यमन में मानवीय मदद के लिए 2.6 अरब डॉलर का संकल्प
यमन में जारी संकट से निपटने के लिए हो रहे प्रयासों के तहत दानदाता देशों ने मानवीय राहत अभियानों के लिए 2.6 अरब डॉलर की सहायता राशि प्रदान करने का संकल्प लिया है. यह धनराशि पिछले साल के मुक़ाबले 30 फ़ीसदी अधिक है जिससे यमन में विकट परिस्थितियों में रह रहे लाखों लोगों तक मानवीय राहत पहुंचाने के काम में मदद मिल सकेगी.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि आज के सम्मेलन को सफल माना जा सकता है. "दानदाताओं ने पिछले साल की तुलना में 30 फ़ीसदी अधिक धनराशि मुहैया कराने का वायदा किया है ताकि यमन को मानवीय संकट से उबारने में मदद मिल सके. कई देशों, विशेषकर सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात, ने अपनी सहायता राशि को बढ़ाया है."
दोनों देशों ने 50-50 करोड़ डॉलर की सहायता राशि का वायदा किया है.
मंगलवार को हुए इस संकल्प सम्मेलन का आयोजन स्वीडन और स्विट्ज़रलैंड ने मिलकर किया था. यमन में मानवीय संकट से निपटने के लिए होने वाला यह तीसरा उच्चस्तरीय सम्मेलन था जिसका उद्देश्य यमन में संघर्ष का दंश झेल रहे पीड़ितों की मदद करना और मानवीय राहत प्रयासों के लिए समर्थन जुटाना है.
यूएन महासचिव ने कहा कि यमन में जारी संघर्ष से वहां महिलाओं और बच्चों पर ज़बरदस्त असर हो रहा है. "बच्चों ने यमन में लड़ाई की शुरुआत नहीं की लेकिन उसकी सबसे बड़ी क़ीमत वही चुका रहे हैं. साढ़े तीन लाख बच्चे कुपोषण का शिकार हैं और अपने जीवन के लिए रोज़ संघर्ष कर रहे हैं. आपात मानवीय परिस्थितियों में महिलाओं और लड़कियों को कई संकटों का सामना करना पड़ रहा है. वे यौन और लिंग आधारित हिंसा और बाल विवाह का ख़तरा झेलती हैं."
2019 में मानवीय राहत कार्यों के लिए जिस योजना का खाका तैयार हुआ है उस हिसाब से यमन में संघर्ष से प्रभावित 2 करोड़ से ज़्यादा नागरिकों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए 4 अरब डॉलर की राशि की आवश्यकता है. इस सम्मेलन में 2.6 अरब डॉलर की सहायता राशि प्रदान करने का संकल्प लिया गया है जो पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज़्यादा है. 2018 के सम्मेलन में दो अरब डॉलर की सहायता का वचन दिया गया था.
स्थायी समाधान ज़रूरी
यूएन महासचिव ने कहा कि यह सम्मेलन एक शुरुआत है लेकिन मदद के अन्य रास्ते भी निकाले जाएंगे. "हमारा अनुभव कहता है कि संकल्प सम्मेलन एक शुरुआत है. साल के अंत तक कई अन्य ज़रियों से समर्थन के लिए रास्ते निकाले जाएंगे और यमन में ज़रूरतमंदों की मदद के लिए और योगदान दिए जाएंगे."
उन्होंने आगाह किया कि मानवीय समस्या का कोई मानवीय समाधान नहीं है और बदहाल स्थिति में रह रहे लोगों की ज़रूरतों को पूरा करना अहम है लेकिन उससे भी ज़रूरी संघर्ष को समाप्त करना है.
"स्टॉकहोम में एक बेहद अहम लम्हा आया जब हुदायदाह में संघर्ष विराम और कुछ अन्य बिंदुओं पर सहमति बनी. संघर्ष समाप्त करने की आशाएं जगी हैं लेकिन स्टॉकहोम समझौते को लागू करने के रास्ते में बाधाएं भी देखने को मिल रही हैं. लेकिन हमें विश्वास है कि हम इन बाधाओं से पार पा लेंगे और स्टॉकहोम समझौते को लागू करने के प्रयासों में हम हिम्मत नहीं हारेंगे. इससे हमें यमन में शांति को फिर से स्थापित करने की दिशा में पहला कदम उठा पाएंगे."
यूएन महासचिव ने बताया कि विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) को हुदायदाह में खाद्य भंडारों तक पहुंचने में सफलता मिल गई है. इन मिलों में 50 हज़ार टन से ज़्यादा अनाज का भंडार है जिससे 37 लाख लोगों के लिए एक महीने तक भोजन का इंतज़ाम करने में मदद मिल सकेगी.
सरकारी सुरक्षा बलों और हूती विद्रोहियों के बीच हुदायदाह और आस पास के इलाक़ों में हिंसा के चलते अनाज भंडारों तक पहुंचना असंभव साबित हो रहा था. यूएन एजेंसी ने अनाज भंडारों तक पहुंचने की पुष्टि की है लेकिन अभी ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि क्या अनाज उपयोग करने वाली अवस्था में है या नहीं.