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छह महीने में पहली बार पश्चिमी यमन में मदद पहुंची

हुदायदाह शहर में राशन वितरण का इंतज़ार करती महिलाएं.
WFP/Marco Frattini
हुदायदाह शहर में राशन वितरण का इंतज़ार करती महिलाएं.

छह महीने में पहली बार पश्चिमी यमन में मदद पहुंची

मानवीय सहायता

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) को यमन में हिंसक संघर्ष से प्रभावित हज़ारों परिवारों तक राशन और अन्य राहत सामग्री पहुंचाने में सफलता मिल गई है. पिछले साल जुलाई के बाद यह पहली बार है जब लोगों को सहायता दी जा रही है जो शांति के लिए हो रहे प्रयासों का नतीजा है. 

एजेंसी के प्रवक्ता हर्वे वेरहुसेल ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में सरकारी सुरक्षा बलों और हुती लड़ाकों में आंशिक संघर्षविराम पर सहमति हुई थी जिसके बाद ही तुहायत और दरेहिमी तक राहत पहुंच पाई है.

"हुदायदाह में जून 2018 में लड़ाई तेज़ हो गई थी जिसके बाद पहली बार विश्व खाद्य कार्यक्रम तुहायत और दरेहिमी तक पहुंच पाया जहां जाना कठिन हो रहा था. स्वीडन के स्टॉकहोम में शांति वार्ता के  बाद अस्थायी तौर पर लड़ाई में कमी आई है जिससे ये संभव हो पाया है."

राहत सामग्री हुती लड़ाकों के गढ़ माने जाने वाले हुदायदाह शहर और राष्ट्रपति अब्द रब्बू मंसूर हादी के नियंत्रण वाले अदन से पहुंचाई गई है.

"विश्व खाद्य कार्यक्रम ने हुदायदाह और अदन से अब तक 3,334 मीट्रिक टन राहत सामग्री इन इलाक़ों में भेज दी है. तुहायत में आठ हज़ार से ज़्यादा घरों को दो महीनों के लिए भोजन सामग्री मिल गई है वहीं दरेहिमी में ढाई हज़ार से अधिक परिवारों को राशन मिला है.. जुलाई 2018 में खाद्य कार्यक्रम के एक ट्रक के लड़ाई की चपेट में आने के बाद यह पहली बार है  जब मानवीय राहत पहुंचाई जा रही है."

पिछले महीने से यूएन एजेंसी पहले से बड़ी संख्या में लोगों तक मदद पहुंचा रहा है. नवंबर 2018 में 70-80 लाख लोगों को सहायता मिल रही थी लेकिन अब संख्या बढ़कर 90 लाख हो गई है.

वेरहुसेल ने कहा कि ज़मीन पर जैसे सुरक्षा हालात बनेंगे हम अपने प्रयासों में तब्दीली लाते रहेंगे. "हम सभी पक्षों को संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में शांति प्रयासों से जुड़े रहने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं. स्थिति में पहले से सुधार हुआ है और अभी हम लक्ष्य तक नहीं पहुंचे हैं लेकिन उससे दूर भी नहीं हैं."

स्टॉकहोम शांति समझौते को अमल में लाए जाने के लिए संयुक्त राष्ट्र की टीम प्रयासरत है लेकिन हाल के कुछ दिनों में परस्पर विरोधी पार्टियों ने बैठकों में हिस्सा लेने से मना कर दिया है जिसके चलते संयुक्त वार्ता के बजाए उनसे अलग से मिला जा रहा है.