जी-77 की अध्यक्षता फ़लस्तीन को मिलना 'ऐतिहासिक क्षण'
संयुक्त राष्ट्र में विकासशील देशों के समूह जी-77 और चीन की बागडोर अब फ़लस्तीन के हाथों में आ गई है. इस अवसर पर आयोजित समारोह में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश और महासभा की अध्यक्ष मारिया फ़र्नान्डा एस्पिनोसा ने जी-77 की अध्यक्षता फ़लस्तीन को मिलना एक ऐतिहासिक पल करार दिया है.
फ़लस्तीन को संयुक्त राष्ट्र में ग़ैर-सदस्य पर्यवेक्षक देश का दर्जा प्राप्त है और विकासशील देशों के इस समूह की अगुवाई करने के लिए उसे पिछले साल अक्टूबर में चुना गया था. इससे पहले समूह का नेतृत्व मिस्र कर रहा था.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस अवसर पर कहा, "जी-77 समूह की अध्यक्षता संभालने के लिए मैं फ़लस्तीन को बधाई देता हूं. मैं राष्ट्रपति महमूद अब्बास का स्वागत करता हूं और इस अवसर पर उन्हें यहां उपस्थित होने के लिए धन्यवाद देता हूं."
महासचिव गुटेरेश के अनुसार जी-77 और चीन ने 2018 में मज़बूत नेतृत्व दिखाया है और यह साबित करने में अहम भूमिका निभाई है कि साझा चुनौतियों को बहुपक्षवाद के ज़रिए ही सुलझाया जा सकता है.
"मैं फ़लस्तीन के ऐतिहासिक नेतृत्व में जी-77 और चीन के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हूं. फ़लस्तीन और उसके नागरिकों के पास दुनिया की सबसे मुश्किल चुनौतियों का सामना करने का प्रत्यक्ष अनुभव है. इतने देशों के एक महत्वपूर्ण समूह का नेतृत्व करने के लिए आप सही मायनों में तैयार हैं."
जी-77 समूह का गठन 1964 में किया गया था और 77 देश इसके संस्थापक सदस्य थे. अब इस समूह में शामिल देशों की संख्या 130 से भी ज़्यादा है.
यूएन महासचिव का मानना है कि 2019 ग़रीबी औरअसमानता दूर करने और समावेशी और टिकाऊ अर्थव्यवस्थाओं के निर्माण की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है. "जलवायु कार्रवाई को प्राथमिकता मिलनी ही चाहिए जिससे जी-77 देशों को सीधे चुनौती मिल रही है."
"संक्रमण और बदलाव के दौर से गुज़रते समय हम जी-77 और चीन से मिलने वाले समर्थन पर भरोसा कर रहे हैं." साथ ही गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र को वित्तीय तंगी का सामना करना पड़ रहा है और इस संबंध में उन्होंने सदस्य देशों को अवगत करा दिया है.
"इस मुश्किल से निपटने के लिए मैं महासभा के सामने एक प्रस्ताव पेश करूंगा जिसका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र को एक ठोस वित्तीय आधार उपलब्ध कराना होगा."
संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष मारिया फ़र्नान्डा एस्पिनोसा ने जी-77 की अध्यक्षता फ़लस्तीन को मिलना ऐतिहासिक बताया है. "यह एक ऐतिहासिक पल है और जिस रास्ते पर चल कर हम यहां पहुंचे हैं वह आसान नहीं था. लेकिन महासभा ने इसे संभव बनाने में एक अहम भूमिका निभाई है. फ़लस्तीन को इस समूह का नेतृत्व करने का अवसर दिया जाना निश्चित तौर पर बहुपक्षवाद की विजय है."
फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा कि अपने नेतृत्व का इस्तेमाल वह अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में बहुपक्षवाद को बचाए रखने और संयुक्त राष्ट्र के साझेदारों से संबंध मज़बूत करने के लिए करेंगे.
"किसी भी राष्ट्र का असली खजाना उसके लोग होते हैं. वास्तविक और टिकाऊ विकास तभी हासिल किया जा सकता है जब सभी लोगों के लिए अवसर उपलब्ध कराए जाएं और स्वतंत्र और पूर्ण रूप से उनकी भागीदारी हो."