प्रवासियों की बेहतरी के वैश्विक प्रवासन संधि का अनुमोदन
164 देशों के प्रतिनिधियों ने सोमवार को ग्लोबल कम्पैक्ट फॉर माइग्रेशन नामक संधि का अनुमोदन कर दिया है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतॉनियो गुटेरेश ने इस ऐतिहासिक क़दम को पीड़ा और उथल-पुथल से बचने की राह का निर्माण क़रार दिया. इस सम्मेलन में मुख्य रूप से सरकारों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की.
अंतर-सरकारी सत्र के उद्घाटन के अवसर पर गुटेरेश ने कहा कि यह कम्पैक्ट (संधि) एक ऐसी मानवीय, समझदारी और परस्पर हितकारी कार्रवाई के लिए मंच प्रदान करता है जो दो सरल विचारों पर आधारित है.
''पहला यह कि प्रवासन हमेशा से होता रहा है और वह प्रबंधित और सुरक्षित होना चाहिए, दूसरा यह कि अंतराष्ट्रीय सहयोग के ज़रिए राष्ट्रीय नीतियों की सफलता की संभावना कहीं अधिक हो जाती है.''
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि हाल के महीनों में इस समझौते और प्रवासन के पूरे मुद्दे के बारे में बहुत सी भ्रांतियां फैलाई गई हैं. इन भ्रांतियों को दूर करने के लिए इस कम्पैक्ट में संयुक्त राष्ट्र को प्रवासन नीतियां सदस्य देशों पर थोपने का प्रावधान नहीं किया गया और यह समझौता कोई औपचारिक व बाध्य संधि भी नहीं है.
महासचिव ने मोरक्को के मराकेश शहर में हुए इस सम्मेलन में शिरकत करने वाले प्रतिनिधियों को बताया, ''यह समझौता कानूनन बाध्यकारी नहीं है. यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए एक ढांचा है जो सद्भावना के माहौल में वार्ता की एक अंतर-सरकारी प्रक्रिया से अस्तित्व में आया है.''
उन्होंने कहा कि इसके अंतर्गत प्रवासियों को अपनी इच्छानुसार कहीं भी जाने का अधिकार नहीं दिया गया है. केवल उनके बुनियादी मानवाधिकारों की पुष्टि की गई है. एंतॉनियो गुटेरेश ने इस भ्रांति को भी चुनौती दी कि विकसित देशों को आप्रवासी श्रमिकों की आवश्यकता नहीं है.
उनका कहना था कि यह स्पष्ट हो चुका है कि अधिकतर देशों को विभिन्न प्रकार की महत्वपूर्ण भूमिकाओं के लिए प्रवासियों की आवश्यकता है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव स्वीकार किया कि कुछ देशों ने सम्मेलन में हिस्सा न लेने या कम्पैक्ट का अनुमोदन नहीं करने का फ़ैसला किया. उन्होंने इच्छा व्यक्त की कि वो देश अपने समाजों के लिए इसका महत्व समझेंगे और इस साझे प्रयास में शामिल होंगे.
अमेरिका ने कम्पैक्ट का समर्थन नहीं किया और एक दर्जन से अधिक देशों ने या तो इस पर हस्ताक्षर नहीं किए या अभी निर्णय नहीं कर पाए हैं.
मराकेश कम्पैक्ट, सच्चाई बनाम भ्रांति
मोरोक्को के विदेश मंत्री नासिर बोरिता ने हथौड़ा बजाकर कम्पैक्ट के अनुमोदन की घोषणा की. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रवासन पर वैश्विक सहमति जुटाने के लिए अपने देश के विभिन्न प्रयासों की जानकारी दी.
हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन के साथ बेलगाम प्रवासन एक गंभीर समस्या बन गया है. हर वर्ष हज़ारों प्रवासी ख़तरनाक रास्तों से गुज़रते हुए अपनी जान गंवा बैठते हैं या लापता हो जाते हैं. वे अक्सर तस्करों और चोरी-छिपे मानव व्यापार करने वालों के शिकार हो जाते हैं.
एंतॉनियो गुटेरेश ने इस समझौते के लिए ज़बरदस्त वैश्विक समर्थन का स्वागत करते हुए कहा, ''प्रवासन चाहे स्वेच्छा से हो या जबरन, आवाजाही के लिए औपचारिक अधिकार पत्र मिल पाया हो या नहीं, सभी इंसानों के मानवाधिकारों का सम्मान होना चाहिए और गरिमा क़ायम रखी जानी चाहिए.
मराकेश कम्पैक्ट के नाम से इस समझौते का अनुमोदन मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की 70वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुआ जो इस समझौते की बुनियाद है.
महासचिव गुटेरेश ने कहा, ''मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की 70वीं वर्षगांठ मनाने के दिन अगर हम यह मान लेते कि प्रवासियों को घोषणा के दायरे से बाहर रखा जाए तो यह एक विडम्बना ही होती.''
