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टूट रहा है भरोसा, कैसे बचाएं…

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश महासभा के 73वें सत्र से पहले वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए.
UN Photo/Cia Pak
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश महासभा के 73वें सत्र से पहले वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए.

टूट रहा है भरोसा, कैसे बचाएं…

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है आज के दौर में दुनिया भर में भरोसा टूटा हुआ नज़र आता है. तमाम देशों के राष्ट्रीय संस्थानों में लोगों का भरोसा, देशों के बीच आपसी भरोसा और नियम और क़ानून पर आधारित एक वैश्विक व्यवस्था में भरोसा, सभी चकनाचूर हुआ नज़र आता है.

महासचिव ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र का उदघाटन करते हुए ये बात कही. महासभा के इस सत्र में General Debate यानी आम चर्चा की शुरूआत करते हुए उन्होंने नागरिकों, संस्थानों और देशों के बीच फिर से एकजुटता बनाने, टूटा हुआ भरोसा फिर से बहाल करने और Multilateralism यानी बहुलवाद या सहकारिता की भावना को फिर से मज़बूत करने का आहवान किया.

न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में विश्व नेताओं के इस वार्षिक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए महासचिव का कहना था कि सामान्य अच्छाई के रखवाले होने के नाते हमारा ये कर्तव्य बनता है कि हम बहुलवाद पर आधारित व्यवस्था में फिर से जान फूँकने के साथ-साथ उसमें सुधार भी प्रोत्साहित करें.

उन्होंने कहा कि दुनिया भर में लोगों का अपने देशों की सरकारों से भरोसा उठ गया लगता है.

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश का कहना था,  “लोग अपने-अपने देशों में अनेक तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं और ख़ुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. लोगों का अपने देशों के राजनैतिक व्यवस्थाओं और सरकारों में भरोसा ख़त्म हो रहा है, ध्रुवीकरण बढ़ रहा है और राजनैतिक या अन्य तरह के फ़ायदे उठाने के लिए भीड़ को ख़ुश करने यानी Populism का चलन बढ़ रहा है.”

“देशों के बीच सहयोग संशयपूर्ण और बहुत कठिन हो गया है और सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों के बीच मतभेद और विभाजन बहुत गहराई से बैठे हुए हैं. वैश्विक प्रशासनिक ढाँचे में भी लोगों का भरोसा कम हो रहा है. 21वीं सदी में दरपेश चुनौतियों ने 20वीं सदी के संस्थानों और मनःस्थितियों को पीछे छोड़ दिया है. वैश्विक स्तर पर कभी भी एक सक्षम प्रशासनिक व्यवस्था नहीं रही, उसके लोकतांत्रिक होने की तो बात ही नहीं है. फिर भी संयुक्त राष्ट्र ने पिछले कई दशकों के दौरान अन्तरराष्ट्रीय सहयोग की मज़बूत और टिकाऊ बुनियाद रखी हैं.”

उन्होंने कहा कि हम सभी मिलकर संयुक्त राष्ट्र के रूप में मज़बूत संस्थानों का निर्माण कर सकते हैं, नियम-क़ानून बना सकते हैं जिनके ज़रिए सबके हितों को एक साथ मिलकर साधने की कोशिश की जाए. संयुक्त राष्ट्र ने संघर्षों और युद्धों वाले स्थानों पर शान्ति बहाल कराई है और बेशक, तीसरे विश्व युद्ध को टाला है.

उन्होंने कहा कि एक नियम आधारित व्यवस्था बनाने के लिए पक्के इरादे की ज़रूरत है. इसमें संयुक्त राष्ट्र तमाम अन्य संस्थानों और संधियों के साथ मिलकर मुख्य भूमिका निभाए. अगर सभी का भला करना है तो मिलजुलकर चलने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं है.

महासचिव का ये वार्षिक भाषण संयुक्त राष्ट्र के कामकाज के बारे में उनकी वार्षिक रिपोर्ट से लिया गया है.

इसमें ख़ासतौर से दुनिया भर के युवाओं और पृथ्वी के सामने चुनौतियों का ज़िक्र किया गया है.

सीरिया और यमन में वर्षों से जारी युद्ध, रोहिंज्या लोगों की तकलीफ़ों, आतंकवाद के ख़तरे, परमाणु निरस्त्रीकरण और रसायनिक हथियारों के इस्तेमाल जैसे मुद्दे प्रमुखता से उठाए गए हैं.

महासचिव ने दुनिया भर में बढ़ती असमानताओं, प्रवासियों व शरणार्थियों की चुनौतियों और तकलीफ़ों के साथ-साथ उनके साथ हो रहे भेदभाव का मुद्दा भी उठाया.

और ऐसा अन्तरराष्ट्रीय सहयोग ना होने की वजह से ज़्यादा हो रहा है. उन्होंने व्यापार मुद्दों पर बढ़ते तनावों व दुनिया भर में मानवाधिकारों पर बढ़ते दबावों के बारे में भी आगाह किया.

Secretary-General Addresses General Debate, 73rd Session