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‘येरूशलम नहीं है बिकाऊ…’

फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Cia Pak
फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र को सम्बोधित करते हुए.

‘येरूशलम नहीं है बिकाऊ…’

यूएन मामले

फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा है कि एक स्वतंत्र और सम्प्रभु फ़लस्तीनी राष्ट्र के बिना मध्य पूर्व क्षेत्र में शान्ति स्थापित नहीं हो सकती.

संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच से बुधवार को अपने सम्बोधन में महमूद अब्बास ने विशेष ज़ोर देते हुए कहा कि फ़लस्तीनी राष्ट्र की राजधानी पूर्वी येरूशलम ही होगी.

महासभा के 73वें सत्र के दौरान विश्व नेताओं को सम्बोधित करते हुए उन्होंने शान्ति और दो राष्ट्रों के रूप में समाधान के लिए अपना संकल्प भी दोहराया.

साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि ये समाधान बातचीत के रास्ते से ही हासिल किए जा सकते हैं.

उन्होंने कहा कि हमने इसराइलियों के साथ एक शान्तिपूर्ण समाधान के लिए हमेशा ही एक सकारात्मक नज़रिए से अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के साथ तालमेल बनाए रखा है.

इसमें अरब शान्ति पहल भी शामिल है.

उन्होंने कहा कि उन्होंने अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प और उनके प्रशासन के साथ भी उनका कार्यकाल शुरू होने के समय से ही सम्पर्क बनाए रखा है.

महमूद अब्बास ने कहा कि इसके बावजूद अमरीका सरकार ने तीन बहुत विवादास्पद घोषणाएँ और फैसले किए जिनसे ना सिर्फ़ संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न प्रस्तावों का उल्लंघन होता है बल्कि उनसे दो राष्ट्रों के रूप में समाधान की सम्भावनाओं और कोशिशों की अहमियत भी कम होती है.

इनमें वाशिंगटन में फ़लस्तीनी मुक्ति संगठन – पीएलओ का कार्यालय बन्द करना, येरूशलम को इसराइल की राजधानी घोषित करना और अमरीकी दूतावास को तेलअवीव से येरूशलम ले जाना शामिल हैं.

फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा, “येरूशलम बिकाऊ नहीं है और फ़लस्तीनी लोगों अधिकारों के बारे में कोई सौदेबाज़ी नहीं हो सकती.”

“अस्सलामुअलैकुम – आप सभी के लिए सलामती की दुआ. हम शान्ति में अपना भरोसा क़ायम रखेंगे. और शान्तिपूर्ण तरीक़े से अपना स्वतंत्र राष्ट्र बनाएंगे. क्योंकि ईश्वर हमारे साथ है और हमारा लक्ष्य न्यायसंगत है. फ़लस्तीनी लोगों ने बहुत क़ुर्बानियाँ दी हैं.”

उनका कहना था कि शान्ति का रास्ता संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न प्रस्तावों में दिखाया गया है.

इनमें प्रस्ताव संख्या 67/19 शामिल है जो 29 नवम्बर 2012 को ज़ोरदार बहुमत से पारित किया गया था.

इस प्रस्ताव में 1967 की सीमाओं के आधार पर एक फ़लस्तीनी राष्ट्र की स्थापना की माँग की गई है.

महमूद अब्बास ने तमाम देशों से आग्रह किया कि वो इन प्रस्तावों पर अमल करते हुए एक स्वतंत्र और सम्प्रभु फ़लस्तीनी राष्ट्र की स्थापना के लिए अपना समर्थन और सहयोग जारी रखे.