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सीरिया: इस्लामिक स्टेट के आख़िरी गढ़ में लड़ाई तेज़, हज़ारों का पलायन

सीरिया के एक शरणार्थी शिविर में कुछ बच्चे, 2018
UNICEF/ Aaref Watad
सीरिया के एक शरणार्थी शिविर में कुछ बच्चे, 2018

सीरिया: इस्लामिक स्टेट के आख़िरी गढ़ में लड़ाई तेज़, हज़ारों का पलायन

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) का कहना है कि सीरिया के दाएर-एज़-ज़ोर गवर्नरेट में इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों के ख़िलाफ़ तेज़ होते अभियान का शिकार बड़ी संख्या में आम लोग हो रहे हैं. मृतकों का आंकड़ा बढ़ रहा है और बड़े पैमाने पर लोग विस्थापन को मजबूर हैं. 

पत्रकारों से बातचीत में जिनिवा में यूएन एजेंसी प्रवक्ता आंद्रेज माहेसिच ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में हाजिन में हिंसक झड़पों और हवाई हमलों ने हज़ारों लोगों को सुरक्षित स्थान की तलाश में घर छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया है. सीरिया और इराक़ की सीमा पर स्थित यह इलाक़ा कभी इस्लामिक स्टेट का गढ़ माना जाता था. 

"पिछले छह महीनों में देश के उस हिस्से में 25 हज़ार से ज़्यादा लोग विस्थापित हुए हैं. दिसंबर में लड़ाई तेज़ होने के बाद विस्थापित लोगों की संख्या में ख़ास तौर पर बढ़ोत्तरी देखी गई है." विस्थापित लोगों में महिलाएं, बच्चे, और वृद्ध शामिल हैं. कईं परिवार अपनी जान जोखिम में डाल कर इराक़ की सीमा के पास अल होल शरणार्थी शिविर पहुंचे हैं. 

"मुश्किल हालात में रास्ता तय करने और लगातार बिगड़ती स्थिति की वजह से एक साल से कम उम्र के छह बच्चों की मौत हो गई है. इनमें से अधिकतर की मौत शिविर में पहुंचने के बाद हुई क्योंकि वे बेहद कमज़ोर थे." 

राहत शिविर में आपात चिकित्सा सेवा मुहैया कराने में टीम जुटी है और घायलों का उपचार किया जा रहा है. हिंसा से बच कर भाग रहे लोगों ने भारी बारिश और ठंड में चार रातें रेगिस्तान में काटी. शिविर में पहुंचे कईं लोगों का कहना है कि जान बचा कर भागते समय उन्हें निशाना बनाने की कोशिश हुई थी. 

शरणार्थी एजेंसी के प्रवक्ता ने कहा कि संकट अभी सुलझाए जाने से  बहुत दूर है. साथ ही उन्होंने सभी पक्षों से आम लोगों की आवाजाही सुनिश्चित करने और उन्हें सुरक्षित रास्ता दिए जाने का आग्रह किया है. 

"लड़ाई अब भी चल रही है और लोग रोज़ पहुंच रहे हैं. रेगिस्तान के रास्ते कईं चेकपोस्ट से होते हुए वे हिंसा के दायरे से बाहर सुरक्षित शिविरों में पहुंच रहे हैं."

अपने सहयोगी संगठनों के साथ यूएन एजेंसी  घायलों और बीमारों की मदद में जुटी है. अकेले और परिवार से बिछुड़ गए बच्चों की सुरक्षा की ख़ास तौर पर देखभाल की जा रही है. राहत व्यवस्था के लिए टेंट और अन्य सामग्री का इंतज़ाम किया गया है. हाजिन से बड़ी संख्या में और लोगों के आने की आशंका के बीच ज़रूरी तैयारियां की जा रही हैं. 

"ऐसा अनुमान है कि हिंसाग्रस्त हाजिन इलाक़े में इस समय दो हज़ार से ज़्यादा लोग फंसे हैं. जो लोग बचकर आ रहे हैं वे ख़राब होती स्थिति, ठप्प होती सेवाओं और खाने पीने की वस्तुओं के आसमान छूते दामों के बारे में बता रहे हैं. हम उन लोगों के बारे में चिंतित हैं जो अब भी वहां फंसे हुए हैं."