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शरणार्थियों को शरण देने की तंज़ानियाई परंपरा की सराहना

तंजानिया के कसुुलु में एक शरणार्थी शिविर में एक महिला और बच्चे से बात करते फ़िलिपो ग्रान्डी.
UNHCR/Georgina Goodwin
तंजानिया के कसुुलु में एक शरणार्थी शिविर में एक महिला और बच्चे से बात करते फ़िलिपो ग्रान्डी.

शरणार्थियों को शरण देने की तंज़ानियाई परंपरा की सराहना

प्रवासी और शरणार्थी

हिंसा और अत्याचार से बचकर आने वाले लोगों को शरण देने की लंबी परंपरा निभाने के लिए, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के प्रमुख फ़िलिपो ग्रान्डी ने तंज़ानिया की प्रशंसा की है. ग्रान्डी ने कहा कि तंज़ानिया अफ़्रीका के अस्थिर हिस्से में शांति कायम करने में भूमिका निभाता एक ऐसा देश है जिसे और अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलना चाहिए. 

 

तंज़ानिया के चार दिवसीय दौरे के समाप्त होने पर फ़िलिपो ग्रान्डी ने देश के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में और निवेश किए जाने का अनुरोध किया. इस इलाक़े में तीन लाख से अधिक शरणार्थी रहते हैं. साथ ही ग्रान्डी ने मानवीय राहत, स्थानीय समुदायों के विकास, शिविरों की सुरक्षा चाक-चौबंद करने और पर्यावरण परियोजनाओं के लिए और प्रयास करने का संकल्प लिया है. 

तंज़ानिया के राष्ट्रपति जॉन जोसेफ़ मागाफ़ूली के साथ मुलाक़ात में ग्रान्डी ने पड़ोसी देशों में हिंसा और यातना झेल रहे शरणार्थियों का स्वागत करने की तंज़ानियाई परंपरा की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि अफ़्रीका में शरणार्थियों के लिए तंज़ानिया सबसे अहम देशों में से एक है और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाना चाहिए. 

ग्रान्डी ने स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों से आग्रह किया कि शरणार्थियों को उनके मूल देश वापस भेजे जाने के लिए दबाव नहीं डाला जाना चाहिए. पिछले दो सालों में बुरुंडी से आए 57 हज़ार शरणार्थियों को अपनी इच्छा से देश वापस जाने में मदद की गई है लेकिन कुछ शरणार्थियों का कहना है कि प्रशासन के दबाव में ही वे अपने देश जाने के लिए तैयार हुए. उन्हें आवाजाही की आज़ादी नहीं थी और नौकरी मिलने के अवसर नहीं थे जिससे गुज़ारा चलाना मुश्किल था. 

कसुलु में एक शरणार्थी शिविर का दौरा करने के बाद ग्रान्डी ने पत्रकारों को बताया, "यह ज़रूरी है कि किसी पर भी वापस जाने का दबाव न डाला जाए. यह निर्णय स्वेच्छा से होना चाहिए." इस शिविर में बुरुंडी और कांगो से आए 15 हज़ार से ज़्यादा शरणार्थी रहते हैं.

ग्रान्डी ने माना कि कांगो और बुरुंडी में अनिश्चितता के बावजूद कुछ शरणार्थी अपने मन से अपने वतन लौटने का तैयार हैं  लेकिन उनकी टिकाऊ वापसी तभी हो सकती है जब वापस जाना सुरक्षित हो और उन्हें मदद मिले. तंज़ानिया में दो तिहाई से ज़्यादा शरणार्थी बुरुंडी से हैं और 25 प्रतिशत कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य से हैं.