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'यमन शांति प्रक्रिया में ढिलाई नहीं बरत सकते'

यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष दूत मार्टिन ग्रिफ़िथ्स सुरक्षा परिषद में जानकारी देते हुए.
UN Photo/Loey Felipe
यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष दूत मार्टिन ग्रिफ़िथ्स सुरक्षा परिषद में जानकारी देते हुए.

'यमन शांति प्रक्रिया में ढिलाई नहीं बरत सकते'

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने सुरक्षा परिषद को यमन में हालात की जानकारी देते हुए बताया कि शांति स्थापना के प्रयासों के तहत स्थायी राजनीतिक सहमति बनाने  का मुश्किल काम अभी अधूरा है. उन्होंने सुरक्षा परिषद से मुख्य बंदरगाह शहर हुदायदाह में  संघर्षविराम को बनाए रखने के लिए पूरा समर्थन देने का आग्रह किया. 

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति अब्द रब्बू मंसूर हादी और विपक्षी संगठन अंसार अल्लाह के नेता अब्देलमलिक अल हूती दोनों ये मानते हैं कि स्वीडन के स्टॉकहोम में हुई वार्ता यमन में जारी संघर्ष को व्यापक तौर पर सुलझाने की दिशा में एक महत्वूर्ण कदम है. लेकिन अगले दौर की बातचीत से पहले जिन मुद्दों पर रज़ामंदी हुई थी उसमें ठोस प्रगति की ज़रूरत है. 

18 दिसंबर को हुदायदाह में संघर्षविराम समझौते का मोटे तौर पर पालन होने की बात कही गई है. हिंसा की कुछ घटनाओं ज़रूर हुई हैं लेकिन पहले की तुलना में अब ऐसी घटनाएं बेहद सीमित रूप में हुई हैं. साथ ही दोनों पक्षों ने बातचीत में हिस्सेदारी जारी रखने की इच्छा ज़ाहिर की है.  यूएन के विशेष दूत के मुताबिक़ यमन सरकार, विपक्षी हूती नेताओं और स्थानीय लोगों के लिए यह एक बेहद संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण समय है.

"तुलनात्मक रूप से शांति कायम हुई है जो स्टॉकहोम समझौते का ही परिणाम है जिसका लाभ यमनी नागरिकों  और वार्ता में शामिल सभी पक्षों को मिलेगा."

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने प्रस्ताव संख्या 2451 को तत्काल रूप से स्वीकृति दिए जाने का श्रेय सुरक्षा परिषद को देते हुए कहा कि समझौते को वास्तविकता में बदलने की अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आकांक्षा इससे झलकती है. उन्होंने उम्मीद जताई कि सुरक्षा व्यवस्था को अमल में लाने और मदद पहुंचाने के लिए रास्ते तय करने का काम भी जल्द पूरी कर लिया जाएगा. 

बंदियों की अदला बदली पर हुए समझौते के मुद्दे पर विशेष दूत ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र दोनों पक्षों से मिली सूची को अंतिम रूप देने में जुटा है और इस संबंध में 14 जनवरी को अम्मान में होने वाली वार्ता पर आगे बातचीत होगी. "मुझे आशा है कि बातचीत के ज़रिए हज़ारों क़ैदी घर जा सकेंगे और अपने परिवार से मिल सकेंगे."

लेकिन यमन के केंद्रीय बैंक और सना में हवाई अड्डे को फिर खोले जाने पर अभी सहमति नहीं बन पाई है. इन कदमों से अर्थव्यवस्था में बेहतरी और मानवीय पीड़ा को कम करने में मदद मिलने की उम्मीद है. मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने बताया कि दोनों पक्षों से उनकी बात हो रही है और उन्होंने दोनों पक्षों से मीडिया में भड़काऊ बयान देने से बचने के लिए कहा है. 

वहीं संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत समन्वयक मार्क लोकॉक ने स्पष्ट रूप से कहा कि स्टॉकहोम समझौते का असर दिखने लगा है. हुदायदाह में रह रहे आम नागरिकों में हवाई हमलों या गोलाबारी का शिकार बनने का डर कम हुआ है लेकिन मानवीय हालात बेहद ख़राब हैं. 

मानवीय राहत पहुंचाने वाली एजेंसियां यमन के लोगों की ज़रूरतें पूरी करने के काम में जुटी हैं. विश्व खाद्य कार्यक्रम ने दिसंबर में क़रीब 95 लाख लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की. अनाज की लूट जैसी स्थिति से  बचने के लिए भी पर्याप्त कदम उठाए गए हैं. अगर वित्तीय मदद मिलती रही तो लगभग डेढ़ करोड़ लोगों तक मदद पहुंचा पाना संभव हो सकेगा.