएं और लड़कियां अपने आप अन्वेषण (इनोवेशन) के लिए प्रेरित हों और फिर इसके लिए पूरा माहौल तैयार करें."