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रोहिंज्या शरणार्थियों को वापस भेजने पर भारत से मांगा गया स्पष्टीकरण

बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार के एक शिविर में रोहिंज्या शरणार्थी
UNICEF/UN0120426/Brown
बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार के एक शिविर में रोहिंज्या शरणार्थी

रोहिंज्या शरणार्थियों को वापस भेजने पर भारत से मांगा गया स्पष्टीकरण

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी मामलों की एजेंसी (UNHCR) ने रोहिंज्या शरणार्थियों के एक समूह को वापस म्यांमार भेजे जाने के भारत सरकार के निर्णय परअफ़सोस ज़ाहिर किया है. तीन महीनों में यह दूसरी बार है जब भारत सरकार ने शरणार्थियों को म्यांमार भेजा है. 

मूल रूप से म्यांमार के रखाइन प्रांत के निवासी एक रोहिंज्या परिवार को तीन जनवरी को वापस म्यांमार भेज दिया गया.

परिवार के सदस्यों को भारत के असम राज्य में हिरासत में लिया गया था जहां वे 2013 से अवैध रूप से घुसने के आरोप में सज़ा काट रहे थे. ये शरणार्थी यूएन शरणार्थी एजेंसी के साथ पंजीकृत थे. 

एजेंसी ने भारत सरकार से कई बार  शरणार्थियों से मिलवाने और बातचीत कराने काअनुरोध किया लेकिन अभी तक प्रशासन की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है. 

यूएन एजेंसी हिरासत में लिए गए शरणार्थियों से मिलकर उनके हालात को समझना और ये पता लगाना चाहती है कि क्या वे अपनी इच्छा से म्यांमार लौट रहे हैं.

इससे पहले अक्टूबर 2018 में भारत ने सात रोहिंज्या शरणार्थियों को  म्यांमार के रखाइन प्रांत वापिस भेज दिया था जहां हालात अब भी ठीक नहीं हैं.

यूएन एजेंसी भारत सरकार से जानना चाहती है कि किन हालात में शरणार्थियों को वापस भेजा गया है.

साथ ही शरणार्थियों से मुलाक़ात करने और उनकी स्थिति के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं.  

एक अनुमान के अनुसार भारत के कई शहरों में 18 हज़ार से ज़्यादा ऐसे रोहिंग्या शरणार्थी हैं जो यूएन शरणार्थी एजेंसी के साथ पंजीकृत हैं.