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एचआईवी संक्रमण से 'मुक्त' हुआ मरीज़, यूएन एजेंसी 'उत्साहित'

एचआईवी संक्रमण के इलाज की संभावना पहली बार 2007 में जताई गई थी.
Donald Bliss/NLM/NIH
एचआईवी संक्रमण के इलाज की संभावना पहली बार 2007 में जताई गई थी.

एचआईवी संक्रमण से 'मुक्त' हुआ मरीज़, यूएन एजेंसी 'उत्साहित'

स्वास्थ्य

एड्स के अंत के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयासों की अगुवाई कर रही संयुक्त राष्ट्र एजेंसी यूएनएड्स (UNAIDS) ने कहा है कि इलाज के बाद एक मरीज़ के 'एचआईवी संक्रमण से मुक्त' होने की ख़बर उत्साहजनक है लेकिन इस बीमारी को पूरी तरह जड़ से उखाड़ने के लिए अभी एक लंबा रास्ता तय करना है.  

लंदन के अस्पताल में एक व्यक्ति 'होजकिन लिम्फोमा' कैंसर से पीड़ित था और उसका इलाज चल रहा था. 2016 में स्टेम सेल प्रत्यारोपण हुआ और एक डोनर से मिलने वाले सेल से एचआईवी वायरस के प्रति दुर्लभ आनुवांशिक प्रतिरोधक क्षमता आ गई. 

शोधकर्ताओं का कहना है कि 18 महीने पहले एंटीरेट्रोवायरल दवाओं को बंद करने के बाद भी एचआईवी के कोई लक्षण फिर देखने को नहीं मिले हैं. हालांकि उनका कहना है कि अभी पक्के तौर पर यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि उसका पूर्ण रूप से इलाज हो गया है. 

एचआईवी संक्रमण से मुक्त होने का यह सिर्फ़ दूसरा मामला सामने आया है. इससे पहले जर्मनी की राजधानी बर्लिन में 2007 में एक कैंसर पीड़ित व्यक्ति का ऐसे ही इलाज किया गया था. 

एजेंसी की ओर से जारी एक प्रेस वक्तव्य में कहा गया है कि एचआईवी से ग्रस्त व्यक्ति का इलाज हो जाने की ख़बर से यूएनएड्स बेहद उत्साहित है.

यूएनएड्स के कार्यकारी निदेशक माइकल सिडिबे ने कहा कि "हालांकि यह सफलता जटिल है और अभी काफ़ी काम किया जाना बाक़ी है, यह हमें भविष्य के लिए आशा देती है कि हम विज्ञान के सहारे एड्स का अंत कर सकते हैं. एक वैक्सीन से या इलाज़ से. लेकिन यह हमें ये भी बताता है कि अभी हम उससे दूर हैं." उन्होंने कहा कि एड्स की रोकथाम और इलाज के लिए प्रयास जारी रखे जाने बेहद आवश्यक है. 

एजेंसी ने ज़ोर देकर कहा है कि स्टेम सेल प्रत्यारोपण की प्रक्रिया बेहद जटिल, गहन और ख़र्चीली है और इसके कईं दुष्प्रभाव भी हो सकती हैं. "एचआईवी वायरस के साथ जीवन जी रहे बहुत से लोगों का इस तरीक़े से इलाज करना व्यवहार में लाना कठिन है."

"लेकिन ये परिणाम उन शोधकर्ताओं के लिए बेहद अहम हैं जो एचआईवी के उपचार की रणनीतियों पर काम कर रहे हैं. ये वैज्ञानिक शोध और अन्वेषण (इनोवेशन) में और निवेश की अहमियत को भी रेखांकित करता है."

एचआईवी से पीड़ित लोगों को एड्स के कलंक और भेदभाव का सामना करना पड़ता है और फ़िलहाल इस बीमारी का कोई ठोस रूप में इलाज नहीं है. ऐसे में यूएन एड्स सुनिश्चित करने में जुटा है कि एचआईवी से पीड़ित मरीज़ों के पास जीवन रक्षक सेवाओं, देखभाल और साधनों तक पहुंच हो. 

2017 में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 3.7 करोड़ लोग एचआईवी से पीड़ित हैं और 18 लाख लोग हाल ही में संक्रमण होने के चलते नए मरीज़ बने हैं. एड्स से जुड़ी बीमारियों के चलते 2017 में दस लाख से ज़्यादा लोगों की मौत हुई और 2 करोड़ से ज़्यादा लोगों के पास इलाज के साधन उपलब्ध थे. 

पिछले साल नवंबर में विश्व एड्स दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा था कि एड्स बीमारी की चुनौती से निपटने के रास्ते में दुनिया एक अहम मुक़ाम पर खड़ी है और यहां से जिस दिशा में आगे बढ़ा जाएगा वही तय करेगा कि क्या दुनिया 2030 तक एड्स का अंत कर सकती है या नहीं.

2030 तक एड्स का ख़ात्मा करना संयुक्त राष्ट्र की एड्स मामलों के लिए संस्था की फ़ास्ट ट्रैक रणनीति के अलावा टिकाऊ विकास एजेंडा का भी लक्ष्य है.