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यमन: मुख्य बंदरगाह शहर हुदायदाह के लिए संघर्ष विराम

 यमन के विदेश मंत्री खालेद अल यमनी (बाएं) और अंसारुल्लाह प्रतिनिधि मंडल के प्रमुख मोहम्मद अमदुसालेम (दाएं) संघर्ष विराम समझौते के बाद हाथ मिलाते हुए.
Government Offices of Sweden/Ninni Andersson
यमन के विदेश मंत्री खालेद अल यमनी (बाएं) और अंसारुल्लाह प्रतिनिधि मंडल के प्रमुख मोहम्मद अमदुसालेम (दाएं) संघर्ष विराम समझौते के बाद हाथ मिलाते हुए.

यमन: मुख्य बंदरगाह शहर हुदायदाह के लिए संघर्ष विराम

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंंतोनियो गुटेरेश ने यमन के मुख्य बंदरगाह शहर हुदायदाह में विरोधी पक्षों द्वारा संघर्ष विराम की घोषणा का स्वागत किया है और कहा है कि इससे लाखों लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा.

स्वीडन में संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में आयोजित की गई वार्ता के अंतिम दिन महासचिव ने कहा कि यहां मौजूद लोगों के हाथों में ‘यमन का भविष्य’ है. युद्ध प्रभावित यमन के भविष्य पर चर्चा के लिए यह वार्ता आयोजित की गई थी. गौरतलब है कि यमन विश्व के अत्यंत बुरे मानवीय संघर्ष से जूझ रहा है.

उन्होंने कहा, "आपने हुदायदाह बंदरगाह और शहर में एक समझौता किया है जिसके बाद सशस्त्र सेनाएं पीछे हट जाएंगी और प्रशासन व्यापी संघर्ष विराम लागू हो जाएगा.

उन्होंने यह भी कहा कि ‘संयुक्त राष्ट्र इस शहर में ‘मुख्य भूमिका’ निभाएगा और इससे नागरिकों तक सामान पहुंचाना और उन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराना आसान होगा. इससे यमन के लाखों लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा’.

पिछले लगभग चार वर्षों के दौरान यमन सरकार और हूती विपक्षी गुट के बीच चले संघर्षों के कारण  दो करोड़ 40 लाख लोगों को किसी ना किसी प्रकार की सहायता और सुरक्षा की आवश्यकता है.  ये कुल जनसंख्या का क़रीब तीन चौथाई हिस्सा है.  हूती विपक्षी गुट को आधिकारिक रूप से अंसार अल्लाह कहा जाता है,

लगभग 2 करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध नहीं है और 1 करोड़ लोगों को यह नहीं पता कि उन्हें अगली बार कब भोजन मिलेगा.

हालांकि ‘लंबित मुद्दों’ को सुलझाना अभी बाकी है, फिर भी संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त यमन सरकार और विपक्ष ने इस दिशा में ‘सचमुच प्रगति की है’ जिसके कारण ‘अनेक महत्वपूर्ण परिणाम’ प्राप्त हुए हैं.

महासचिव ने देश के तीसरे सबसे बड़े शहर के संदर्भ में कहा, ‘इसमें ताइज़ शहर में तनावपूर्ण स्थिति को समाप्त करने के लिए परस्पर रजामंदी भी शामिल है.’

उन्होंने कहा, ‘हम यह आशा करते हैं कि इससे मानवीय गलियारे खुलेंगे और बारूदी सुरंगें हटाई जाएंगी.’

इससे पहले बड़े पैमाने पर कैदियों का आदान-प्रदान करने के मुद्दे पर सहमति बनी थी. इस पर श्री गुटेरेस ने कहा कि दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों ने एक समय सीमा निर्धारित की है और इस बारे में सविस्तार विवरण दिया है कि यह कब किया जा सकता है.

महासचिव गुटेरेश ने कहा, ‘इससे यमन के हज़ारों- मैं दोहरा रहा हूं- हज़ारों लोगों कोअपने परिवारों से फिर से मिलने का मौक़ा मिलेगा.’ इस अवसर पर यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत मार्टिन ग्रिफित्स भी वहां मौजूद थे.

बातचीत के नए आयाम

नए वर्ष में दोनों पक्षों के बीच बैठक की संभावना पर संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि ‘शांति प्रक्रिया में एक और महत्वपूर्ण क़दम’ ये है कि वार्ता की संरचना पर चर्चा की इच्छा जताई जा रही है.

उन्होंने कहा, ‘हम वार्ता के अगले दौर के लिए जनवरी के अंत में मिलेंगे और इस विषय पर आगे की चर्चा करेंगे.’ उन्होंने यह भी कहा कि शांति हेतु भविष्य की राजनैतिक संधि का यह एक ‘महत्वपूर्ण अंग’ था.

‘हम विभिन्न पक्षों की स्थितियों को समझते हैं.’ उन्होंने उन पक्षों की ‘रचनात्मक संलग्नता’ का उल्लेख किया और सऊदी अरब, ओमान और कुवैत की सरकारों को भी इस बात का श्रेय दिया कि उन्होंने इस बैठक के आयोजन हेतु अपना ‘ठोस सहयोग’ प्रदान किया.

हुदायदाह संघर्ष विराम का स्वागत करते हुए विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने कहा कि यमन की 70 प्रतिशत मानवीय और 90 प्रतिशत व्यावसायिक वस्तुओं के आयात में लाल सागर का यह बंदरगाह ‘बहुतमहत्वपूर्ण’ भूमिका निभाता है. 

डब्ल्यूएफपी के कार्यकारी निदेशक डेविड बीसले ने कहा, ‘शांति की तरफ़ बढ़ने वाला हर क़दम अच्छा होता है, जब तक कि इससे यमन के लोगों की मदद होती हो. इस संघर्ष में उन्हीं लोगों को सबसे अधिक नुक़सान हुआ है.’ उन्होंने कहा कि यमन को सबसे अधिक स्थायी शांति की ज़रूरत है.

‘संघर्ष विराम की घोषणा के बाद हम आशा करते हैं कि आने वाले हफ्तों और महीनों में हमारे लिए यमन के भुखमरी ग्रस्त क़रीब एक करोड़ 20 लाख लोगों को भोजन पहुंचाना आसान होगा.’

डब्ल्यूएफपी प्रवक्ता ने कहा कि संघर्ष के कारण हाल के हफ्तों में हुदायदाह बंदरगाह पर आयात गिरकर आधा रह गया था.

 ‘नवंबर मे हुदायदाह में हमारा लक्ष्य 8 लाख लोगों को खाद्य संबंधी सहायता उपलब्ध कराना था. इस संघर्ष विराम से हमारा रोज़ाना का कामकाज आसान होगा. यह क्षेत्र डब्ल्यूएफपी की प्राथमिकताओं में से एक है.’