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यमन में लाखों लोग भुखमरी के कगार पर

हुदायदाह शहर से बाहर जाने वाली सड़क पर एक मृत गाय.
OCHA/Giles Clarke
हुदायदाह शहर से बाहर जाने वाली सड़क पर एक मृत गाय.

यमन में लाखों लोग भुखमरी के कगार पर

शान्ति और सुरक्षा

यमन में लगभग एक करोड़ लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं. संयुक्त राष्ट्र आपात राहत मामलों के समन्वयक ने गहरी चिंता जताते हुए कहा है कि हुदायदाह शहर के बाहरी इलाक़े में एक खाद्य सामग्री का बड़ा भंडार मौजूद है लेकिन पिछले साल सितंबर से वहां पहुंचना मुश्किल साबित हुआ है. 

यूएन अधिकारी मार्क लोकॉक ने एक बयान जारी कर बताया, "37 लाख लोगों को एक महीने तक भोजन उपलब्ध कराने में पर्याप्त अनाज का चार महीने से इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है और संभवतया वह सड़ रहा है. किसी का भी इससे फ़ायदा नहीं हो रहा है लेकिन लाखों भूखे लोग कष्ट भुगत रहे हैं."

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) का 51 हज़ार मीट्रिक टन अनाज वहां रखा है जो यमन में अनाज के उसके कुल भंडार का 25 फ़ीसदी है. इससे 37 लाख लोगों को एक महीने तक खाना खिलाया जा सकता है. लड़ाई के चलते सितंबर 2018 से ही वहां तक पहुंचा नहीं जा सका है. 

पिछले महीने सरकारी नियंत्रण वाले दो भंडार केंद्रों पर मोर्टार आकर गिरे जिससे आग लगी और हज़ारों लोगों को खाना खिला सकने लायक अनाज नष्ट हो गया.

लोकॉक के मुताबिक़ ऐसी घटनाओं की निंदा की जानी चाहिए. 

समय बीतने के साथ ही अनाज भंडार केंद्रों तक पहुंचना ज़रूरी होता जा रहा है क्योंकि अनाज के सड़ने की भी आशंका बढ़ रही है. सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए हूती विद्रोहियों के सहयोगी गुटों ने संयुक्त राष्ट्र को अग्रिम मोर्चे को पार कर अनाज केंद्र तक पहुंचने की अनुमति नहीं दी है. 

मामले को सुलझाने के लिए सभी  पक्षों से बातचीत चल रही है. "समाधान ढूंढने के लिए सभी ने प्रयास किए हैें और मैं इसकी सराहना करता हूं. लेकिन यह अभी दूर है." लोकॉक ने अपील की है कि सहमति को अंतिम रूप देते हुए आने वाले दिनों में अनाज भंडार केंद्रों तक पहुंचने में मदद की जानी चाहिए. 

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र और उसके साझेदार संगठन एक करोड़ 20 लाख से ज़्यादा लोगों तक आपात भोजन सहायता पहुंचाने के काम में जुटे हैं. "हम बड़ी संख्या में लोगों को बचा सकते हैं, अधिकतर लोग अंसार अल्लाह के कब्ज़े वाले इलाक़ों में है. लेकिन जिन लोगों के नियंत्रण में ये इलाक़े हैं हमें उनसे मदद चाहिए होगी."

संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से यमन सरकार और हूती विद्रोहियों में स्टॉकहोम में समझौता हुआ था लेकिन अब भी चुनौतियां बरकरार हैं. मानवीय गलियारों को खोलने, नाज़ुक संघर्षविराम में स्थिरता कायम करने और हूती विद्रोहियों के कब़्जे वाले इलाक़ों से लड़ाकों की वापसी के लिए वार्ता चल रही है लेकिन जटिल मुद्दों के चलते प्रगति की रफ़्तार धीमी है.