नशीले पदार्थों के शौकिया इस्तेमाल से युवाओं को ख़तरा

कैनेबिस (भांग) के चिकित्सीय उपयोग पर लचर नियंत्रण इसके शौकिया इस्तेमाल को बढ़ा सकता है जबकि आम लोगों को इसके दुष्प्रभावों के बारे में सही जानकारी ही नहीं है. नशीले पदार्थों पर नियंत्रण के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र समर्थित संस्था, अंतरराष्ट्रीय नारकोटिक्स नियंत्रण बोर्ड (आईएनसीबी) ने अपनी नई रिपोर्ट में भांग और गांजे (मारिजुआना) के जोखिम के प्रति सचेत किया है.
आईएनसीबी सदस्य जगजीत पवाडिया के साथ बातचीत सुनने के लिए यहां क्लिक करें.
2018 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट को जारी करते हुए आईएनसीबी अध्यक्ष विरोज सुमायी ने कहा कि, "जिस तरह से कुछ देशों में भांग के शौकिया या मनबहलाव के नज़रिए से इस्तेमाल को क़ानूनी मान्यता दी गई है वह अब तक हुई संधियों को सार्वभौमिक रूप से लागू किए जाने के रास्ते में चुनौती पैदा करता है. साथ ही यह स्वास्थ्य और कल्याण को भी चुनौती दे रहा है, विशेषकर युवाओं को."
यह रिपोर्ट ऐसे समय जारी की गई है जब नियंत्रण बोर्ड अपनी 50वीं वर्षगांठ मना रहा है. नई रिपोर्ट में भांग और गांजे के चिकित्सीय और वैज्ञानिक इस्तेमाल में होने वाले लाभ और जोखिम के बारे में जानकारी दी गई है.
कई अमेरिकी प्रांतों और दुनिया में अन्य देशों ने हाल के सालों में मारिजुआना (गांजा) के शौकिया इस्तेमाल को क़ानूनी मान्यता दे दी गई है. रिपोर्ट में इस कदम से होने वाले प्रभावों की पड़ताल करते हुए बताती है कि इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य पर ग़लत असर पड़ सकता है और गांजे का ग़ैर-चिकित्सीय इस्तेमाल बढ़ सकता है.
सुमायी का कहना है कि कैनेबिस (भांग) के ररखाव, नियंत्रण और वितरण से जुड़ी कई ग़लतफ़हमियां हैं, ख़ासतौर पर उन मामलों में जहां इसके शौकिया इस्तेमाल की अनुमति है या जहां इसका चिकित्सीय इस्तेमाल हो रहा है.
नियंत्रण बोर्ड का कहना है कि औषधियों के ग़ैर-चिकित्सीय इस्तेमाल पर जो क़ानूनी कदम उठाए जा रहे हैं वह चिंता का कारण बन गए हैं क्योंकि इससे स्वास्थ्य संबंधी ख़तरे भी पैदा हो रहे हैं. "भांग के इस्तेमाल पर हमारी रिपोर्ट में ख़ास तौर पर ध्यान केंद्रित किया गया है. जिन देशों में शौकिया इस्तेमाल की अनुमति दे दी गई है उनसे संवाद के लिए नियंत्रण बोर्ड तैयार है."
"अंतरराष्ट्रीय औषधि नियंत्रण प्रणाली के क्रियान्वयन पर जानकारी सीमित ही है. सदस्य देशों ने इसे ऐसे तैयार किया है जिससे इसके ग़लत इस्तेमाल की रोकथाम हो सके और महत्वपूर्ण दवाइयों तक पहुंच बनी रहे."
नियंत्रण बोर्ड ने सरकारों से अपील की है कि जिन लोगों की दर्दनिवारक दवाओं तक पहुंच नहीं है उनकी पीड़ा का अंत होना चाहिए. इससे टिकाऊ विकास से जुड़े तीसरे लक्ष्य को पाने में मदद मिलेगी जो स्वस्थ जीवन और सभी का कल्याण सुनिश्चित करने पर केंद्रित है.
सुमायी ने कहा कि "लोग बिना किसी वजह के दर्द झेल रहे हैं और उन्हें बिना सुन्न किए ही सर्जरी करानी पड़ती है क्योंकि कई देशों में अब भी ऐसी दवाओं तक लोगों की पहुंच नहीं है."
लेकिन उन्होंने सचेत किया कि नियंत्रित दवाइयों की ज़रूरत से ज़्यादा आपूर्ति होने में ख़तरे निहित हैं. "कई स्थानों पर बेरोकटोक ढंग से दवाइयों का इस्तेमाल होने दिया जा रहा है और उसका दुरुपयोग बढ़ रहा है. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि दर्दनिवारदक दवाओं की उपलब्धता में संतुलन साधा जाए."
रिपोर्ट के अनुसार मिर्गी से पीड़ित 80 फ़ीसदी से अधिक लोग निम्न और मध्य आय वाले देशों में रहते हैं जहां मिर्गी पर क़ाबू पाने के लिए अधिकतर दवाइयां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नियंत्रित हैं और या तो आसानी से उपलब्ध नहीं हैं या उनके बारे में लोगों को पता नहीं है.
निम्न आय वाले देशों में डॉक्टरों की संख्या आम तौर पर कम होती है. इसलिए नियंत्रण बोर्ड ने अपनी अनुशंसा में कहा है कि ज़्यादा स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों को नियंत्रित पदार्थों के नुस्ख़े लिखने की अनुमति मिलनी चाहिए.
"औषधि नियंत्रण से जुड़ी चुनौतियां बेहद मुश्किल दिखाई दे सकती हैं लेकिन सहयोग और राजनीतिक इच्छाशक्ति के ज़रिए ऐसी चुनौतियो से पहले भी पार पाया गया है. उसी समर्पण और जज़्बे की आज आवश्यकता है."