वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर भारत का आश्वासन

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें वार्षिक सत्र को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Cia Pak
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें वार्षिक सत्र को सम्बोधित करते हुए.

टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर भारत का आश्वासन

एसडीजी

भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा है कि उनका देश टिकाऊ विकास लक्ष्य 2030 तक हासिल करने के लिए पूरी तरह संकल्पबद्ध है. शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र को सम्बोधित करते हुए उन्होंने भरोसा दिलाया कि भारत समय से पहले ही ये लक्ष्य हासिल कर लेगा और संयुक्त राष्ट्र को निराश नहीं करेगा.

सुषमा स्वराज ने कहा कि 2015 में जब संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों ने टिकाउ विकास लक्ष्यों पर सहमति व्यक्त की थी तभी से ऐसा सुना जाता रहा है कि इन 17 लक्ष्यों को हासिल करने में पूरी कामयाबी तबी मिलेगी जब भारत इसमें पूरा सहयोग देगा.

उन्होंने भरोसा दिलाते हुए कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र का नाकाम और निराश नहीं होने देगा.

टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों और योजनाओं का ज़िक्र करते हुए भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि  ग़रीबी दूर करने और सामाजिक बदलाव के लिए दुनिया की सबसे बड़ी योजनाएँ और कार्यक्रम चलाए गए हैं.

और ये कार्यक्रम व योजनाएँ ग़रीबी दूर करने समानता क़ायम करने और आर्थिक विकास के लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में पहले ही अच्छे परिणाम दे रहे हैं.

घरेलू मुद्दों से हटकर अन्तरराष्ट्रीय विषयों की तरफ़ रुख़ करते हुए सुषमा स्वराज ने जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद मुद्दों का ख़ास ज़िक्र किया.

उन्होंने कहा कि विकसित देशों ने अपने फ़ायदों के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया है इसलिए उन्हें वंचित देशों और लोगों को वित्तीय और तकनीकी मदद देकर इसकी भरपाई करनी चाहिए.

दूसरी प्रमुख अन्तरराष्ट्रीय समस्या यानी आतंकवाद का ज़िक्र करते हुए सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को एक सरकारी नीति के रूप में इस्तेमाल करने के चलन में ज़रा भी कमी नहीं आई है.

अपने भाषण के अन्त में सुषमा स्वराज संयुक्त राष्ट्र में सुधारों के विषय पर बोलीं जो संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतॉनियो गुटेरेश की भी एक प्रमुख प्राथमिकता है.

सुषमा स्वराज का कहना था कि ये सुधार सिर्फ़ दिखावटी नहीं हो सकते, हमें इस विश्व संस्था के दिलो-दिमाग़ सभी को बदलना होगा जिससे वो बदलते समय की ज़रूरतों और कसौटी पर खरा उतर सके.

सुषमा स्वराज ने विश्व स्तर पर मल्टीलैट्रलिज़्म यानी बहुपक्षीय व्यवस्था या बहुलवाद अपनाने की भी हिमायत करते हुए कहा कि भारत का ये विश्वास है कि विश्व एक परिवार है और उसे कलह नहीं, बल्कि सुलह के सिद्धान्त पर चलाया जाना चाहिए.