वि-औपनिवेशीकरण की प्रक्रिया में मिली सफलता 'प्रेरणादायी'

संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में वि-उपनिवेशीकरण एक बेहद अहम अध्याय है लेकिन इस अध्याय का लेखन अभी जारी है क्योंकि अब भी दुनिया में 17 ऐसे क्षेत्र हैं जो स्वयं-शासित नहीं हैं. यूएन वि-औपनिवेशीकरण समिति के वर्ष 2019 सत्र को संबोधित करते हुए महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ये बात कही.
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के समय 51 सदस्य देश थे लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 193 हो चुकी है. वि-औपनिवेशीकरण की प्रक्रिया ने इसमें अहम भूमिका निभाई है.
यूएन महासचिव ने कहा कि एक पुर्तगाली नागरिक होने की हैसियत से वह वि-औपनिवेशीकरण समिति को ध्यान दिलाना चाहते हैं कि वे एक ऐसे देश से आते हैं जो कभी तानाशाही से पीड़ित था.
उन्होंने कहा कि वि-औपनिवेशीकरण का एजेंडा उनके दिल के बहुत नज़दीक है और इसके प्रति वह अपना समर्थन दोहराना चाहेंगे.
1946 में कुछ सदस्य देशों ने ऐसे क्षेत्रों की एक नामावली तैयार की जहां स्वयं-शासन नहीं था और उन्हें संयुक्त राष्ट्र की एक सूची में रख दिया गया.
1960 में औपनिवेशिक देशों और लोगों की स्वाधीनता पर एक घोषणा पारित की गई जिसके बाद महासभा ने एक विशेष समिति का का गठन किया.
इसका संक्षिप्त रूप 'C-24' है और 24 देश इस घोषणा के अमल की निगरानी करते हैं.
विशेष समिति का प्रमुख काम सूची में शामिल क्षेत्रों की समीक्षा करना है, घोषणा के अमल के लिए अनुशंसा तैयार करनी है और वि-औपनिवेशीकरण प्रक्रिया से जुड़ी अहम सूचना मुहैया करानी है.
हाल के दशकों में इस सूची से कई क्षेत्र हट चुके हैं. महासचिव का कहना था, "लेकिन यह कहानी अभी लिखी जा रही है क्योंकि 17 देश ऐसे हैं जहां स्वयं-शासन नहीं है और वे स्वशासन आने का इंतज़ार कर रहे हैं."
यूएन महासचिव ने बताया कि दक्षिण प्रशांत में स्थित न्यू कैलेडोनिया ने इस दिशा में एक अहम क़दम आगे बढ़ाते हुए नवंबर 2018 में जनमत संग्रह कराया.
न्यू कैलेडोनिया में फ़िलहाल फ़्रांस का शासन है. फ्रांस की ओर से इस प्रक्रिया के दौरान मिले सहयोग की उन्होंने प्रशंसा की है.
जनमत संग्रह होने तक विशेष समिति ने सहायता प्रदान की और दो मिशन न्यू कैलेडोनिया भेजे गए.
"वि-औपनिवेशीकरण के लिए क्षेत्रों में रह रहे लोगों की आवाज़ सुनी जानी चाहिए." साथ ही उन्होंने वहां शासन कर रहे देशों से सहयोग मिलने की अहमियत को भी रेखांकित किया.
"स्व-शासन से वंचित क्षेत्रों में रह रहे लोगों को अपने राजनैतिक दर्जे से जुड़े विकल्पों के बारे में जानकारी होनी चाहिए और अपना भविष्य चुनने का अधिकार सर्वोपरि है."
महासचिव ने समिति को 2019 के लिए सफलता की शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने कहा कि पिछले कई दशकों में मिली सफलता आज भी प्रेरणा देने का काम करती है.