सर्वाइकल कैंसर का जल्द निदान बचा सकता है लाखों महिलाओं की जान

सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम और इलाज सफल होने की अधिक संभावनाओं के बावजूद हर साल 3 लाख से ज्यादा महिलाओं को कैंसर का यह रूप अपना शिकार बनाता है. हर एक मिनट में एक महिला में इस बीमारी की पहचान होती है. विश्व कैंसर दिवस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि सर्वाइकल कैंसर से मौत का शिकार होने वाली हर दस में से नौ महिलाएं गरीब देशों की होती हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार अगर इसे रोकने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया तो 2040 तक इस बीमारी से होने वाली मौतों में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हो जाएगी. बीमारी की रोकथाम के लिए यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि विश्व स्तर पर 9-14 वर्ष की सभी लड़कियों को ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) वायरस के ख़िलाफ़ टीके लगाए जाएं.
एचपीवी ऐसे वायरस का समूह है जो कि बेहद आम है और जिसके दो प्रकार सर्वाइकल कैंसर के 70 फ़ीसदी मामलों के लिए ज़िम्मेदार हैं.
विकासशील देशों की महिलाओं की रोकथामकारी उपायों तक सीमित पहुंच होती है और सर्वाइकल कैंसर का अक्सर तब तक पता नहीं चलता, जब तक वह विकसित चरण तक नहीं पहुंच जाता. अंतिम चरण में सर्वाइकल कैंसर का उपचार- जैसे सर्जरी, रेडियोथैरेपी और कीमोथैरेपी - सुविधाओं की उपलब्धता कम है जिसके कारण इन देशों में बड़ी संख्या में महिलाओं की मृत्यु हो जाती है.
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि स्थिति को बेहतर करने के लिए नई तकनीक और रणनीतियों, निदान और तेज़ी से फैलने वाले कैंसर के शुरुआती चरण में इलाज की भी जरूरत है. इसके अतिरिक्त इस बीमारी से ग्रस्त होने वाली महिलाओं के लिए तकलीफ दूर करने के उपाय सुनिश्चित किए जाने चाहिए.
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज देने वाली सशक्त स्वास्थ्य प्रणालियों में इन सेवाओं को शामिल किया जाना चाहिए. सभी को समान रूप से ऐसी सेवाएं उपलब्ध हों, इसके लिए राजनैतिक प्रतिबद्धता, अधिक अंतरराष्ट्रीय समन्वय और सहयोग की जरूरत होगी.
अनेक देश और यूएन एजेंसियां संयुक्त राष्ट्र साझा रूप से विश्वस्तरीय सर्वाइकल कैंसर रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम का हिस्सा बन गए हैं. इस पांच वर्षीय कार्यक्रम के तहत विभिन्न देशों की सरकारों और उनके सहभागियों को राष्ट्रीय सर्वाइकल कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम तैयार करने हेतु विश्वस्तरीय नेतृत्व और तकनीकी सहयोग प्रदान किया जाता है.
सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौती बन कर उभर रहे सर्वाइकल कैंसर को समाप्त करना इन कार्यक्रमों का उद्देश्य है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार इस बीमारी पर नियंत्रण पाने के लिए सरकारों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, अनुसंधानकर्ताओं, स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों और व्यक्तियों के साथ ही जीवन रक्षक दवाओं, और निदान और उपचार यंत्रों के निर्माताओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी.