2020 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना को 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं. संयुक्त राष्ट्र महासभा का वार्षिक सितम्बर में होता है और वर्ष 2020 का ये 75वाँ सत्र कोविड-19 से उत्पन्न परिस्थितियों में पहली बार वर्चुअल हो रहा है. इस ऐतिहासिक सत्र में वैश्विक महामारी, जलवायु संकट और बढ़ती असमानता के परिप्रेक्ष्य में, दुनिया भर के नेता, वर्तमान चुनौतियों से निपटने के लिये वर्चुअल चर्चा में भाग लेंगे. यूएन महासभा के 75वें सत्र से जुड़ी कुछ सामग्री यहाँ संकलित है...
UNGA 75
75वाँ सत्र: यूएई ने जताई उम्मीद, इसराइल के साथ समझौते से शान्ति वार्ता में मिलेगी मदद
संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मन्त्री शेख़ अब्दुल्ला बिन ज़ायद अल नाहयान ने कहा है कि इसराइल और संयुक्त अरब अमीरात के बीच सम्बन्धों को बहाल करने वाले ऐतिहासिक समझौते से अरब क्षेत्र में भावी पीढ़ियों के लिए शान्ति और उज्ज्वल भविष्य के प्रयासों को मज़बूती मिलनी चाहिये. यूएई के विदेश मन्त्री ने मंगलवार को यूएन महासभा के 75वें सत्र की जनरल डिबेट को दिये वीडियो सन्देश में ये बात कही है.
75वाँ सत्र: कोविड-19 पर बहुपक्षीय कार्रवाई की ख़ातिर संकीर्ण हितों को छोड़ना होगा, सीरिया
सीरिया के उपप्रधानमन्त्री और विदेश मन्त्री वलीद अल-मुअलम ने शनिवार को यूएन महासभा की जनरल डिबेट में कहा कि कुछ देश अपने संकीर्ण एजेण्डा पर आगे बढ़े चले जा रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप दुनिया उन सिद्धान्तों से दूर होती जा रही है जो अन्तरराष्ट्रीय मानकों और संयुक्त राष्ट्र के कामकाज को मज़बूती प्रदान करते हैं.
75वाँ सत्र: ब्रिटेन की ओछे मतभेद भुलाकर, साझा दुश्मन के ख़िलाफ़ एकजुटता की पुकार
ब्रिटेन के प्रधानमन्त्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि कोविड-19 महामारी ने मानवता में अभूतपूर्व तरीक़े से एकता पैदा कर दी है. यूएन महासभा के वार्षिक 75वें सत्र के दौरान जनरल डिबेट को दिये वीडियो सन्देश में उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि अलबत्ता ये स्वास्थ्य संकट विभाजन के लिये भी एक असाधारण शक्ति साबित हुआ है.
75वाँ सत्र: बांग्लादेश का रोहिंज्या मुद्दे पर व्यापक अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई का आग्रह
बांग्लादेश की प्रधानमन्त्री शेख़ हसीना ने देश में रोहिंज्या शरणार्थियों की मदद के लिये मज़बूत अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता की पुकार लगाई है ताकि रोहिंज्या समुदाय के लोगों की म्याँमार वापसी सुनिश्चित हो सके. बांग्लादेश में इस समय दस लाख रोहिंज्या रह रहे हैं जो मुख्यत: मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय से हैं और राष्ट्रविहीन हैं.
75वाँ सत्र: जापान कोविड-19 पर जवाबी कार्रवाई की अगुवाई के लिये है तैयार
जापान के प्रधानमन्त्री योशीहीदे सूगा ने महासभा के 75वें सत्र को सम्बोधित करते हुए पुनर्बहाली, स्वास्थ्य और आर्थिक विकास के बीच नज़दीकी सम्बन्ध को रेखांकित किया है. उन्होंने भरोसा दिलाया है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 और उससे उपजे व्यवधानों के ख़िलाफ़ वैश्विक जवाबी कार्रवाई में जापान अग्रणी भूमिका निभाने के लिये तैयार है.
यूएन न्यूज़ हिन्दी बुलैटिन 25 सितम्बर 2020
25 सितम्बर 2020 के इस बुलेटिन की सुर्ख़ियाँ...
75वाँ सत्र: पााकिस्तान के प्रधानमन्त्री ने 'इस्लामोफ़ोबिया' के उभार पर चिन्ता जताई
पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान ख़ान ने कहा है कि अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों में स्फूर्ति के लिये अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत टकराव के बजाय आपसी सहयोग को बढ़ावा दिया चाहिये. इमरान ख़ान ने शुक्रवार को यूएन महासभा में जनरल डिबेट को दिये सन्देश में बढ़ते 'इस्लामोफ़ोबिया' या मुस्लिम समुदाय से तथाकथित भय की भावना पर चिन्ता जताई है.
75वाँ सत्र: महमूद अब्बास का सवाल, न्यायसंगत समाधान के लिये ‘हमें कब तक इन्तज़ार करना होगा’
फ़लस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने संयुक्त राष्ट्र जनरल असेम्बली के 75वें सत्र को सम्बोधित करते हुए फ़लस्तीनियों द्वारा हर दिन झेले जा रहे कष्टों और कठिनाइयों पर दुनिया का ध्यान आकृष्ट किया है. उन्होंने कहा कि रोज़मर्रा के जीवन में फ़लस्तीनी जनता विपत्तियों का सामना करती है और दुनिया बस मूकदर्शक बन कर देखती है.
कोविड-19 महामारी के दौरान आपसी सहयोग की परीक्षा में ‘विफल हुई दुनिया’
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए बहुपक्षवाद को मज़बूती देने और सभी देशों के बीच भरोसा क़ायम करने की आवश्यकता पर बल दिया है. गुरूवार को अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 ने विभिन्न मोर्चों पर ख़ामियाँ उजागर की हैं लेकिन अन्तरराष्ट्रीय समुदाय इस परीक्षा का सामना करने में विफल रहा है.
'तेज़ बुखार में तप रही दुनिया' के लिये महत्वाकाँक्षी जलवायु कार्रवाई की पुकार
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने गुरुवार को जलवायु कार्रवाई पर आयोजित एक गोलमेज़ बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि विश्व इस समय तेज़ ज्वर से पीड़ित है और जल रहा है. उन्होंने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अगर दुनिया मौजूदा पथ पर ही आगे बढ़ती रही तो जलवायु व्यवधान से होने वाली पीड़ा का स्तर हमारी कल्पना से भी परे होगा, इसलिये तात्कालिक रूप से ठोस जलवायु कार्रवाई किये जाने की आवश्यकता है.