अविश्वास भरे माहौल में 'सबसे ज़्यादा बिकता है डर'

दुनिया भर में फैले डर और अविश्वास से पैदा होने वाले ख़तरों की चेतावनी देते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि वह यूएन को एक ऐसे मंच के रूप में फिर स्थापित करना चाहते हैं जिससे विश्व व्यवस्था में टूटे विश्वास को फिर कायम किया जा सके. नए साल में महासचिव गुटेरेश की यह पहली प्रेस वार्ता थी.
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि, "दुनिया में सबसे तेज़ी से बिकने वाला ब्रैंड इस समय डर है. इससे रेटिंग्स बढ़ती हैं, वोट जीते जाते हैंं और क्लिक भी हासिल होते हैं."
"मेरा मानना है कि सरकारों और संस्थानों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह प्रदर्शित करना है कि वह लोगों की परवाह करते हैं - साथ ही लोगों की बेचैनियों और डर से जुड़े सवालों के ठोस जवाब देना और समाधान ढूंढना है."
दो दिन पहले ही यूएन महासचिव ने 193 सदस्य देशों को बताया था कि 2019 में वह किन मुख्य चुनौतियों से निपटने पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे. उनके भाषण के बाद अन्य देशों ने भी बहुपक्षवाद की अहमियत पर बल दिया था.
"जब हम जलवायु परिवर्तन, प्रवासन, आतंकवाद और वैश्वीकरण की कमियों जैसी चुनौतिया को हमारे समक्ष खड़ा पाता हूं तो मेरे मन में कोई संदेह नहीं रह जाता कि वैश्विक चुनौतियों के लिए वैश्विक समाधानों की भी ज़रूरत है. कोई भी देश इनसे अकेले नहीं निपट सकता. हमें पहले से कहीं ज़्यादा बहुपक्षवाद की आवश्यकता है."
गुटेरेश ने कहा कि बहुपक्षवाद को ख़ारिज कर देने या उसे बदनाम करने से कुछ नहीं होगा बल्कि यह समझने की ज़रूरत है कि दुनिया भर में लोग अंतरराष्ट्रीय सहयोग और उसके उद्देश्यों से संतुष्ट क्यों नहीं हैं.
वैश्वीकरण और तकनीकी आधुनिकीकरण का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में बहुत लोग और क्षेत्र पीछे छूट गए हैंं. ऐसे में यूएन का काम व्यापक रूप से फैले अविश्वास, बेचैनी, क्रोध और डर के पीछे छिपे मूल कारणों का निदान करना है. ये काम मुख्य रूप से तीन तरीक़ों से किया जाएगा: टिकाऊ विकास में तेज़ी लाकर, संयुक्त राष्ट्र में सुधार के ज़रिए और समाजों को जोड़ कर ताकि असहिष्णुता, नस्लवाद और नफ़रत भरे भाषणों को रोका जाए.
"पुराने समय की नफ़रत से भरी गूंज हमें परेशान करती है. ज़हरीले विचारों का राजनीतिक बहसों में इस्तेमाल हो रहा है जो मुख्यधारा को प्रदूषित कर रहा है." उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि 1930 के दशक और दूसरे विश्व युद्ध से सबक लिए जाने की आवश्यकता है.
नफ़रत से उपजे भाषणों और अपराधों से मानवाधिकारों, टिकाऊ विकास और शांति और सुरक्षा को सीधे तौर पर ख़तरा हैं. गुटेरेश ने माना कि शब्द पर्याप्त नहीं हैं और इसी वजह से उन्होंने जातीय नरसंहार की रोकथाम के लिए नियुक्त विशेष सलाहकार अदामा दिएंग को एक टीम बनाने के लिए कहा है ताकि यूएन में व्यापक रूप से रणनीति तैयार की जा सके और नफ़रत के विरुद्ध वैश्विक कार्रवाई का खाका तैयार किया जा सके.
2019 में अपनी प्राथमिकताओं के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि उनका पहला काम खोए विश्वास को फिर से लौटाना होगा और लोगों को ज़रूरी मदद प्रदान करना होगा.