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दो तिहाई बच्चे कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित

छह वर्षीय मुस्तफ़ा बग़दाद के औद्योगिक इलाक़े में अपने पिता के साथ काम करता है.
Photo: UNICEF/Wathiq Khuzaie
छह वर्षीय मुस्तफ़ा बग़दाद के औद्योगिक इलाक़े में अपने पिता के साथ काम करता है.

दो तिहाई बच्चे कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित

आर्थिक विकास

दुनिया में हर 10 में से छह बच्चों को सामाजिक सुरक्षा प्राप्त नहीं है जिससे उनके ग़रीबी का शिकार होने की आशंका बढ़ जाती है. संयुक्त राष्ट्र ने अपनी एक नई रिपोर्ट में सचेत किया है कि कुछ सरकारें आर्थिक अनिश्चितता के चलते लाभकारी योजनाओं में कटौती कर रही हैं जिससे स्थिति और ख़राब हो सकती है.

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की एक संयुक्त रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि यूं तो दुनिया में कल्याणकारी योजनाओं का लाभ क़रीब 35 फ़ीसदी  बच्चों को मिलता है लेकिन एशिया में यह आंकड़ा गिरकर 28 फ़ीसदी और अफ़्रीका में सिर्फ 16 प्रतिशत रह जाता है. 

2015 में टिकाऊ विकास से जुड़े 17 लक्ष्यों पर आधारित 2030 एजेंडा को जब सदस्य देशों ने सहमति दी तो उस समय ग़रीबी उन्मूलन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने पर सहमति हुई थी.

श्रम संगठन में सामाजिक सुरक्षा विभाग की निदेशक इसाबेल ओर्तिज़ ने बताया, "ज़रूरत से कम निवेश के बड़े अंतर को पाटने की आवश्यकता है. क्षेत्र के हिसाब से आंकड़े बदतर हो जाते हैं. उदाहरण के तौर पर अफ़्रीका में बच्चों की संख्या वहां की कुल जनसंख्या का 40 फ़ीसदी है लेकिन बच्चों की सामाजिक सुरक्षा के लिए सिर्फ़ 0.6 प्रतिशत का ही निवेश किया जाता है."

इस रिपोर्ट के मुताबिक़, दुनिया में हर पांच में से एक बच्चा अत्यधिक ग़रीबी में जीवन व्यतीत करता है यानि जीवन यापन के लिए प्रतिदिन 1.90 डॉलर ही उपलब्ध हैं. वयस्कों की तुलना में बच्चों के अत्यधिक ग़रीबी में रहने की संभावना दो गुना होती है. शिक्षा का अवसर न मिल पाने और ख़राब पोषण इसके दो दीर्घकालीन प्रभावों के रूप में सामने आते हैं.

यूनिसेफ़ में ग़रीबी और सामाजिक सुरक्षा यूनिट के प्रमुख डेविड स्टीवर्ट ने कहा,  "हालांकि बच्चों के लिए सामाजिक सुरक्षा और नकद हस्तांतरण बेहद अहम हैं लेकिन सिर्फ़ यही काफ़ी नहीं है. इनके साथ साथ अन्य सेवाओं को भी शामिल किया जाना चाहिए. अगर कोई बच्चा किसी ऐसे घर में रह रहा है जहां उसके पास पर्याप्त संसाधन हैं लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य  तक उसकी पहुंच नहीं है तो फिर इससे लाभ नहीं होता. इसलिए दोनों बातों को साथ लेकर चलने की ज़रूरत है."

रिपोर्ट में सभी सरकारों से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज में निवेश करने और बाल मज़दूरी जैसे अन्य गंभीर मुद्दों से निपटने की अपील की गई है.

कईं देशों को मिली सफलता

अनेक विकासशील देशों ने पूर्ण रूप से या लगभग पूरी तरह से सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा को हासिल कर लिया है. इनमें अर्जेंटीना, ब्राज़ील, चिली और दक्षिण अफ़्रीका प्रमुख हैं. मंगोलिया में बच्चों के लिए भी सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था है लेकिन कटौती किए जाने से इन लाभों को ख़तरा है. 

ओर्तिज़ ने कहा, "हाल के दिनों में वित्तीय दबाव के चलते उन्हें सलाह दी जा रही है कि ऐसी लाभकारी योजनाओं को निशाना बनाया जाना चाहिए. अगर वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए थोड़े समय के लिए ऐसे किफ़ायती कदम उठाए जाते हैं तो बच्चों पर लंबे समय के लिए असर पड़ सकता है. इसलिए यूएन का संदेश है कि दीर्घकाल के लिए देखा जाना चाहिए. "

"अगर बच्चों को समुचित सामाजिक सुरक्षा दी जाए तो बाल ग़रीबी को रातोंरात कम किया जा सकता है. उनके जीवन में सुधार लाना प्राथमिकताओं और राजनीतिक इच्छाशक्ति का विषय है. यहां तक कि ग़रीब देशों के पास भी सामाजिक सुरक्षा को बढ़ाने की गुंजाइश है."

सिर्फ़ चार सालों में सार्वभौमिक स्वास्थ्य और पेंशन कवरेज सुनिश्चित करने में चीन को मिली सफलता का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट बताती है कि क्या हासिल किया जा सकता है.