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'दुष्प्रचार की ख़तरनाक महामारी में नफ़रत हो रही है वायरल'

अमेरिका के कुछ राज्यों में कोरोनावायरस के कारण स्कूल बंद होने से छात्र घरों से ही स्कूलों का काम पूरा कर रहे हैं.
© UNICEF/Lisa Adelson
अमेरिका के कुछ राज्यों में कोरोनावायरस के कारण स्कूल बंद होने से छात्र घरों से ही स्कूलों का काम पूरा कर रहे हैं.

'दुष्प्रचार की ख़तरनाक महामारी में नफ़रत हो रही है वायरल'

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा है कि ऐसे समय जब दुनिया घातक विश्वव्यापी महामारी (Pandemic) कोविड-19 से जूझ रही है और लोगों की ज़िंदगियाँ बचाने के लिए स्पष्ट तथ्यों की तलाश जारी है, उस समय ग़लत जानकारियों की ख़तरनाक बीमारी भी फैल रही है. उन्होंने इस चुनौती को मिस-इन्फ़ोडेमिक (Misinfo-demic) का नाम देते हुए इसका समाधान 'भरोसे की वैक्सीन' बहाल करने के रूप में सुझाया है. 

यूएन प्रमुख ने मंगलवार को जारी अपने संदेश में कोविड-19 को दूसरे विश्व युद्ध के बाद की सबसे बड़ी चुनौती क़रार दिया जिससे करोड़ों लोग प्रभावित हुए हैं.  

“दुनिया भर में लोग डरे हुए हैं और वे जानना चाहते है कि उन्हें क्या करना चाहिए और किस से सलाह लें…यह समय विज्ञान और एकजुटता का है.” 

लेकिन उन्होंने क्षोभ जताते हुए कहा कि इस समय नफ़रत बड़े पैमाने पर फैल रही है, जिसमें लोगों और समूहों को कलंकित किया जा रहा है और उन पर दोष मढ़े जा रहे हैं. दुनिया को इस बीमारी के ख़िलाफ़ भी एकजुट होना होगा.  

स्वास्थ्य को नुक़सान पहुंचाने वाले स्वास्थ्य परामर्श और बीमारी के निराधार समाधान पेश करने की बाढ़ सी आ गई है. 

झूठ हवा में तेज़ी से घुल रहा है और इंटरनेट पर निराधार साज़िशों  की धारणाओं  (Conspiracy theories) की भरमार है.

यूएन महासचिव ने इस कठिन समय में 'भरोसे की वैक्सीन' को अपनाने की बात कही है. 

उन्होंने आग्रह करते हुए कहा कि सबसे पहले विज्ञान में भरोसा.

उन्होंने उन पत्रकारों और तथ्यों की जांच के काम में जुटे लोगों का अभिवादन किया है जो ग़लत जानकारियों को बढ़ावा देने वाली कहानियों और सोशल मीडिया पोस्टों के अंबार में तह तक जाकर सच्चाई को परख रहे हैं. 

सोशल मीडिया कंपनियों की ज़िम्मेदारी

यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि कोविड-19 पर नफ़रत और नुक़सानदेह दावों को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों को और ज़्यादा प्रयास करने होंगे. 

न्यूयॉर्क में ऐहतियाती प्रयासों के तहत लोगों को सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

दूसरा, उन संस्थाओं में भरोसा रखना होगा जो ज़िम्मेदारी से तथ्यों पर आधारित काम पूरा करती हैं और नेतृत्व पर आधारित काम करती हैं. 

“और एक दूसरे में भरोसा. किसी भी संकट पर पार पाने में हमें आपसी सम्मान और मानवाधिकारों को सर्वोपरि रखकर आगे बढ़ने के रास्ते की तलाश करनी होगी.“

“आइए एक साथ मिलकर हम झूठ और बेसिरपैर की बातों को ख़ारिज करें.”

भ्रांतियों की रोकथाम के उपाय

महासचिव ने इससे निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र के नए ‘Communications Response Initiative’ की घोषणा की है ताकि इंटरनेट पर तथ्यों और विज्ञान को बढ़ावा मिल सके व ग़लत जानकारियों की भरमार होने के चलन पर लगाम कसी जा सके.

उन्होंने इसे एक ऐसा ज़हर बताया है जो लोगों के जीवन को ख़तरे में डाल रहा है.

समस्या का दायरा इतना व्यापक है कि कोविड-19 के ख़िलाफ़ वैश्विक प्रयासों का नेतृत्व कर रहे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी वेबसाइट पर कोरोनावायरस के बारे में जानकारी मुहैया कराने वाले पेज पर भ्रांतियों को दूर करने वाला सेक्शन (Mythbusters) भी उपलब्ध कराया है.  

जिन दावों को ख़ारिज किया गया है उनमें कहा गया था कि कोरोनावायरस शक्तिशाली एल्काहॉल पेय पदार्थ पीने से, तापमान के बढ़ने से या ठंडे मौसम में ख़त्म हो जाता है. 

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि साझा लक्ष्यों को हासिल करने के लिए व्यवहारिक ज्ञान और तथ्यों से कोविड-19 को हराया जा सकता है और एक स्वस्थ, ज़्यादा न्यायसंगत, न्यायोचित और सहनशील विश्व का निर्माण किया जा सकता है.