अनुमोदन के बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने पत्रकारों से कहा, ''जब उन्होंने देखा कि सम्मेलन में उपस्थित प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से ताली बजाकर कम्पैक्ट का अनुमोदन किया तो यह उनके लिए बहुत भावुक क्षण था.''
मराकेश (मोरोक्को) में सम्मेलन का आयोजन होना उपयुक्त ही था क्योंकि यह शताब्दियों से प्रवासन का प्रमुख मार्ग रहा है. संयुक्त राष्ट्र के आँकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में सन् 2000 के बाद साठ हज़ार से अधिक प्रवासी अपने सफ़र के दौरान ही मौत के शिकार हुए हैं. महासचिव ने इंसानों के इस नुक़सान को ''सामूहिक शर्म का कारण'' बताया.
बहुपक्षीयवाद के लिए बड़ी उपलब्धि
इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए ज़िम्मेदारी रखने वाली संयुक्त राष्ट्र की वरिष्ठ प्रवासन अधिकारी लुई आर्बर ने अनुमोदन की सराहना करते हुए उसे ''ग़ज़ब का अवसर, वास्तव में एक ऐतिहासिक पल और बहुपक्षीयवाद के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि'' बताया.
उन्होंने ''मतभेद दूर करने और मानव प्रवासन से जुड़े सभी प्रश्नों की जटिलताओं को समझने के लिए पिछले 18 महीने में कड़ी मेहनत'' से काम करने के लिए बधाई दी.
संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय प्रवासन विशेष आयुक्त लुई आर्बर ने कहा कि यह कम्पैक्ट ''लाखों लोगों-प्रवासियों, उनके पीछे छूट गए लोगों और उनकी मेज़बानी करने वाले समुदायों के जीवन पर ज़बर्दस्त अनुकूल प्रभाव डालेगा.'' उन्होंने बताया कि यह ग्लोबल कम्पैक्ट के प्रयासों के अमल पर निर्भर होगा.
सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर प्रबुद्ध समाज और युवाओं का प्रतिनिधित्व करते हुए बाल अधिकारों की हिमायती शेरिल परेरा ने बच्चों की तस्करी के विरुद्ध अपने स्वैच्छिक कार्य की जानकारी दी. उन्होंने प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि ग्लोबल कम्पैक्ट फॉर माइग्रेशन (जीसीएम) से मिले अवसरों का भरपूर उपयोग करें.
उन्होंने कहा, ''जीसीएम ने आपके सामने एक ऐतिहासिक अवसर पैदा किया है जिससे आप दुनिया भर में बच्चों के संरक्षण और युवाओं में निवेश के अपने मौजूदा दायित्वों को पूरा कर सकें. किन्तु यह बात यहीं समाप्त नहीं हो जाती. आपको जबरन और असुरक्षित प्रवासन के लिए जलवायु परिवर्तन, सामाजिक-राजनैतिक बहिष्कार, आपदाओं और असमानताओं जैसे निहित जोखिमों को दूर करना होगा और आव्रजन के समय आप्रवासियों को हिरासत में लेने के चलन को हमेशा के लिए बंद करना होगा. तस्करी रोकने और पीड़ितों को संरक्षण देने के लिए हर किसी को और ज़्यादा क़दम उठाने होंगे. आपको प्रवासियों को अपराधी मानना बंद करना होगा.''
'एकला चलो' से काम नहीं चलेगा: एंगेला मर्केल
जर्मन चांसलर एंगेला मर्केल ने जीसीएम के अनुमोदन का स्वागत करते हुए कहा कि यह एकदम सही समय है जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय वैश्विक प्रवासन के बारे में अधिक व्यावहारिक समझ पैदा कर सका.
एंगेला मर्केल ने चेतावनी के अंदाज़ में कहा, ''ऐकला चलो से मुद्दे का समाधान नहीं होगा.'' उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आगे बढ़ने के लिए एक ही रास्ता है बहुपक्षीयवाद. जर्मनी हाल के वर्षों में सीरिया जैसे देशों से दस लाख से भी अधिक प्रवासियों और शरणार्थियों को अपने यहाँ पनाह दे चुका है.
उन्होंने स्वीकार किया कि जर्मनी को यूरोपीय संघ के बाहर से अधिक कौशल प्राप्त श्रमिकों की आवश्यकता है और कानूनन् प्रवासन में उसका हित है. किन्तु उन्होंने यह बात भी दोहराई कि सदस्य देशों को अवैध प्रवासन रोकना चाहिए और कम्पैक्ट के प्रस्ताव के अनुसार मानव तस्करी रोकने के लिए सीमाओं पर असरदार संरक्षण का पक्का वायदा करना चाहिए.
एंगेला मार्केल ने कहा, ''देश यह नहीं स्वीकार कर सकते कि तस्कर तय करेंगे कि कौन लोग देश में आएंगे. हमें ऐसे मसले आपस में सुलझाने होंगे.''