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असमानता से निपटे बिना बड़ी समस्याओं को सुलझाना कठिन

मानवाधिकार परिषद को संबोधित करतीं यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशलेट.
UN Photo/Violaine Martin
मानवाधिकार परिषद को संबोधित करतीं यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशलेट.

असमानता से निपटे बिना बड़ी समस्याओं को सुलझाना कठिन

मानवाधिकार

दुनिया में फैली असमानता, मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों का सबसे बड़ा कारण बनी हुई है लेकिन कई देशों ने इस समस्या पर लगाम कसने में उल्लेखनीय सफलता भी दर्ज की है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) मिशेल बाशलेट ने बुधवार को कहा कि महिलाओं के अधिकार सुनिश्चित करने की दिशा में भी प्रगति हो रही है.

मानवाधिकार परिषद में आधे घंटे से ज़्यादा के अपने संबोधन में मिशेल बाशलेट ने दुनिया भर में फैली चिंताओं पर चर्चा की. साथ ही पहली बार होने वाली बातों का स्वागत किया. उदाहरण के लिए, जैसे अमेरिकी संसद में इस बार रिकॉर्ड संख्या में महिलाएं पहुंची है और उन्हें संसद में एक चौथाई प्रतिनिधित्व हासिल हो गया है. 

इस साल जनवरी में कई महिला प्रतिनिधियों ने संसद में अपनी ज़िम्मेदारी संभाली है और यह विविधता बढ़ाने की दिशा में लिया गया एक अहम कदम का संकेत है. "इनमें पहली अमेरिकी मुस्लिम सांसद, पहली मूलनिवासी अमेरिकी सांसद, और सबसे कम उम्र में चुनी जाने वाली महिला शामिल हैं. मैं इन सभी क्षमतावान महिलाओं और अगली पीढ़ी के लिए उनके प्रेरणा का अभिवादन करती हूं."

सामाजिक न्याय की मौजूदा स्थिति पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया में व्याप्त भारी असमानताओं को कम करना टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडा के नज़रिए से अहम है. 

यूएन अधिकारी ने अपने संबोधन में इथियोपिया और ट्यूनीशिया में लागू किए गए सुधारों का उल्लेख किया. इथियोपिया में सरकार में महिलाओं को बराबर प्रतिनिधित्व मिल गया है और ट्यूनीशिया की राजधानी ट्यूनिस में महिला मेयर को चुना गया है. हालांकि उन्होंने आगाह किया कि महिलाओं के मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं पर हमले भी बढ़ रहे हैं.

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को शारीरिक और यौन हिंसा, और इंटरनेट पर सार्वजनिक अपमान का सामना करना पड़ रहा है.  उनके परिजनों और बच्चों को भी नहीं बख़्शा जा रहा है. 

विकास का लाभ हर किसी को नहीं मिला

प्रवासन के मुद्दे पर बात करते हुए मिशेल बाशलेट ने कहा कि इससे युवा विशेष तौर पर प्रभावित हो रहे हैं. लोग जोखिम भरी यात्राएं मजबूरी के कारण ही कर रहे हैं. ग़रीबी, भेदभाव, दमन, हिंसा, कुशासन, जलवायु परिवर्तन और राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों के हनन के चलते ही लोगों को ऐसे फ़ैसले लेने पड़ रहे हैं. 

"अल सल्वाडोर, ग्वाटेमाला और होंडुरस से लोगों का अमेरिका का रुख़ करना, विकास का लाभ लोगों का न मिल पाना है. अधिकारों का निरंतर हनन हो रहा है जिससे गहरी असमानता फैल रही है."

मानवाधिकार उच्चायुक्त ने मैक्सिको के उस कदम का स्वागत किया है जिसके तहत प्रवासियों को हिरासत में लेने या देश वापस भेजने के बजाए अब अधिकार-आधारित प्रक्रिया अमल में लाई जाएगी. इसका उद्देश्य प्रवासियों को नियमन के अवसर प्रदान करना और उन्हें हिरासत में लेने के बजाए अन्य वैकल्पिक रास्तों को तलाशना है. 

अमेरिका में प्रवासियों को सीमा से ही वापस भेजे जाने वाली नई पाबंदियों पर उन्होंने चिंता जताई और कहा कि अपने परिवारों से अलग होने वाले प्रवासी बच्चों की जितनी संख्या पहले सामने आई थी उससे कहीं ज्यादा बच्चे अलग हुए हैं. 

बाशलेट ने कहा कि यूरोप में भी प्रवासन एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. हिंसा और यातना से बचकर आने वाले लोगों की मदद के लिए उन्होंने जर्मनी, फ़िनलैंड, पुर्तगाल और स्पेन के प्रयासों का स्वागत किया. उत्तर अफ़्रीका के तटों से नावों में जोखिम भरी यात्रा के दौरान भूमध्यसागर में दुर्घटना का शिकार होने वाली घटनाओं के चलते बाशलेट ने ध्यान दिलाया कि प्रवासन के आम रास्तों  को बढ़ाने की आवश्कता है. 

"इस साल के पहले दो महीनों में 226 मौतें हुई हैं. ग़ैर सरकारी संगठनों की कई नावों को काम करने से रोक दिया है जो एकजुटता का अपराधीकरण करना है. ऐसे में लोगों को बचाने की ज़िम्मेदारी अब व्यापारिक जहाज़ों पर है और उनमें यह करने की पूरी क्षमता नहीं है."

कई पीढ़ियों के लिए घाव है यमन

लंबे समय से त्रासदी झेलते यमन का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आने वाली कई पीढ़ियों के लिए भी यह एक घाव बन गया है. यमन में राष्ट्रपति अब्द रब्बू मंसूर हादी के समर्थक सरकारी सुरक्षा बलों और हूती लड़ाकों में 2015 से हो रही हिंसा में हज़ारो लोगों की जानें गई हैं. लोगों को भुखमरी, हवाई हमलों, बारूदी सुरंगों का शिकार होना पड़ रहा है और इस संकट से बच्चे ख़ास तौर पर प्रभावित हुए हैं.

उधर सीरिया में 2011 में चल रहे संघर्ष पर कमिश्नर बाशलेट ने कहा कि हिंसा में शामिल सभी पक्षों को अब तक लापता हुए लोगों के बारे में सूचना देनी चाहिए. "इदलिब गवर्नरेट में आम लोगों के मारे जाने की संख्या बढ़ रही है जिससे मैं विशेष रूप से चिंतित हूं. सभी पक्षों को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस्लामिक स्टेट के नियंत्रण वाले इलाक़ों से बच निकल कर आ रहे लोगों को संरक्षण और सहायता की आवश्यकता है. राजनीतिक समाधान निकालने की जो अपील विशेष दूत ने जारी की है उसका मैं भी हिस्सा हूं."